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Monday, September 21, 2020

प्रधानाचार्य चयन 2011 में आदेश संशोधन को हाईकोर्ट ने दिया समय

प्रधानाचार्य चयन 2011 में आदेश संशोधन को दिया समय।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्यों के 2011 के चयन में साक्षात्कार का परिणाम घोषित करने के मामले में चयन बोर्ड के रवैये पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार को विधिसम्मत माना है। ऐसे में उप्र माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सचिव/उप सचिव का छह मार्च 2020 का आदेश न्यायालय की अवहेलना करने वाला है। कोर्ट ने राज्य सरकार व बोर्ड को आदेश संशोधित करने का समय दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि ऐसा नहीं किया गया तो अवमानना कार्यवाही की जाएगी।


यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने दीपक भाटिया व अन्य की याचिका पर दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना है कि सरकार ने स्वयं हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार सही हैं। दो जून से तीन जुलाई 2014 तक हुए साक्षात्कार 26 जून 2014 के शासनादेश से निरस्त हो चुके हैं। 27 अप्रैल 2015 से छह मई 2015 तक के साक्षात्कार बोर्ड के चेयरमैन के इस्तीफे के कारण स्थगित हैं। 18 मई 2015 से 26 जून 2015 तक साक्षात्कार लिए गए हैं। कोर्ट के आदेश पर कानपुर का स्थगित है। 


याचियों के अधिवक्ता का कहना है कि जब खंडपीठ ने कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 के बीच हुए साक्षात्कार पर विवाद नहीं है और याची इसी श्रेणी के अभ्यर्थी हैं तो परिणाम न घोषित करना कोर्ट की अवहेलना है। याचिका में मेरठ, मुरादाबाद व फैजाबाद परिक्षेत्र के इन साक्षात्कारों के परिणाम घोषित करने की मांग की गई है।

चयन बोर्ड के रवैए पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, कोर्ट ने सरकार को आदेश संशोधित करने का दिया समय

 
प्रयागराज : अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्यो की भर्ती के लिए 2011 में हुए साक्षात्कार का परिणाम घोषित करने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने चयन बोर्ड के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की है। कहा कि हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 2014 में 21 जनवरी से 26 फरवरी तक हुए साक्षात्कार को विधि सम्मत माना है। इसके बाद भी सचिव उत्तर प्रदेश व सचिव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का छह मार्च 2020 का आदेश कोर्ट की अवहेलना करने वाला है। कोर्ट ने राज्य सरकार व बोर्ड को आदेश संशोधित करने का समय दिया है। साथ ही चेतावनी दी कि यदि ऐसा नहीं किया गया तो अवमानना कार्रवाई की जाएगी।



यह आदेश न्यायमूíत एमसी त्रिपाठी ने दीपक भाटिया व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता आरके ओझा का कहना है कि सरकार ने स्वयं ही हलफनामा दाखिल कर कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 तक हुए साक्षात्कार सही हैं, जबकि दो जून से तीन जुलाई 2014 तक हुए साक्षात्कार 26 जून 2014 के शासनादेश से निरस्त हो चुके हैं। 27 अप्रैल 2015 से छह मई 2015 तक हुए साक्षात्कार बोर्ड के चेयरमैन के इस्तीफा देने के कारण स्थगित है। वहीं, 18 मई 2015 से 26 जून 2015 तक साक्षात्कार लिये गये हैं। याची अधिवक्ता का कहना है कि जब खंडपीठ ने कहा है कि 21 जनवरी से 26 फरवरी 2014 के बीच हुए साक्षात्कार पर विवाद नहीं है। याची इसी श्रेणी के अभ्यर्थी है तो परिणाम न घोषित करना कोर्ट की अवहेलना है। याचिका में मेरठ, मुरादाबाद व फैजाबाद परिक्षेत्र के इस साक्षात्कारों के परिणाम घोषित करने की मांग की गयी है।

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