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Tuesday, September 15, 2020

डिग्री कॉलेजों में खाली चार हजार पदों पर भर्ती की याचिका खारिज


डिग्री कॉलेज में भर्ती निकालने की मांग में दाखिल याचिका खारिज


योग्य होने से ही नहीं मिल जाता नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार: हाईकोर्ट


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि योग्यता होने से किसी व्यक्ति को चयनित होने और नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नहीं प्राप्त नहीं होता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में रिक्त पदों को भरने को प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देने की मांग में दाखिल याचिका खारिज करते हुए की है। 


अदालत का कहना है कि यह नियोजक पर है कि वह खाली पदों को भरे अथवा नहीं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए याचिका में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह और अन्य की याचिका पर दिया है । याचिका पर अधिवक्ता सत्येन्द्र त्रिपाठी, आयोग की तरफ से अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल ने बहस पर याची अधिवक्ता का कहना था कि डिग्री कालेजों में पिछले पांच साल से सहायक प्रोफेसर की भर्ती नहीं निकाली गई। चार हजार पद खाली हैं। याचीगण पीएचडी व राष्ट्रीय दक्षता परीक्षा पास है। सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित होने की अर्हता रखते हैं। आयोग को हर साल भर्ती निकालने और खाली पदों को भरने का निर्देश दिया जाए। 


कोर्ट ने कहा कि याचियों को ऐसी मांग करने का विधिक अधिकार नहीं है। सरकार को प्रशासनिक, आर्थिक या नीतियों के चलते पदों को भरने या न भरने का अधिकार है। सरकार चाहे तो पद समाप्त, या पदों की संख्या घटा सकती है या खाली पदों को भर सकती है। तब तक इसे चुनौती नहीं दी जा सकती है जब तक सरकार का फैसला दुर्भावना पूर्ण हो या विवेकाधिकार का प्रयोग न किया गया हो, या अन्य कारणों से प्रभावित होकर कार्य न किया जा रहा हो।


 प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में सहायक प्रोफेसर के खाली चार हजार से अधिक पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि योग्यता होने के आधार पर किसी को खाली पद पर चयनित या नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नहीं मिल जाता है। यह नियोजक पर है कि वह खाली पदों को भरे अथवा नहीं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए उक्त मामले में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचियों की ओर से अधिवक्ता सत्येंद्र त्रिपाठी व उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने बहस की।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के राजकीय सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में सहायक प्रोफेसर के चार हजार रिक्त पदों को भरने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि योग्यता हासिल होने के आधार पर किसी को रिक्त पदों पर चयनित होने या नियुक्ति पाने का विधिक अधिकार नहीं मिल जाता है। यह नियोजक पर है कि वह रिक्त पदों को भरे या नहीं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल ने सौरभ कुमार सिंह व आठ अन्य की याचिका पर दिया है। आयोग की तरफ से अधिवक्ता कृष्णजी शुक्ल ने बहस की।




याचिका में कहा गया था कि डिग्री कॉलेजों में पिछले पांच साल से सहायक प्रोफेसर की भर्ती नहीं निकाली गई, जिससे चार हजार पद रिक्त हैं। याची पीएचडी व राष्ट्रीय दक्षता परीक्षा पास है और सहायक प्रोफेसर पद पर चयनित होने की अर्हता रखते हैं। मांग की गई थी कि आयोग को हर साल भर्ती निकालने और रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया जाए।



कोर्ट ने कहा कि याचियों को ऐसी मांग करने का विधिक अधिकार नहीं है। सरकार को प्रशासनिक, आर्थिक या नीतियों के चलते पदों को भरने या न भरने का अधिकार है। सरकार चाहे तो पद समाप्त या पद संख्या घटा या रिक्त पदों को भर सकती है। कोर्ट ने कहा कि इसे तब तक चुनौती नहीं दी जा सकती है, जब तक सरकार का फैसला दुर्भावनापूर्ण न हो या विवेकाधिकार का प्रयोग न किया गया हो या अन्य कारणों से प्रभावित होकर कार्य न किया जा रहा हो।

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