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Wednesday, January 20, 2021

पीसीएस-2018 : मार्कशीट में स्केल्ड अंक न होने पर उठे सवाल, अभ्यर्थियों का दावा, मुख्य परीक्षा में लागू नहीं की गई स्केलिंग, मुख्यमंत्री को ट्वीट कर शिकायत

पीसीएस-2018 : मार्कशीट में स्केल्ड अंक न होने पर उठे सवाल, अभ्यर्थियों का दावा, मुख्य परीक्षा में लागू नहीं की गई स्केलिंग, मुख्यमंत्री को ट्वीट कर शिकायत

पीसीएस-2018 के तहत प्रमुख पदों के अधिकतम/न्यूनतम कटऑफ अंक इस प्रकार हैं

0 डिप्टी कलेक्टर - अनारक्षित श्रेणी के 1014/954, एससी वर्ग के 952/892, एसटी वर्ग के 834/827, ओबीसी वर्ग के 971/924 अंक
0 पुलिस उपाधीक्षक - अनारक्षित श्रेणी के 955/927, एससी वर्ग के 884/867, एसटी वर्ग के 819/818, ओबीसी वर्ग के 921/903 अंक
0 असिस्टेंट कमिश्रर वाणिज्यकर - अनारक्षित श्रेणी के 945/921, एससी वर्ग के 891/869, ओबीसी वर्ग के 919/913 अंक
0 सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी - अनारक्षित श्रेणी के 953/950, एससी वर्ग के 891/869 ओबीसी वर्ग के 921/921 अंक
0 खंड विकास अधिकारी के अनारक्षित श्रेणी के 923/917, एससी वर्ग के 868/860, ओबीसी वर्ग के 913/907 अंक
0 जिला कमांडेंट होमगाड्र्स - अनारक्षित श्रेणी के 916/916, एससी वर्ग के 865/865, ओबीसी वर्ग के 909/909 अंक
0 अधीक्षक कारागार - अनारक्षित श्रेणी के 919/913, एससी वर्ग के 878/878, ओबीसी वर्ग के 903/903 अंक
0 अधिशासी अधिकारी श्रेणी-1 - अनरक्षित श्रेणी के 890/890 अंक
0 लेखाधिकारी - अनारक्षित श्रेणी के 874/874, ओबीसी वर्ग के 862/854 अंक
0 वाणिज्य कर अधिकारी - अनारक्षित श्रेणी के 920/595, एससी वर्ग के 856/825, एसटी वर्ग के 809/809, ओबीसी वर्ग के 896/877 अंक


विस्तार
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से मंगलवार को जारी मार्कशीट में स्केल्ड या नॉन स्केल्ड अंकों का उल्लेख न होने पर तमाम सवाल उठ रहे हैं।


इसी आधार पर अभ्यर्थियों ने दावा किया है कि पीसीएस-2018 की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग की व्यवस्था लागू नहीं की गई और इससे मानविकी एवं हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को बड़ा नुकसान पहुंचा है। मामले में प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर सीबीआई जांच कराने या इस्तीफा देने की मांग की है।

आयोग पीसीएस-2016 तक मार्कशीट में स्केल्ड एवं नॉनस्केल्ड अंकों का उल्लेख करता था। नॉन स्केल्ड यानी मूल्यांकन के दौरान अभ्यर्थियों को मिले वास्तविक अंक और स्केल्ड यानी स्केलिंग के बाद घटाए या बढ़ाए गए अंक। पीसीएस-2017 की मार्कशीट में आयोग ने केवल स्केल्ड अंक दिए थे और इस बार मार्कशीट में स्केल्ड अंकों का उल्लेख भी नहीं है।

पीसीएस-2018 का अंतिम चयन परिणाम आने के बाद से ही अभ्यर्थी दावा कर रहे थे कि आयोग ने पीसीएस-2018 की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग लागू नहीं की है और मंगलवार को मार्कशीट जारी होने के बाद अभ्यर्थियों का कहना है कि उनका दावा सही साबित हुआ।

प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय और मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि स्केलिंग के बाद मिलने वाले अंक अमूमन दशमल में होते हैं, लेकिन किसी भी अभ्यर्थी को दशमल में अंक नहीं मिले हैं। सभी को मिले अंक पूर्णांक में हैं।

इसका मतलब है कि आयोग ने पीसीएस-2018 में स्केलिंग नहीं की है और इससे मानविकी विषय एवं हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ है। अवनीश पांडेय ने सीएम को ट्वीट कर मांग की है कि इस प्रकरण की सीबीआई जांच कराई जाए या मुख्यमंत्री इस्तीफा दें, क्योंकि आयोग ने अभ्यर्थियों के भविष्य से खिलवाड़ किया है।

आयोग का दावा, अभ्यर्थियों के हित का रखा गया ध्यान
 उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अफसरों का कहना है कि आयोग ने सिर्फ अभ्यर्थियों के हित को ध्यान में रखते हुए काम किया है। स्केलिंग की प्रक्रिया काफी जटिल है। इसलिए स्केल्ड और नॉन स्केल्ड अंकों की जगह केवल वही अंक मार्कशीट में दर्शाए गए हैं, जो अभ्यर्थियों को मिले हैं।

ऐसे में स्केलिंग को लेकर विवाद जैसी कोई चीज नहीं होनी चाहिए। आयोग ने जिस प्रक्रिया के तहत रिजल्ट जारी किया, उससे अभ्यर्थियों को सिर्फ फायदा होगा और आने वाले समय में भी भर्ती परीक्षाओं के परिणाम समय से जारी किए जा सकेंगे। साथ ही रिजल्ट में पारदर्शिता बढ़ेगी। 



स्केलिंग मामले में सरकार को जवाब देने का आखिरी मौका, हाईकोर्ट ने पीसीएस परीक्षा- 2020 मामले में जवाबी हलफनामा के लिए दिए और दो हफ्ते

लखनऊ : वर्ष 2020 में घोषित पीसीएस परीक्षा परिणाम को अंकों की स्केलिंग के मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है। इस मामले में राज्य सरकार के वकील के अनुरोध पर न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने को आखिरी मौके के रूप में दो सप्ताह का और समय दिया है। साथ ही कोर्ट ने अगली सुनवाई 11 फरवरी को नियत की है। फैसल अंसारी व अन्य कई अभ्यर्थियों की याचिका पर कोर्ट के आदेश के बावजूद काफी समय से सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा था।

याचियों के वरिष्ठ अधिवक्ता एचजीएस परिहार के मुताबिक याचिका में कहा गया कि नियमानुसार स्केलिंग किए बिना रिजल्ट घोषित कर दिया गया। इससे याचियों के हित प्रभावित हो रहे हैं। याचिका में नियमानुसार स्केलिंग किए जाने के निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है। जबकि सरकार व आयोग का कहना था कि नंबरों की स्केलिंग की गई थी। इस पर परिहार ने इस संबंध में यह जवाब हलफनामे पर दिए जाने की गुजारिश की थी।

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