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Monday, February 1, 2021

यूपी के विकास प्राधिकरणों में भरे जाएंगे एससी-एसटी के पद, शासन ने अधिकारियों से मांगा रिक्त पदों का ब्योरा

यूपी के विकास प्राधिकरणों में भरे जाएंगे एससी-एसटी के पद, शासन ने अधिकारियों से मांगा रिक्त पदों का विवरण

प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद में कार्यरत अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों अधिकारियों के बारे में शासन ने रिपोर्ट मांगी है। प्राधिकरण में 30 सितंबर 2020 तक अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के विभिन्न सेवाओं व पदों पर काम करने वालों कर्मियों के बारे में ही जानकारी मांगी है। कितने पद आरक्षित कोटे से भरे गए हैं और कितने खाली हैं इसका भी ब्योरा तलब हुआ है।


विधानमंडल की अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति ने शासन के आवास एवं नियोजन विभाग से प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व आवास विकास में आरक्षण के अनुसार पदों पर कार्यरत कर्मियों के बारे में जानकारी मांगी थी। इस कड़ी में शासन ने 29 दिसंबर 2020 को विशेष सचिव आवास की अध्यक्षता में प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में वाराणसी, मथुरा, वृंदावन, प्रयागराज, अलीगढ़, उन्नाव- शुक्लागंज, मिर्जापुर-विंध्याचल, आगरा, हापुड़-पिलखुआ, अयोध्या, उरई, आजमगढ़, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, बरेली एवं मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने ही प्रतिभाग किया था। बाकी विकास प्राधिकरण के अधिकारी नहीं आए थे। इस मामले में शासन ने गंभीर नाराजगी भी जताई है।

प्राधिकरणों से मामले में स्पष्टीकरण भी मांगा है। प्रमुख सचिव आवास दीपक कुमार ने 8 जनवरी को प्रदेश के विकास प्राधिकरणों व आवास विकास के अधिकारियों से अति शीघ्र अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के कार्यरत कर्मियों के बारे में पूरा ब्योरा देने को कहा है। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा विमुक्त जातियों संबंधी संयुक्त समिति जानना चाहती है कि प्राधिकरण में इस श्रेणी के कितने कर्मचारी अधिकारी कार्यरत हैं। कितने पद खाली हैं। ताकि आगे भरने की कवायद कराई जा सके। फिलहाल कमेटी ने 30 सितंबर 2020 तक की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है। 
 
प्राधिकरणों में 2010 के बाद नहीं हुई कोई भर्ती
प्रदेश के प्राधिकरणों व आवास विकास में बड़े पैमाने पर कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं। लेकिन नई भर्ती नहीं हो रही है। आरक्षित कोटे के ही नहीं सामान्य वर्ग के भी सैकड़ों पद खाली हैं। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद में लगभग 50% पद खाली हो चुके हैं। अकेले आवास विकास में ही करीब 1000 पद खाली हैं। इसकी वजह से यहां कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। इंजीनियरों की संख्या भी काफी कम हो गई है। इनकी भर्ती के लिए कई सालों से कवायद चल रही है लेकिन अभी तक एक इंजीनियर भी भर्ती नहीं हो पाए हैं। लोक सेवा आयोग को इनकी भर्ती की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन अभी उसने अपनी आगे की भर्ती की प्लानिंग में भी इसे शामिल नहीं किया है। इससे 2 से 3 साल और भर्ती की उम्मीद नहीं है। इसी तरह एलडीए के अलावा गाजियाबाद, केडीए सहित कई बड़े प्राधिकरण में भी कर्मचारियों की काफी कमी हुई है।

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