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Friday, October 30, 2020

शिक्षक भर्ती : मुसीबत बना चयन बोर्ड का फार्मूला, तदर्थ शिक्षक वेटेज के बावजूद सामान्य अभ्यर्थियों के मुकाबले मेरिट में रह जाएंगे पीछे

शिक्षक भर्ती : मुसीबत बना चयन बोर्ड का फार्मूला, तदर्थ शिक्षक वेटेज के बावजूद सामान्य अभ्यर्थियों के मुकाबले मेरिट में रह जाएंगे पीछे।

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की ओर से जारी 15508 शिक्षक भर्ती का विज्ञापन तदर्थ शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गया। तदर्थ शिक्षकों के लिए वेटेज अंक की व्यवस्था की गई है, लेकिन फार्मूला इस तरह निर्धारित किया गया है कि तदर्थ शिक्षकों के है। लिए चयनित होने से ज्यादा चयन प्रक्रिया से बाहर होने का खतरा है। शिक्षकों ने बोर्ड के फार्मूले पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए संशोधन करने और स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। सामान्य अभ्यर्थियों के बराबर प्रश्न हल करने के बावजूद वेटेज अंक की व्यवस्था उन्हें मेरिट में और पीछे ले जा सकती है। 


टीजीटी के विज्ञापन के अनुसार 500 अंकों का एक प्रश्नपत्र होगा, जिसमें कुल 125 सवाल होंगे। सामान्य अभ्यर्थी को एक प्रश्न के लिए चार अंक मिलेंगे, जबकि तदर्थ शिक्षकों को एक प्रश्न के लिए केवल 3.72 अंक दिए जाएंगे। तदर्थ शिक्षक को एक वर्ष की सेवा के लिए 1.75 अंक मिलेंगे और अधिकतम 35 अंक होंगे। तदर्थ शिक्षकों के लिए वेटेज अंक का यही फार्मूला विसंगति बन गया है। उदाहरण के तौर पर एक सामान्य अभ्यर्थी अगर 100 सवाल का सही जवाब देते हैं तो उसे 400 अंक मिलेंगे। वहीं, कोई तदर्थ शिक्षक, जिसने 12 वर्षों तक अध्यापन कार्य किया है और उसने भी सामान्य अभ्यर्थी की तरह 400 अंकों के 100 सवालों का सही जवाब दिया है तो उसे सही जवाब के लिए 372 अंक मिलेंगे। साथ ही 21 वेटेज अंक भी मिलेंगे। इस प्रकार कुल 393 अंक प्राप्त होंगे। यानी सामान्य अभ्यर्थी के बराबर प्रश्न हल करने और वेटेज अंक पाने के बावजूद तदर्थ शिक्षक मेरिट में और पीछे चले जाएंगे। 


ऐसी ही परिस्थितियों का सामना तदर्थ प्रवक्ता को भी करना होगा। अगर कोई सामान्य अभ्यर्थी के रूप में 100 प्रश्न हल करता है तो उसे | 100 गुणा 3.4 यानी 340 अंक मिलेंगे। वहीं, तदर्थ कोटे में 100 प्रश्न हल करने पर उसे 100 गुणा 3.12 यानी 312 अंक मिलेंगे। वेटेज अंक के रूप में 12 गुणा 1.75 यानी 21 अंक प्राप्त होंगे। इस प्रकार कुल 333 अंक मिलेंगे। अभ्यर्थियों ने विज्ञापन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह तदर्थ शिक्षकों के साथ मजाक है। माध्यमिक शिक्षक संघ (ठकुराई गुट) के प्रदेश महामंत्री लालमणि द्विवेदी का कहना है कि शिक्षक भर्ती का विज्ञापन तदर्थ शिक्षकों के लिए अन्यायपूर्ण है।


शिक्षामित्रों जैसा वेटेज तदर्थ शिक्षकों को नहीं, अधिभार के बावजूद तदर्थ शिक्षकों की नियुक्ति तय नहीं।

 
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के लिए शिक्षामित्रों व एडेड माध्यमिक कॉलेजों में तदर्थ शिक्षकों के लिए अध्यापक बनने की दौड़ एक जैसी है। संयोग से दोनों संवर्गो को नियमित होने के लिए अवसर देने का आदेश भी शीर्ष कोर्ट का है, लेकिन दोनों भर्तियों में कार्यरत प्रतियोगियों को अधिभार देने का नियम बिल्कुल अलग है। एक ओर शिक्षामित्रों को वेटेज मिलने से उनका चयन सुनिश्चित हो गया, वहीं दूसरी ओर तदर्थ शिक्षकों को अधिभार जरूर मिल रहा है, लेकिन तय पद पर नियुक्ति की गारंटी नहीं है। चयन नियमों से तदर्थ शिक्षक बेहद निराश हैं।


शीर्ष कोर्ट ने जुलाई 2017 में प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर 1,37,000 शिक्षामित्रों का समायोजन रद किया था। कोर्ट ने उन्हें आयु सीमा में छूट और वेटेज देने के साथ ही दो भर्तियों में शामिल होने का अवसर दिया। 68,500 व 69,000 शिक्षक भर्ती उसी आदेश पर कराई गई। दोनों की लिखित परीक्षा में प्रतियोगियों को समान अवसर मिला, यानी परीक्षा में पूछे गए प्रश्नों का जवाब सही होने पर सबको समान अंक मिलने थे। लिखित परीक्षा में मिले अंकों का 60 फीसद और एकेडमिक के 40 प्रतिशत अंकों को जोड़कर मेरिट बनी। इसके बाद शिक्षामित्रों को 2.5 अंक प्रतिवर्ष व अधिकतम दस वर्ष की सेवा पर 25 अंक दिए गए। यह अधिभार शिक्षामित्रों के शिक्षक पद पर चयन की गारंटी बना। बशर्ते शिक्षामित्र लिखित परीक्षा उत्तीर्ण जरूर हों।

चयन बोर्ड भी शीर्ष कोर्ट में संजय सिंह केस पर आए आदेश पर तदर्थ शिक्षकों को अधिभार दे रहा है। तदर्थ शिक्षक उम्मीद लगाए थे कि उन्हें भी शिक्षामित्रों की तरह वेटेज मिलेगा। चयन बोर्ड ने 1.75 अंक प्रतिवर्ष और अधिकतम 35 अंक देने का निर्णय किया है, लेकिन प्रवक्ता व प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक की लिखित परीक्षा में तदर्थ शिक्षकों का प्रति प्रश्न मूल्यांकन घटा दिया गया है।

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