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Wednesday, June 17, 2020

UPPSC : जांच के 35 महीने पूरे, नतीजा फिर भी शून्य

UPPSC : जांच के 35 महीने पूरे, नतीजा फिर भी शून्य।


राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : सूबे की सत्ता पर काबिज होने के चंद महीने बाद 20 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षाओं की जांच सीबीआई को सौंप दी थी। सीबीआई को 2012 से 2017 तक की सभी परीक्षाओं व जारी हुए रिजल्ट की जांच करनी है। इनकी संख्या लगभग 550 है। लेकिन, मई 2018 में अज्ञात के नाम एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच सस्त होती गई। लगभग 35 महीने की जांच में सीबीआई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। कार्रवाई के नाम पर एक एफआईआर व पांच परीक्षाओं में पी (प्राइमरी इंक्वायरी) दर्ज कराई जा सकी है। सीबीआई ने जिन परीक्षाओं में पी व एफआइआर दर्ज कराया है उसमें चयनियों की संख्या लगभग दो हजार है। जबकि जांच के दायरे में आयी सारी भर्तियों में चयनितों की संख्या 30 हजार से अधिक है। अनुमान के अनुसार चयनित प्रदेश के 44 विभागों में कार्यरत हैं। लेकिन, अभी तक कोई दोषी चिह्नित नहीं है। न ही किसी के खिलाफ कार्रवाई हुई है। सीबीआई की सुस्ती को देखते हुए प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के प्रवक्ता अवनीश पांडेय ने समयबद्ध जांच के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। टास्क फोर्स बनाने की जरूरत : सीबीआई जांच तेज करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले अवनीश पांडेय का कहना है कि सरकार को एक टास्क फोर्स बनाने की जरूरत है। सीबीआई के पास संसाधन सीमित हैं, जबकि काम ज्यादा है। टास्क फोर्स बनने से भ्रष्ट अधिकारियों तक सीबीआई जल्द पहुंच सकेगी।





सीबीआई ने की यह कार्रवाई

 पीसीएस 2015 : सीबीआई ने इसमें एफआरआइ दर्ज कराई है। इसमें मॉडरेशन प्रक्रिया में नंबरों में फेरबदल करने की शिकायत है।

एपीएस 2010: इसमें पीई दर्ज है। चार चरण की परीक्षा में ओएमआर शीट बदलने,शार्टहैंड व कंप्यूटर टाइपिंग में फेल अभ्यर्थियों को पास करने की शिकायत है।

लोअर सबोर्डिनेट 2013 : की मुख्य परीक्षा में कई की ओएमआर शीट बदलने की शिकायत है।

पीसीएस जे 2013 : इस भर्ती में 15 प्रश्नों पर विवाद था। विशेषज्ञों की जांच के बाद अभ्यर्थियों की आपत्ति सही मिली। इसके बाद प्री परीक्षा का रिजल्ट संशोधित हुआ।

 आरओ-एआरओ 2013 : इस परीक्षा में गलत प्रश्न पूछे गए थे। मामला कोर्ट तक पहुंचा था।

 मेडिकल अफसर : सीधी भर्ती की इस परीक्षा में मेरिट कराकर खास लोगों का चयन करने व गैरमान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेजों की डिग्री को मान्य करने का आरोप है।


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