यूपी : इंटर में संस्कृत नहीं होने की वजह से 300 चयनित शिक्षकों की नौकरी पर खतरा
एलटी जीआईसी परीक्षा 2018 के माध्यम से हिन्दी विषय में सहायक अध्यापक पद के लिए चयनित होने वाले 300 अभ्यर्थियों के पास इंटरमीडियट में संस्कृत विषय नहीं होने की वजह से चयन के बावजूद नौकरी नहीं मिलने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, लोक सेवा आयोग की ओर से हो रही इस भर्ती प्रक्रिया में हिन्दी विषय के सहायक अध्यापकों के लिए अर्हता निर्धारित है इंटरमीडियट संस्कृत, बीए हिन्दी और बीएड। जब माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड द्वारा एलटी हिन्दी के लिए इंटर संस्कृत, बीए हिन्दी, बीएड अथवा बीए संस्कृत के साथ ही हिन्दी और बीएड। एक ही पद के लिए दो संस्थानों की अलग-अलग अर्हता निर्धारण को देखते हुए एलटी जीआईसी परीक्षा 2010 की आवेदन प्रक्रिया के दौरान ही अभ्यर्थी कोर्ट चले गए। कोर्ट ने अन्तिम आदेश देते हुए अभ्यर्थियों का आवेदन स्वीकारने की बात कही। इंटर में संस्कृत न होने पर भी अभ्यर्थियों ने फार्म भरा, परीक्षा दी। इनमें से 300 अभ्यर्थियों का चयन और अभिलेखों का सत्यापन भी हो गया लेकिन अर्हता विवाद की वजह से इन चयनित 300 सहायक अध्यापकों की फाइलों पर रोक ली गई हैं। अब अगर लोक सेवा आयोग भी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की तर्ज पर निर्धारित अर्हता को मान्यता दे देता है या शासन स्तर से कोई फैसला आता है तो इन चयनित सहायक अध्यापकों की नौकरी बचेगी अन्यथा नौकरी जाना तय है। एलटी जीआईसी परीक्षा-2018 10768 पदों के लिए हुई थी। इसमें हिन्दी विषय में 1433 पद हैं।
एक पद पर दो संस्थानों की अर्हता अलग
एलटी हिन्दी पुरुष वर्ग में टॉपर चयनित महेन्द्र कुमार शर्मा के पास सिर्फ इंटर में संस्कृत नहीं है इसलिए इनकी नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। महेन्द्र कहते हैं कि एक ही पद के लिए दो संस्थानों द्वारा अलग-अलग अर्हता निर्धारण करने से ही मुश्किलें सामने आ रही हैं। लोक सेवा आयोग को माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की अर्हता को अपनाते हुए नियुक्ति पत्र देना चाहिए।
अभ्यर्थियों के भविष्य के लिए होगा संघर्ष
प्रतियोगी मोर्चा के संयोजक विक्की खान ने कहा कि चयन के बाद भी 300 सहायक अध्यापकों की जिन्दगी में अंधेरा है। इन अभ्यर्थियों के पास बीए में संस्कृत है तो इंटर में संस्कृत की अनिवार्यता क्यों की गई है। कोर्ट ने भी इसी आधार पर इन अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया। अब इनकी फाइलें को रोका जाना न्याय संगत नहीं है। इस सम्बंध में आयोग के मीडिया प्रभारी से बात हुई है तो उन्होंने आश्वासन दिया है कि मामला शासन में है जल्द ही इस सम्बंध में आदेश आ जाएगा। विक्की खान ने कहा कि अगर आदेश नहीं आता है तो अभ्यर्थियों के भविष्य के लिए संघर्ष करेंगे।
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