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Thursday, January 21, 2021

UPPSC : पीसीएस प्री 2020 का रिजल्ट व पदों का ब्योरा हाईकोर्ट ने किया तलब

UPPSC : पीसीएस प्री 2020 का रिजल्ट व पदों का ब्योरा हाईकोर्ट ने किया तलब

UPPSC PCS Pre 2020 Result: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लोक सेवा आयोग से पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2020 के परीक्षा परिणाम और इसे तैयार करने व राज्य सरकार द्वारा दिए गए पदों की संख्या का ब्योरा तलब किया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने महेश सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम को चुनौती देते हुए कहा गया है कि संशोधित परिणाम जारी करने में पारदर्शिता नहीं बरती गई और पहले से चयनित अभ्यर्थियों को संशोधित परिणाम में बिना कोई कारण बताए बाहर कर दिया गया। याचियों का पक्ष अधिवक्ता अतुल कुमार साही ने रखा।


आयोग के अधिवक्ता एमएन सिंह ने इस प्रकरण में जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से 48 घंटे का समय मांगा, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने पीसीएस प्री 2020 का श्रेणीवार विस्तृत रिजल्ट और राज्य सरकार द्वारा रिजल्ट जारी होने से पूर्व तक उपलब्ध कराई गई पदवार रिक्तियों की संख्या का विवरण अगली सुनवाई पर पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रारंभिक परीक्षा की मेरिट लिस्ट त‌ैयार करने के नियम भी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। कहा कि आयोग किसी राजपत्रित अधिकारी के माध्यम से हलफनामा दाखिल करे।

याचियों का कहना है कि उनका चयन बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद के लिए प्रारंभिक परीक्षा में हुआ था। बाद में आयोग ने इन्हीं पदों का संशोधित परिणाम जारी कर दिया और सभी चयनित अभ्यर्थियों को मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया गया।




पीसीएस प्री 2020 : संशोधित परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती

पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा 2020 के संशोधित परिणाम को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। आरोप है कि लोक सेवा आयोग उत्तर प्रदेश ने संशोधित परिणाम जारी पूर्व में चयनित 1015 अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया। इसका कोई कारण भी नहीं बताया गया है और न ही अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिया गया। महेश सिंह व सात अन्य ने इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की एकलपीठ ने बृहस्पतिवार को सुनवाई की। आयोग के अधिवक्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए शुक्रवार को सुबह दस बजे प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।


याचीगण के अधिवक्ता अतुल कुमार साही का कहना था कि याचीगण पीसीएस प्री परीक्षा 2020 में बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) पद के लिए चयनित हुए थे। कमीशन ने 24 नवंबर 20 को प्रारंभिक परीक्षा का संशोधित परिणाम जारी किया और इस बार नई चयन सूची में सिर्फ सीडीपीओ पर चयनित 1575 अभ्यर्थियों के नाम थे। मगर इस संशोधित सूची में पूर्व में चयनित याचीगण सहित सभी 1015 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया। आयोग ने सिर्फ रोल नंबर जारी किए हैं।


कटेगरी और प्राप्तांक का कोई ब्यौरा नहीं दिया है। इससे संशोधित परिणाम की पारदर्शिता संदेह में है। अधिवक्ता का कहना था कि याचीगण को चयन सूची से बाहर करने से पूर्व उनका पक्ष नहीं जाना गया और न ही सुनवाई का कोई मौका दिया। यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत से विरुद्ध है। 
कोर्ट ने इस मामले में लोक सेवा आयोग से जवाब मांगा था। आयोग के अधिवक्ता ने समय की मांग की जिस पर कोर्ट ने प्रकरण 22 जनवरी को सुबह दस बजे सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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