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Thursday, July 1, 2021

UPPSC : पीसीएस में स्केलिंग लागू करें या वैकल्पिक विषय हटाएं, सफलता के मानक में किए गए बदलाव को भी वापस लेने की मांग

UPPSC : पीसीएस में स्केलिंग लागू करें या वैकल्पिक विषय हटाएं, सफलता के मानक में किए गए बदलाव को भी वापस लेने की मांग


पीसीएस की मुख्य परीक्षा में स्केलिंग हटाए जाने और सफलता के मानक में बदलाव का मुद्दा फिर गरमाने लगा है। पीसीएस-2021 की प्रारंभिक परीक्षा इस साल 24 को अक्तूबर को और मुख्य परीक्षा अगले साल 28 जनवरी से प्रस्तावित है। अभ्यर्थी मांग कर रहा है कि पीसीएस मुख्य परीक्षा में स्केलिंग लागू होगी या नहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएसससी) यह स्पष्ट करे। साथ ही प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा में अभ्यर्थियों की सफलता के लिए पूर्व निर्धारित मानक को ही लागू किया जाए।



पिछले कुछ वर्षों से प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित पीसीएस परीक्षा के परिणाम में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। यूपी और खासतौर पर पूर्वांचल के अभ्यर्थियों के चयन का ग्राफ तेजी से गिरा है। हिंदी पट्टी और मानविकी के अभ्यर्थियों के चयन में भी कमी देखने को मिली है। इन सबके पीछे  प्रमुख कारण स्केलिंग को माना जा रहा है।


अभ्यर्थियों का दावा है कि आयोग ने पीसीएस मुख्य परीक्षा में स्केलिंग को समाप्त कर दिया है, जिसकी वजह से साइंस स्ट्रीम के अभ्यर्थियों को अधिक अंक मिल रहे हैं और मानविकी के अभ्यर्थियों के चयन का ग्राफ तेजी से नीचे जा रहा है। अभ्यर्थियों को कहना है कि पूर्व के परिणामों की टॉपरों की लिस्ट में हिंदी पट्टी एवं मानविकी के अभ्यर्थियों का दबदबा रहता था और अब ऐसे अभ्यर्थी पीसीएस के तहत एसडीएम, डिप्टी एसपी जैसे उच्च पदों पर चयन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि स्केलिग को पुन: लागू किया जाएगा या नहीं, यह आयोग के अध्यक्ष स्पष्ट करें। अभ्यर्थियों ने इस मसले पर आयोग के अध्यक्ष से मिलने के लिए समय मांगा है। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर आयोग स्केलिंग लागू नहीं करता है तो अन्य राज्यों की तरह वैकल्पिक विषयों का पेपर हटाकर उत्तर प्रदेश पर आधारित सामान्य अध्ययन का पेपर शामिल किया जाए, ताकि सभी अभ्र्थियों को चयन के लिए एक समान अवसर मिल सके।

दूसरा मुद्दा सफलता के मानक को लेकर है। प्रतियोगी छात्रों की मांग है कि पूर्व की भांति प्री में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना और मेंस में तीन गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जाए, जिसे घटाकर अब क्रमश: 13 एवं दो गुना कर दिया गया है। प्रतियोगियों का यह सुझाव भी है कि प्री में शामिल होने कुल अभ्यर्थियों में से दस फीसदी को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जा सकता है। यह व्यवस्था भी कुछ अन्य राज्यों में लागू है।

ओवरएज अभ्यर्थियों के मामले में नहीं हो सका निर्णय
आवेरएज अभ्यर्थियों को पीसीएस परीक्षा में दो अतिरिक्त अवसर दिए जाने की मांग पर अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है। अभ्यर्थियों का कहना है कि पीसीएस-2018 से परीक्षा के पैटर्न में बड़ा बदलाव किया गया, जिसकी वजह से तैयारी प्रभावित हुई। इसके बाद कोविड के कारण परीक्षा की तैयारी प्रभावित हुई। इस बीच बड़ी संख्या में अभ्यर्थी ओवरएज हो गए। ऐसे अभ्यर्थियों को पीसीएस परीक्षा में शामिल होने के लिए दो अतिरिक्त अवसर मिलने चाहिए।

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UPPSC : स्केलिंग, महिला आरक्षण के मुद्दे पर गतिरोध बरकरार

उत्तर कुंजी, मार्कशीट, कट ऑफ अंक जारी किए जाने का विवाद भी नहीं हो सका दूर
यूपीपीएससी के अध्यक्ष से मिलने के लिए अभ्यर्थी तैयार कर रहे मांगों की लंबी सूची

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) में नए अध्यक्ष संजय श्रीनेत के ज्वाइन करने के बाद भी कई मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं। पीसीएस परीक्षा में स्केलिंग, सभी भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट के साथ प्रतीक्षा सूची जारी किए जाने, परिणाम वाले दिन ही कटऑफ अंक और मार्कशीट जारी किए जाने जैसे तमाम मुद्दों को लेकर गतिरोध बना हुआ है। आयोग के अध्यक्ष ने अब कहा है कि कोविड की स्थिति सामान्य होने पर वह हर बृहस्पतिवार और आयोग के सचिव बुधवार को प्रतियोगी छात्रों से मिलकर उनकी समस्या जानेंगे और प्रयास करेंगे कि 15 दिनों में समस्या का निराकरण हो जाए। अध्यक्ष के इस बयान के बाद प्रतियोगी छात्रों में उम्मीद जगी है और वे अध्यक्ष से मिलने के लिए मांगों की लंबी फेहरिस्त तैयार कर रहे हैं।


आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए और इनमें से ज्यादातर बदलाव विवादित रहे। अभ्यर्थी लगातार दावा कर रहे हैं कि आयोग ने पीसीएस-2019 से स्केलिंग समाप्त कर दी है। पीसीएस परीक्षा के अंतिम चयन परिणाम पर इसका असर भी देखने को मिला और हिंदी पट्टी के अभ्यर्थियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। वहीं, पूर्व में आयोग भर्ती परीक्षा के रिजल्ट वाले दिन ही कटऑफ अंक, मार्कशीट एवं अंतिम उत्तर कुंजी जारी कर देता था, लेकिन अब यह प्रक्रिया भी बंद हो गई है। इससे अभ्यर्थियों को अपना मूल्यांकन करने में दिक्कत आ रही है। अभ्यर्थी लगातार मांग कर रहे हैं कि सभी भर्ती परीक्षाओं के रिजल्ट के साथ प्रतीक्षा सूची जारी की जाए, ताकि ओवरएज रहे अभ्यर्थियों के लिए चयन के अवसर बढ़ सकें। 

महिला आरक्षण का मुद्दे को लेकर भी लगातार विवाद बना हुआ है। यूपीपीएससी की भर्ती परीक्षाओं में अन्य राज्यों की महिला अभ्यर्थियों को क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिए जाने से यूपी की महिला अभ्यर्थियों के लिए चयन के अवसर तेजी से कम हुए हैं। वहीं, प्री और मेंस में सफलता के मानक बदले जाने से अभ्यर्थियों को सबसे सबसे बड़ा झटका लगा है। पहले प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना और मुख्य परीक्षा में तीन गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जाता था, लेकिन पूर्व अध्यक्ष के कार्यकाल में इसे घटाकर क्रमश: 13 एवं दो गुना कर दिया गया। अभ्यर्थी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। कॉपियों के मूल्यांकन को लेकर भी अभ्यर्थी सवाल उठाते रहे हैं और यह मांग करते रहे हैं कि कॉपियों को स्कैन कर ऑनलाइन देखने की व्यवस्था की जाए। 

अभ्यर्थी यह आरोप भी लगाते रहे हैं कि केवल इंटरव्यू के आधार पर होने वाली सीधी भर्ती में धांधली की आशंका बनी रहती है। ऐसे में स्क्रीनिंग परीक्षा के अंक जोड़कर मेरिट तैयार की जाए। इसके साथ ही पीसीएस जे परीक्षा में चार अवसरों की बाध्यता को समाप्त किया जाए। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि समिति की ओर से आयोग के अध्यक्ष से मिलने का समय मांगा जाएगा और उनके समक्ष ये सभी मुद्दे उठाए जाएंगे। अध्यक्ष से यह मांग भी की जाएगी कि आयोग सीबीआई जांच में पूरा सहयोग करे, ताकि पूर्व में आयोग की भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार के दोषियों को सजा मिल सके।

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