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Saturday, September 12, 2020

PCS RESULT 2018 : हिंदी पर भारी पड़ी अंग्रेजी, टॉप फाइव से पूर्वांचल गायब

PCS RESULT 2018 : हिंदी पर भारी पड़ी अंग्रेजी, टॉप फाइव से पूर्वांचल गायब।

पीसीएस-2018 के परीक्षा परिणाम में इस बार अप्रत्याशित बदलाव देखने को मिला। परिणाम पर बदले पैटर्न का असर तो दिखा ही, लेकिन जिस तरह इस बार हिंदी पर अंग्रेजी भारी पड़ी और टॉप फाइव से प्रयागराज समेत पूर्वांचल गायब रहा, उससे यही संकेत मिल रहे हैं कि परीक्षा से स्केलिंग हटाए जाने के अभ्यर्थियों के दावे में दम है। इसके साथ ही परीक्षा का पैटर्न बदलने से भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है।




अभ्यर्थी कई दिनों से यह दावा कर रहे थे कि आयोग ने पीसीएस-2018 से स्केलिंग हटा दी है और इसका असर परिणाम पर पड़ेगा। अभ्यर्थियों ने यह दावा भी किया था कि स्केलिंग हटाए जाने से मानविकी विषय और हिंदी भाषी अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। इस मसले पर अभ्यर्थियों ने कुछ दिनों पहले हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और कोर्ट ने आयोग से जवाब भी मांगा था। इस बीच आयोग ने अचानक रिजल्ट जारी कर दिया, जो चौंकाने वाला रहा। टॉप फाइव से प्रयागराज समेत पूरा पूर्वांचल गायब है। इस बार के टॉपर्स अंग्रेजी माध्यम वाले हैं।



पिछली कई परीक्षाओं से पीसीएस में पूर्वांचल के प्रतियोगी छात्रों का दबदबा होता था, लेकिन इस बार दिल्ली और उसके आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में प्रतियोगी छात्रों का चयन हुआ है। एसडीएम, डिप्टी एसपी जैसे उच्च पदों पर पूर्वांचल से चयनित होने वाले प्रतियोगी छात्रों की संख्या बहुत कम है।
भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह और अन्य प्रतियोगी छात्रों की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार पीसीएस-2016 में डिप्टी एसपी पद पर चयनित 16 अभ्यर्थियों ने पीसीएस-2018 की परीक्षा दी थी। सभी हिंदी माध्यम से थे और इनमें से किसी का चयन नहीं हुआ। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि पैटर्न बदले जाने से भी रिजल्ट में भारी बदलाव देखने को मिला है।

प्रयागराज का परिणाम भी पलटा : पीसीएस-2018 में इस बार प्रयागराज का परिणाम भी पलट गया। पूर्व की परीक्षाओं में जहां एसडीएम और डिप्टी एसपी जैसे पदों पर प्रयागराज के चयनितों की भरमार होती थी, वहीं इस बार ज्यादातर अभ्यर्थी उच्च पदों पर चयन से वंचित हो गए हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि पहले चयनित अभ्यर्थियों में 60 फीसदी उच्च पदों पर चयनित होते थे, लेकिन इस बार इनकी संख्या 25 से 30 फीसदी ही रह गई है।


पैर्टन के हिसाब से खुद को न बदलने से नुकसान

पीसीएस-2018 की परीक्षा पहली बार संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा की तर्ज पर कराई गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि जो खुद को नए पैटर्न के अनुरूप नहीं ढाल सके, उन्हें नुकसान हुआ। इस बार बड़ी संख्या में 22 से 26 वर्ष आयु वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन अभ्यर्थियों ने डेढ़-दो साल पहले ही परीक्षा की तैयारी शुरू की होगी। पैटर्न बदला तो इन्होंने खुद को उसी के अनुसार ढाल लिया, जबकि काफी समय से पीसीएस की परीक्षा में शामिल रहे अभ्यर्थियों के लिए खुद को नए पैटर्न के हिसाब से ढाल पाने में समय लगा।

इसके अलावा चयनितों में बड़ी संख्या ऐसे अभ्यर्थियों की है, जो संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी कर रहे हैं। दोनों परीक्षाओं का पैटर्न समान होने पर उनके लिए चयन आसान हो गया। वहीं, पीसीएस परीक्षा में काफी समय से शामिल हो रहे अभ्यर्थियों के लिए सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने का अवसर समाप्त हो चुका है। ऐसे में वह लंबे समय से पुराने पैटर्न के हिसाब से ही तैयारी कर रहे थे और समय रहते नए पैटर्न के हिसाब से खुद को नहीं ढाल सके।

स्केलिंग न होना असफलता की वजह मान रहे अभ्यर्थी : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने भले ही न स्वीकारा हो, लेकिन अभ्यर्थी यही दावा कर रहे हैं कि आयोग ने पीसीएस-2018 में स्केलिंग को समाप्त कर दिया। अभ्यर्थियों का तर्क है कि जिस तरह से मानविकी विषय के अभ्यर्थियों को छांटकर बाहर कर दिया गया और गणित एवं विज्ञान विषय के अभ्यर्थी बड़ी संख्या में चयनित हुए, वह स्केलिंग को समाप्त करने की वजह से ही हो सकता है। अभ्यर्थियों का कहना है कि मानविकी विषय में अभ्यर्थियों को पूरे अंक नहीं मिलते हैं जबकि गणित एवं विज्ञान के अन्य विषयों में अभ्यर्थियों को पूरे अंक भी मिल जाते हैं।

इसी असंतुलन को समाप्त करने के लिए स्केलिंग व्यवस्था लागू की गई थी। विज्ञान विषय के छात्र डाइग्राम के माध्यम से भी कम समय से उत्तर लिख देते हैं, जबकि मानविकी विषय के अभ्यर्थियों को विस्तार से जवाब देना होता है। विज्ञान विषय के ज्यादातर अभ्यर्थी अंग्रेजी माध्यम से परीक्षा देते हैं और मानविकी विषय के अभ्यर्थी हिंदी माध्यम से परीक्षा में शामिल होते हैं। अभ्यर्थियों का दावा है कि रिजल्ट में जिस तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं, वह केवल स्केलिंग हटाए जाने से हो सकता है।

बड़े आंदोलन की तैयारी में प्रतियेागी : पीसीएस-2018 के रिजल्ट में हुए बदलाव से प्रयागराज समेत पूर्वांचल के अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं है। भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह का आरोप है कि आयोग ने अभ्यर्थियों को धोखे में रखकर स्केलिंग को हटा दिया और इसकी वजह से हिंदी पट्टी एवं मानविकी के अभ्यर्थियों को नुकसान उठाना पड़ा।


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