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Tuesday, February 20, 2024

STF की जांच ही तय करेगी आरओ/एआरओ परीक्षा का भविष्य

STF की जांच ही तय करेगी आरओ/एआरओ परीक्षा का भविष्य

यूपीपीएससी को मिले साक्ष्यों के आधार पर आंतरिक जांच समिति भी बढ़ी आगे

परीक्षा निरस्त कराने की मांग को लेकर फिर आयोग पहुंचे अभ्यर्थी


प्रयागराज। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद के बाद अब एसटीएफ की जांच ही इस परीक्षा का भविष्य तय करेगी। वहीं, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की आंतरिक जांच समिति भी अभ्यर्थियों की ओर से उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों के आधार पर आगे बढ़ रही है।

इन सबके बीच मंगलवार को सुबह 11 बजे के आसपास बड़ी संख्या में अभ्यर्थी यूपीपीएससी पहुंचे और आयोग का घेराव किया। शाम तक उनका धरना-प्रदर्शन भी चलता रहा। अभ्यर्थियों ने ज्ञापन देकर प्रारंभिक परीक्षा तत्काल निरस्त किए जाने की मांग की। अभ्यर्थियों ने पेपर लीक की जांच शीघ्र पूरी करते हुए दोषियों पर कार्रवाई की मांग भी की।

फिलहाल, मामला एसटीएफ के पास जाने के बाद परीक्षा पर कोई भी निर्णय लेना आयोग के लिए आसान नहीं रह गया है। वायरल हुआ पेपर लाखों मोबाइल फोन तक पहुंचा था। ऐसे में एसटीएफ के लिए भी यह पता लगा पाना इतना आसान नहीं रह गया है कि पेपर वायरल किए जाने की शुरुआत कब और कहां से हुई थी। यह पता लगाए बिना जांच भी पूरी नहीं होगी। ऐसे में यह मामला लंबा खिंच सकता है।

इससे पूर्व एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 में भी सामाजिक विज्ञान और हिंदी विषय का पेपर लीक होने के आरोप लगे थे और एसटीएफ ने इसकी जांच की थी। इस मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को जेल तक जाना पड़ा था। जब एसटीएफ ने जब क्लीन चिट दी तो उसके बाद आयोग ने सामाजिक विज्ञान और हिंदी ñ का परिणाम जारी किया था। जांच पूरी होने में तकरीबन एक साल का समय लग गया था। आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा

2023 के पेपर लीक विवाद में तो दो स्तर पर जांच चल रही है। इस बार आयोग ने भी अपने स्तर से तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी है और इसकी निगरानी एवं रोज अपडेट लेने के लिए अलग से मॉनीटरिंग कमेटी भी बना दी गई है। ऐसे में परीक्षा को लेकर जो भी निर्णय होगा, वह आंतरिक जांच समिति और एसटीएफ की जांच रिपोर्ट पर निर्भर करेगा।



UPPSC ने विज्ञप्ति जारी कर RO/ARO पेपर लीक प्रकरण पर अभ्यर्थियों से 02 मार्च तक माँगा प्रमाण/साक्ष्य




अभ्यर्थियों को जांच पर भरोसा नहीं परीक्षा निरस्त कराने की मांग पर अड़े, 

अभ्यर्थियों का दावा, पेपर लीक के हैं साक्ष्य, परीक्षा से पहले हो गया था वायरल

आरओ/एआरओ परीक्षा मामले में यूपीपीएससी पर सैकड़ों अभ्यर्थियों का धरना


प्रयागराज। समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) भर्ती-2023 की प्रारंभिक परीक्षा का पेपर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से शुरू कराई गई आंतरिक जांच पर अभ्यर्थियों को भरोसा नहीं है। बृहस्पतिवार को सैकड़ों अभ्यर्थी आयोग में धरना देने पहुंच गए।

अभ्यर्थियों का दावा है कि पेपर एक दिन पहले ही लीक हो गया था और उनके पास इसके साक्ष्य भी हैं। ऐसे में जांच का अब कोई मतलब नहीं रह गया है। अभ्यर्थी चाहते हैं कि पेपर निरस्त किया जाए और परीक्षा दोबारा कराई जाए। अभ्यर्थियों ने आयोग के मीडिया प्रभारी विनोद गौड़ को ज्ञापन भी सौंपा। अभ्यर्थियों ने उन्हें व्हाट्सएप मैसेज दिखाते हुए दावा किया किसी के मोबाइल में परीक्षा से एक दिन पहले रात 10:30 बजे तो किसी के पास परीक्षा वाले दिन सुबह 8:41 बजे पेपर पहुंच गया था। 

आयोग के मीडिया प्रभारी ने अभ्यर्थियों से कहा कि आंतरिक जांच समिति गठित कर दी गई है और एसटीएफ जांच के लिए शासन को संस्तुति भेजी गई है। अगर कोई अभ्यर्थी साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहता है तो डाक के जरिये आयोग को भेज सकता है। उन्होंने अभ्यर्थियों को भरोसा दिलाया कि किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

अभ्यर्थियों ने कहा कि उन्हें आंतरिक जांच और एसटीएफ की जांच पर भरोसा नहीं है। अभ्यर्थियों ने दरोगा भर्ती, केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा, वीडीओ भर्ती परीक्षा, लेखपाल भर्ती परीक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इन परीक्षाओं में भी पेपर लीक हुए थे और जांच भी कराई गई थी लेकिन बाद में लीपापोती कर दी गई। अभ्यर्थियों ने कहा कि उन्हें आयोग और सरकार की आलोचना नहीं करनी है। उनकी स सिर्फ एक मांग है कि प्रारंभिक परीक्षा निरस्त करते हुए दोबारा आयोजित की जाए।


केंद्रों की अधिक संख्या ने बढ़ाई मुसीबत

प्रयागराज। आरओ/एआरओ परीक्षा-2023 के लिए इस बार 1076004 से अभ्यर्थियों ने आवेदन किए थे। आयोग की किसी भी परीक्षा के लिए पहली बार इतनी बड़ी संख्या में आवेदन आए थे। ऐसे में पिछली परीक्षाओं के मुकाबले इस बार केंद्रों की संख्या भी अधिक थी। 11 फरवरी को हुई प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्र बनाए गए थे। इस बार कई छोटे स्कूलों को भी केंद्र बना दिया गया था। केंद्रों में अव्यवस्था की शिकायतें भी आई थीं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि अधिक संख्या में केंद्रों को आयोग संभाल नहीं सका और इसी वजह से परीक्षा शुरू होने से पहले सुबह पेपर वायरल हो गया। 


कमेटी ने शुरू की जांच, प्रतियोगी छात्रों ने की न्यायिक जांच की मांग, सोशल मीडिया में ट्रेंड हो रहा–कैंसल आर/एआरओ एग्जाम


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की तीन सदस्यीय आंतरिक जांच समिति ने 12 फरवरी को हुई समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक के आरोपों की जांच मंगलवार को ही शुरू कर दी है। हालांकि इस मामले की एसटीएफ जांच को लेकर शासन के फैसले का अभी इंतजार है। चूंकि इसकी मुख्य परीक्षा छह महीने बाद 28 जुलाई को होनी है, इसलिए इस मामले को लेकर आयोग के अधिकारी खासे गंभीर हैं।

जांच समिति के समक्ष पहला सवाल है कि पेपर लीक हुआ भी या नहीं। यदि पेपर लीक हुआ है तो मुख्य परीक्षा पर भी संकट आना तय है। यदि पेपर लीक हुआ तो किस केंद्र से हुआ। केंद्र निर्धारण को लेकर पहले भी सवाल उठ चुके हैं। आयोग तो जिलाधिकारी के स्तर से केंद्रों का निर्धारण करता है लेकिन तमाम जिलों में निजी स्कूलों और डीएम कार्यालय के बाबुओं की साठगांठ से राजकीय और एडेड कॉलेजों को नजरअंदाज करते हुए वित्तविहीन स्कूलों को केंद्र बना दिया जाता है। पेपर लीक के अधिक मामलों में निजी स्कूलों की मिलीभगत के बावजूद मानकविहीन केंद्र निर्धारण होते आ रहे हैं।

गौरतलब है कि 11 फरवरी को आयोजित आरओ/एआरओ परीक्षा की कथित उत्तरकुंजी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद 12 फरवरी को आयोग ने इस मामले की एसटीएफ से जांच कराने की सिफारिश शासन से की थी। आयोग ने इस पूरी परीक्षा की जांच के लिए एक आन्तरिक समिति का गठन किया है। आरओ के 334 और एआरओ के 77 कुल 411 पदों के लिए 11 फरवरी को प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा को लेकर बवाल हुआ था। इस परीक्षा के लिए पंजीकृत 1076004 अभ्यर्थियों में से 64 प्रतिशत उपस्थित रहे।


प्रतियोगी छात्रों ने की न्यायिक जांच की मांग
प्रयागराज। आरओ/एआरओ 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक के आरोपों के बीच प्रतियोगी छात्रों ने इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। छात्रों का कहना है कि तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया जाए जिसमें एक हाईकोर्ट के वर्तमान जज तथा दो हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हों। सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि 15 दिन के अंदर जांच पूरी हो। एक ई-मेल आईडी/ पोस्ट बॉक्स एड्रेस/ व्हाट्सएप नंबर जारी हो जिस पर पीड़ित अभ्यर्थी शिकायतें भेज सकें। शिकायतकर्ता की पहचान गुप्त रखी जाए।


एक्स पर ट्रेंड हो रहा, कैंसल आर/एआरओ एग्जाम

प्रयागराज। आरओ/एआरओ परीक्षा में पेपर लीक का दावा कर रहे छात्रों ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर अभियान छेड़ रखा है। हैशटैग आरओ/एआरओ पेपरलीक, यूपीपीएससी वी डिमांड रीएग्जाम और कैंसल आर/एआरओ एग्जाम आदि बुधवार को ट्रेंड करते रहे। वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष कौशल सिंह की अध्यक्षता में सभी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म स्टडी चैनल ने हिस्सा लिया और इस मामले में खुलकर सामने आने की प्रतिबद्धता जाहिर की। प्रतियोगी छात्रों के अतिरिक्त आमजन, अधिवक्ता एवं चयनित ऑफिसर से भी सहयोग मांगा है। प्रतियोगी छात्र 17 फरवरी शनिवार दोपहर 12 बजे आयोग के अधिकारियों से वार्ता के लिए गेट नंबर तीन पर उपस्थित होंगे।



आरओ-एआरओ भर्ती परीक्षा के पेपर आउट के आरोपों की एसटीएफ से जांच की सिफारिश, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने आंतरिक जांच समिति भी की गठित


पीसीएस व अन्य परीक्षाओं के पेपर हो चुके हैं लीक

आयोग को करानी पड़ी थी दोबारा परीक्षा, एक परीक्षा नियंत्रक को हो चुकी है जेल

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोक सेवा ने रविवार को प्रदेश के 58 जिलों में आयोजित हुई समीक्षा अधिकारी- सहायक समीक्षा (आरओ-एआरओ) अधिकारी प्रारंभिक परीक्षा-2023 के पेपर लीक होने के आरोपों की एसटीएफ से जांच कराने की शासन से सिफारिश की है। आयोग ने एक आंतरिक कमेटी का गठन भी किया है। आयोग सचिव का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।


रविवार को प्रदेश के 58 जिलों के 2387 केंद्रों पर दो सत्रों में परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में कुल 10.76 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। परीक्षा में 64 प्रतिशत अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। इसी परीक्षा की पहली पाली में गाजीपुर के एसएम नेशनल इंटर कॉलेज मच्छटी केंद्र का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कुछ अभ्यर्थी प्रश्न पत्र के लीक होने का दावा करते हुए नाराजगी जता रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि सुबह की पाली में उन्हें प्रश्न पत्र का बंडल खुला हुआ मिला था। साफ है कि पेपर परीक्षा से पहले ही लीक हो चुका है। दावा किया कि इसके लिए आपत्ति जताने पर परीक्षा केंद्र के प्रभारी ने गलती भी मानी है। इस वायरल वीडियो ने तूल तब पकड़ा जब अखबारों में यह खबर छपी। फिर, राजनीतिक लोगों के कमेंट भी आने शुरू किया। आयोग ने सोमवार को इसका संज्ञान लेते हुए आंतरिक जांच कमेटी गठित कर दी।

आयोग के सचिव अशोक कुमार ने मीडिया को जारी बयान में कहा है कि आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 के संबंध में खबरों को देखते हुए आंतरिक जांच समिति गठित की है। साथ ही, इस परीक्षा के सारे बिंदुओं पर एसटीएफ से जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए शासन से अनुशंसा की गई है। जांच के बाद परीक्षा की शुचिता को ध्यान में रखकर आयोग उचित निर्णय लेगा।

एसटीएफ से परीक्षा की जांच कराने की सिफारिश

प्रयागराज : समीक्षा अधिकारी (आरओ)/ सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) 2023 की प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक के आरोपों के बीच उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने इस मामले की एसटीएफ से जांच कराने की सिफारिश की है। आरओ के 334 और एआरओ के 77 कुल 411 पदों के लिए रविवार को प्रदेश के 58 जिलों में 2387 केंद्रों पर आयोजित परीक्षा को लेकर बवाल मचा हुआ है।


आयोग के सचिव अशोक कुमार के अनुसार, आरओ/ एआरओ (प्रारम्भिक) परीक्षा-2023 के संबंध में समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों को दृष्टिगत रखकर आयोग ने इस पूरी परीक्षा की जांच के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है। साथ ही आरओ/एआरओ (प्रारम्भिक) परीक्षा-2023 के सारे बिन्दुओं पर एसटीएफ से जांच कराने का निर्णय लिया गया है, जिसके लिए शासन को अनुशंसा की गयी है। जांच के बाद परीक्षा की शुचिता को दृष्टिगत रखकर आयोग के स्तर से उचित निर्णय लिया जाएगा। उधर, प्रतियोगी छात्रों का दावा है कि शनिवार आधी रात के बाद ही पेपर आउट हो गया था। हल उत्तरकुंजी व्हाट्सएप ग्रुपों पर वायरल होने लगी थी। परीक्षा को पंजीकृत 1076004 अभ्यर्थियों में से 64 प्रतिशत उपस्थित रहे।

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