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Wednesday, July 7, 2021

आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से उलझी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती

UP Anganwadi Recruitment 2021 : आंगनबाड़ी में 53 हजार नियुक्तियों पर लगा ब्रेक, आरक्षण बनी वजह

आरक्षण की स्थिति स्पष्ट न होने से उलझी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती


लखनऊ। सरकार की घोषणा की कड़ी में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा शुरू की गई 53 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं के रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया फिर उलझ गई है। शासन की ओर से इन पदों के लिए आरक्षण के संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश न दिए जाने की वजह अधिकांश जिले भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं कर पा रहे हैं। अब तक करीब डेढ़ दर्जन जिले ही विज्ञापन जारी कर सके हैं।

इन जिलों में विज्ञापन जारी नहीं हो पाया है उन्होंने शासन को पत्र लिख कर स्थिति साफ करने के लिए कहा है। पत्र में कहा है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के आरक्षण को लेकर प्रावधान नहीं किया गया है। वहीं बाकी आरक्षण की स्थिति भी साफ नहीं है। इन जिलों ने शासन को पत्र लिख कर पूछा है कि ज्यादातर जिलों में एसटी वर्ग के लोग उपलब्ध नहीं है, लेकिन आदेश में एसटी की जनसंख्या न होने पर एससी से पदों के भरे जाने के बारे में कोई दिशा निर्देश नहीं दिया गया है।


यूपी में आंगनबाड़ी में चल रही 53 हजार कार्यकत्रियों व सेविकाओं की नियुक्तियों पर ब्रेक लग गया है। लगभग डेढ़ दर्जन जिले ही आवेदन पत्र ले पाए हैं जबकि बाकी जिले अभी आरक्षण की स्थिति साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। शासन से भेजे गए पत्र में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का आरक्षण को लेकर प्राविधान नहीं किया गया है। वहीं बाकी आरक्षण की स्थिति भी साफ नहीं की गई है।

बाकी जिलों ने शासन को पत्र लिख कर पूछा है कि ज्यादातर जिलों में एसटी वर्ग के लोग उपलब्ध नहीं है लेकिन आदेश में एसटी की जनसंख्या न होने पर एससी से पदों के भरे जाने के बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं दिया गया है। वहीं परियोजना स्तर से पहले से एससी, ओबीसी कोटा अपूर्ण होने की स्थिति में नए केन्द्रों में एससी, ओबीसी का अवशेष कोटा समायोजित करते हुए जिला स्तर पर आरक्षण का कोटा पूरा किया जाएगा या फिर नया कोटा बनाया जाएगा?

बाल विकास पुष्टाहार विभाग ने मार्च में आदेश जारी करते हुए जिलों को अपने स्तर से रिक्तियों की संख्या आरक्षणवार तय करने का आदेश दिया था। भर्ती मई के दूसरे हफ्ते तक पूरी की जानी थी। यह भर्तियां 2011 के बाद हो रही हैं। चूंकि इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद आरक्षण तय करने में दिक्कत आ रही हैं, लिहाजा निदेशालय ने सारा मामला जिलों पर डाल दिया। पहले निदेशालय स्तर से रिक्तियों की संख्या व आरक्षण तय करने की कवायद की गई थी लेकिन इसका ब्यौरा नहीं मिला।  

इन जिलों से जारी किया विज्ञापन-
आजमगढ़, गाजियाबाद, जौनपुर, लखनऊ, कन्नौज, ललितपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, संभल, सीतापुर, सुलतानपुर, वाराणसी, सोनभद्र, हाथरस, अलीगढ़, सहारनपुर, रामपुर

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