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Thursday, July 23, 2020

महिला अफसर भी अब सेना में पा सकेंगी स्थायी कमीशन, मोदी सरकार ने दी मंजूरी

महिला अफसर भी अब सेना में पा सकेंगी स्थायी कमीशन, मोदी सरकार ने दी मंजूरी


रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन प्रदान करने के लिए औपचारिक आदेश जारी कर दिया है। इस प्रकार सेना में महिला अधिकारियों को बड़ी भूमिकाओं के निर्वहन के लिए अधिकार संपन्न बनाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी को एक याचिका पर सुनवाई के बाद भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन एवं कमांड पोस्ट दिए जाने का आदेश दिया था और सरकार को अमल के लिए तीन माह का वक्त दिया था। इस मामले को फिर उठाये जाने पर सात जुलाई को सवोर्च्च अदालत ने केंद्र सरकार को एक महीने की मोहलत और दी थी


रक्षा प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने यहां यह जानकारी दी। यह आदेश जज एवं एडवोकेट जनरल (जेएजी) तथा आमीर् एजुकेशनल कोर (एईसी) के वर्तमान वगोर्ं के अतिरिक्त भारतीय सेना के सभी दस वर्गों अथार्त आर्मी एयर डिफेंस (एएडी), सिग्नल्स, इंजीनियर्स, आमीर् एवियेशन, इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई), आमीर् सर्विस कोर (एएससी), आमीर् आर्डनेंस कोर (एओसी) और इंटेलीजेंट कोर में शॉर्ट सर्विस कमीशंड (एसएससी) महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन (पीसी) देने को मंजूरी दी गई है।


कर्नल आनंद के अनुसार सेना मुख्यालय ने प्रभावित महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन चयन बोर्ड के गठन एवं संचालन की तैयारी के लिए अनेक कदम उठाये थे। जैसे ही सभी प्रभावित एसएससी महिला अधिकारी अपने विकल्प का उपयोग करेंगी और वांछनीय दस्तावेजों को पूरा करेंगी, चयन बोर्ड अनुसूचित हो जाएगा। सेना के प्रवक्ता ने कहा कि रक्षा मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सेना राष्ट्र की सेवा करने के लिए महिला अधिकारियों सहित सभी कार्मिकों को समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है।


पुरुषों को ही था अधिकार 

अभी तक आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में सेवा दे चुके पुरुष सैनिकों को ही स्थायी कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सेना में महिलाओं को पुरुष अफसरों से बराबरी का अधिकार मिला, जिसे अब रक्षा मंत्रालय की मजूरी मिली है। वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को पहले से ही स्थायी कमीशन मिल रहा है।


केंद्र की दलील हुई थी खारिज

इस मामले पर सुनवाई करते हुए जजों की पीठ ने यह भी कहा था कि महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं का उनके अधिकारों से कोई सम्बन्ध नहीं है और इस तरह की सोच को बढ़ाने वाली मानसिकता अब बदलनी चाहिए। इस मामले में 2010 में ही दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया था कि शार्ट सर्विस कमीशन के जरिए सेना में भर्ती हुई महिलाएं भी पुरुषों की तरह स्थायी कमीशन की हकदार हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के समय केंद्र केंद्र का कहना था कि सेना में यूनिट सिर्फ पुरुषों की है और पुरुष सैनिक महिला अधिकारियों को स्वीकार नहीं कर पाएंगे, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया था।

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