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Thursday, February 18, 2021

पीसीएस ही नहीं, एसएससी की परीक्षाओं में यूपी के अभ्यर्थी हाशिये पर

पीसीएस ही नहीं, एसएससी की परीक्षाओं में यूपी के अभ्यर्थी हाशिये पर

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की पीसीएस परीक्षा ही नहीं, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की परीक्षाओं में भी हिंदी पट्टी का सफाया हो गया है। आंकड़ों के लिहाज से एसएससी की सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल (सीजीएल) में मध्य क्षेत्र (यूपी बिहार) के छात्रों का चयन नहीं के बराबर है। जबकि सीजीएल परीक्षा के आधे आवेदक मध्य क्षेत्र से होते हैं और अंतिम चयन 15 फीसदी से भी कम छात्रों का हुआ है।


एसएससी सीजीएल के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2012 में कुल सफल होने वाले 10659 में यूपी-बिहार से मात्र 1572 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। 2013 में सफल 15142 अभ्यर्थियों में यूपी-बिहार से मात्र 786 ही सफल रहे। 2014 में 15549 पदों के सापेक्ष मात्र 1050 अभ्यर्थी, 2015 में 8493 पदों के सापेक्ष पहले से भी कम 517, 2016 में 10659 पदों के 1431 अभ्यर्थी और सीजीएल 2017 में कुल 8120 पदों के सापेक्ष यूपी-बिहार से मात्र 902 अभ्यर्थी चुने गए। 

विशेषज्ञों ने कहा
एक समय में पीसीएस सहित वन डे एक्जाम में अपने शहर के परीक्षार्थियों का दबदबा रहता था। बदली परिस्थितियों में आईएएस, पीसीएस सहित एसएससी की परीक्षाओं में हमारे प्रतियोगी लगातार पिछड़ रहे हैं। उनका कहना है कि हिंदी पट्टी के छात्रों के लिए यह हालत चिंताजनक है। - ओपी शुक्ला, एसएससी परीक्षाओं के विशेषज्ञ

प्रतियोगी बोले
सिविल सेवा परीक्षा में पहले से ही यूपी बोर्ड से पढ़ाई करने वाले छात्र किनारे हो गए हैं। अब पीसीएस परीक्षा में इंजीनियरिंग के छात्रों का दबदबा बढ़ने के बाद अब यहां भी रास्ते बंद हो गए हैं। एसएससी में भी 2012 से लगातार यूपी-बिहार के छात्रों का चयन 15 फीसदी से कम रह गया है। -अजित सोनकर, एसएससी प्रतियोगी
एसएससी की सीजीएल परीक्षा सहित दूसरी परीक्षाओं में भी यूपी-बिहार के छात्रों का चयन लगातार कम हो रहा है। देश भर के आधे से अधिक प्रतियोगी छात्र यूपी-बिहार से आते हैं, मूल्यांकन के बदले पैटर्न और ऑनलाइन परीक्षा के औसत पर आधारित अंकों के चलते छात्रों का सही मूल्यांकन नहीं हो रहा। आयोग को मूल्यांकन के तरीके में बदलाव करना चाहिए। -- साक्षी मिश्रा, एसएससी प्रतियोगी

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