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Saturday, July 3, 2021

स्वास्थ्य महानिदेशालय की लापरवाही से अटकी पांच हजार नर्सों की भर्ती, इंटरमीडिएट परीक्षा के विषय को लेकर भी फंसा भर्ती का मामला

स्वास्थ्य महानिदेशालय की लापरवाही से अटकी पांच हजार नर्सों की भर्ती, इंटरमीडिएट परीक्षा के विषय को लेकर भी फंसा भर्ती का मामला

◆ मिडवाइफरी योग्यता वाले पुरुष नर्सों को नियुक्ति देने का कोर्ट में नहीं दे रहे शपथ पत्र

◆ इंटरमीडिएट परीक्षा के विषय को लेकर भी फंसा भर्ती का मामला

लखनऊ : स्वास्थ्य महानिदेशालय की लापरवाही से प्रदेश में पांच हजार नसों की भर्ती रुकी हुई है। इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) ने मिडवाइफरी का प्रशिक्षण प्राप्त पुरुष नसों को भी चयन करने की अनुमति दे दी है। लेकिन, अब स्वास्थ्य महानिदेशक और उत्तर प्रदेश शासन इसके लिए कोर्ट में शपथ पत्र नहीं दे रहे हैं। जिससे यूपी लोक सेवा आयोग भर्ती का विज्ञापन नहीं जारी कर रहा है।


प्रदेश में 2017 में नसों की नियुक्ति का विज्ञापन जारी हुआ था और 2019 में इस विज्ञापन के आधार पर भर्ती हुई थी। इसके बाद दो साल से नसों की भर्ती नहीं हुई है। वर्तमान में प्रदेश में पांच हजार स्टाफ नर्स के पद खाली हैं। इनमें 10 फीसदी पुरुष नसों का चयन होगा उप्र सरकार की चयन नियमावली में अभी तक पुरुष नसों को केवल मानसिक रोग में प्रशिक्षण के बाद चयन किया जाता है। लेकिन इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) ने मिडवाइफरी को भी अर्हता में शामिल कर लिया है। जब उप्र में मिडवाइफरी प्रशिक्षण प्राप्त पुरुष नर्सों को सरकारी नौकरी में चयन का मौका नहीं मिला तो वे इसके खिलाफ कोर्ट चले गए।

बताया जा रहा है कि इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसी) की अनुमति के बाद अब मिडवाइफरी प्रशिक्षण को भी शैक्षिक अर्हता मान लिया गया है। इसलिए स्वास्थ्य महानिदेशालय को सिर्फ एक शपथ पत्र कोर्ट में देना है कि मिडवाइफरी प्रशिक्षण पाने वालों को भी चयन प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। इससे कोर्ट में मुकदमे का निस्तारण हो जाएगा और आयोग के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी करने का रास्ता खुल जाएगा।

महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ डॉ. डीएस नेगी का कहना है कि इस मामले में आईएनसी ने इंटरमीडिएट किसी भी विषय और अंग्रेजी की योग्यता के साथ शैक्षिक अर्हता माना है। जबकि यूपी में इंटरमीडिएट विज्ञान विषय के साथ शैक्षिक अर्हता है। इसी को लेकर निर्णय होना है।

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