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Friday, November 6, 2020

100 साल पुराने अर्हता नियमों के विरोध में गरजे अभ्यर्थी, टीजीटी-पीजीटी 2020 की भर्ती में कला विषय का मामला।

100 साल पुराने अर्हता नियमों के विरोध में गरजे अभ्यर्थी, टीजीटी-पीजीटी 2020 की भर्ती में कला विषय का मामला।

प्रदर्शन

▪️टीजीटी-पीजीटी 2020 की भर्ती में कला विषय का मामला

▪️यूपी बोर्ड मुख्यालय में बीएफए, एमएफए वालों का प्रदर्शन

▪️सचिव को ज्ञापन देकर विसंगति दूर करने की मांग की

प्रयागराज : सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के लिए प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता ( पीजीटी ) 2020 भर्ती में कला विषय में 100 साल पुराने नियमों के विरोध में प्रतियोगी छात्रों ने शुक्रवार को यूपी बोर्ड मुख्यालय में प्रदर्शन किया। बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए), मास्टर ऑफ फाइन आर्ट्स (एमएफए) और बीए पेंटिंग जैसी उच्च योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों ने इंटर स्तर की योग्यता के आधार पर चयन प्रक्रिया शुरू करने को लेकर सवाल उठाए। 


सचिव यूपी बोर्ड को ज्ञापन देकर पुराने नियमों को संशोधित करने और उसके अनुरूप भर्ती करने की मांग की। अभ्यर्थियों का कहना है कि 4 साल प्रोफेशनल कोर्स करने का क्या फायदा जब शिक्षक भर्ती में इंटर योग्यता वालों को अवसर देना है। 2020 में इंटरमीडिएट शिक्ष अधिनियम 1921 मान्य क्यों है। लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स की टीचर सीनियर सर्टिफिकेट का आजादी के 73 साल बाद शैक्षिक अर्हता में शामिल होना चिंता का विषय है।


कला विषय पूर्णतया प्रायोगिक है। इसमें चयन के लिए प्रायोगिक परीक्षा की व्यवस्था नहीं होने से अन्य विषयों के विद्यार्थी इसका अनावश्यक लाभ उठाते हैं। सीबीएसई या सीआईएससीई जैसे बोर्ड जहां प्राविधिक कला कोर्स में ही नहीं है, वहां के छात्र कैसे आवेदन करेंगे। प्रतियोगी छात्रों ने सचिव यूपी बोर्ड दिव्यकांत शुक्ला को ज्ञापन देकर विषय संबंधी विसंगति दूर कराने की मांग की। प्रदर्शन करने वालों में प्रदीप विश्वकर्मा, रजनीकांत मिश्रा, दीपक कुमार विश्वकर्मा, अखिलेश कुमार, रिपुदमन यादव और अजय सिसोदिया आदि रहे।

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