UPSSSC : एक कदम आगे, दो कदम पीछे, अफसरों को इधर-उधर करने के खेल में भर्ती प्रक्रिया अटकने की सम्भावना।
लखनऊ : समूह 'ग' के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए गठित उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूपीएसएसएससी) के साथ प्रयोग का दौर खत्म नहीं हो रहा है। एक साल बाद खाली पदों पर भर्ती की कार्यवाही बढ़ने की स्थिति बनी तो आयोग में अफसरों को इधर-उधर करने का खेल शुरू हो गया है। एक बार फिर लंबित भर्ती प्रक्रिया के और अटकने के साथ ही नई की तैयारी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
योगी सरकार ने आते ही सपा राज में गठित आयोग द्वारा भर्तियों पर रोक लगा दी थी। 10 महीने बाद जनवरी 2018 में रिटायर्ड आईएएस अफसर सीबी पालीवाल को आयोग का चेयरमैन और अन्य सदस्यों की नियुक्ति कर भर्ती कार्यवाही को आगे बढ़ाने की पहल हुई। मगर पालीवाल ने दिसंबर-2018 में पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद करीब एक वर्ष तक नियमित चेयरमैन का पद खाली रहा। हालांकि कार्यवाहक चेयरमैन अरुण सिन्हा ने कई पदों पर भर्ती कार्यवाही आगे बढ़ाई।
दिसंबर 2019 में नियमित चेयरमैन के रूप में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी प्रवीर कुमार की तैनाती की गई। तब आयोग के पास करीब 35 हजार रिक्त पदों पर भर्ती के प्रस्ताव लंबित थे। कुमार ने आते ही मौजूदा भर्ती प्रक्रिया में बदलाव कर द्विस्तरीय भर्ती प्रणाली का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया। फिर इसकी मंजूरी के इंतजार में कोई नई भर्ती नहीं निकाली।
प्रदेश सरकार ने प्रस्ताव को मंजूरी देने में 9 महीने लगा दिए। नतीजतन बीते एक वर्ष में कोई नई भर्ती नहीं निकाली गई। अब भर्ती कार्यवाही में जब तेजी की उम्मीद की जा रही थी तो नई अड़चनें आने लगी हैं।
और लखनऊ के एडीएम को बना दिया कार्यवाहक परीक्षा नियंत्रक
शासन ने कुछ महीने पहले तैनात किए गए आयोग के परीक्षा नियंत्रक का गुपचुप तरीके से तबादला कर दिया। तीन वर्ष में तीन परीक्षा नियंत्रक की तैनाती की जा चुकी है। दूसरी ओर ऐसे नए परीक्षा नियंत्रक की तैनाती की गई, जिसका पहले से ही कार्यभार ग्रहण करना मुश्किल माना जा रहा था। उसने अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। 1. इसका असर यह हुआ कि 26 नवंबर को आयोग की बैठक में परीक्षा नियंत्रक की अनुपस्थिति के चलते नई भर्ती को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका। शनिवार तक नए परीक्षा नियंत्रक के नहीं आने से एक दिसंबर से प्रस्तावित एक इंटरव्यू व दक्षता परीक्षा का कार्यक्रम स्थगित होने की नौबत आने वाली थी। मगर शासन ने शनिवार को आनन फानन में राजधानी लखनऊ जैसे बेहद संवेदनशील जिले के अपर जिलाधिकारी विपिन कुमार मिश्र को कार्यवाहक परीक्षा नियंत्रक का अतिरिक्त प्रभार सौंपकर जिम्मेदारी पूरी कर ली। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शासन की नजर में आयोग की क्या महत्ता है?
आयोग के अफसरों को लॉकडाउन में बना दिया नोडल अधिकारी
कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन में जब अन्य भर्ती आयोग अपनी रुकी भर्तियों को आगे बढ़ाने में लगे थे, शासन ने यूपीएसएसएससी के अधिकारियों को बतौर नोडल अधिकारी जिलों में संक्रमण रोकने के लिए भेज दिया। तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक व सचिव को अलग-अलग लगभग तीन तीन सप्ताह के लिए भेजा गया। नतीजतन आयोग की गतिविधियां दो माह तक लगभग ठप रहीं।
उप सचिव मातृत्व अवकाश पर, रजिस्ट्रार वक्फ को अतिरिक्त प्रभार
आयोग में उप सचिव का पद भी काफी दिनों से उधार के भरोसे चल रहा है। शासन से नियुक्त नियमित उप सचिव पहले मातृत्व अवकाश पर गईं। इसके बाद वह बाल्य देखभाल अवकाश पर चली में। उनकी जगह रजिस्ट्रार वक्फ को अतिरिक्त प्रभार दिया गया, जो आधा समय ही आयोग में दे पाती है।
आयोग अपने पदों पर नहीं कर रहा भर्ती, 86 में 56 पद खाली
आयोग में 2 अनुसचिव में से एक और 14 अनुभाग अधिकारी में से 13 पद खाली हैं। 41 प्रवर वर्ग सहायक में से 20 ही कार्यरत हैं। के सभी 10 पद खाली हैं। मगर आयोग अपने ही खाली पदों पर भर्ती नहीं कर पा रहा है। सूत्रों का कहना है कि सैवा नियमावली में शिथिलता का प्रस्ताव शासन में अटका है, जिससे न तो पदोन्नति हो पा रही है और न ही रिक्त पदों पर भर्ती हालांकि शासन आयोग का काम चलाने के लिए 15 रिटायर्ड कर्मियों की छह-छह माह के लिए नियुक्ति की अनुमति जरूर देता है। इनकी तैनाती अवधि 30 नवंबर को खत्म हो रही है। इनकी पुनर्नियुक्तिया सेवा वृद्धि के प्रस्ताव पर शासन की अनुमति का इंतजार है।
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