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Sunday, March 7, 2021

आयोग की भर्तियों में भी सेंधमारी, जांच तक सिमटी कार्रवाई, लगातार सामने आ रहे मामले, सिर्फ एक मामले में हो सकी है गिरफ्तारी

आयोग की भर्तियों में भी सेंधमारी, जांच तक सिमटी कार्रवाई, लगातार सामने आ रहे मामले, सिर्फ एक मामले में हो सकी है गिरफ्तारी

प्रयागराज : एसएससी व अन्य प्रधानों के बाद अब उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में भी सेंधमारी की कोशिशें होने लगी हैं। पिछले कुछ वक्त में लगातार इस तरह के मामले सामने आए हैं। जिनमें आयोग की ओर से मुकदमा भी दर्ज कराया गया। हालांकि ज्यादातर मामलों में कार्रवाई लंबित है।


आयोग की परीक्षा में फर्जीवाड़ा का एक मामला इसी साल जनवरी में सामने आया। सहायक सांख्यिकी अधिकारी भर्ती में चयनित होने के लिए चार अभ्यर्थियों ने पीजीडीसीए का जाली प्रमाणपत्र लगाया। इनके प्रथम एवं द्वितीय आवेदन में अनिवार्य कंप्यूटर अर्हता के संबंध में लगाए गए प्रमाणपत्र अलग-अलग थे रिपोर्ट दर्ज कराई गई लेकिन डेढ़ महीने बीतने के बाद भी इस जांच पूरी नहीं हो सकी। इसी तरह तीन दिन पहले खंड शिक्षा अधिकारी परीक्षा में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया आरोप है कि प्रणव नाम के अभ्यर्थी ने आवेदन के समय बीएड का फर्जी प्रमाणपत्र लगाया। संदिग्ध लगने पर प्रमाणपत्र की जांच कराने पर पता चला कि अभ्यर्थी के बीएड के समस्त सेमेस्टर के अंकपत्र फर्जी हैं। क्योंकि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी की ओर से बीएड पाठ्यक्रम का संचालन नहीं किया जाता। कार्रवाई का हाल यह है कि पुलिस अब तक साक्ष्य संकलन में ही जुटी है।

पिछले साल फरवरी में उप्र लोक सेवा आयोग की 2018 एलटी ग्रेड जीव विज्ञान विषय की परीक्षा में व धांधली की बात सामने आई थी। f इसमें ओएमआर शीट बदले जाने की आशंका पर दो अभ्यर्थियों सूर्यवली व सूर्यभान को धोखाधड़ी, कूटरचना व अन्य आरोपों में नामजद किया गया था। बाद में सूर्यवली पुत्र रामकरन को गिरफ्तार किया गया था। जिसने बताया कि उसने 30 हजार रुपये देकर सूर्यभान को परीक्षा में बैठाया था और पूर्व निर्धारित योजना के मुताबिक ही परीक्षा के दौरान उन्होंने ओएमआर शीट पर एक-दूसरे के रोल नंबर व प्रश्न पुस्तिका संख्या दर्ज की।

हालांकि अब तक पुलिस दूसरे आरोपी सूर्यभान का पता नहीं लगा सकी है। इसी तरह दो दिन पहले सम्मिलित राज्य अभियंत्रण सेवा परीक्षा 2019 में आंसर शीट बदले जाने समेत अन्य आरोपों में अभ्यर्थी समेत तीन पर एफआईआर दर्ज कराई गई। इनमें परीक्षा केंद्र इंटर कॉलेज, मनसैता थरवई के प्रधानाचार्य सत्येंद्र कुमार चौधरी, बाबू जेआरडी पाल का नाम भी शामिल है। पुलिस इस मामले में भी जांच में जुटी है। 

साक्ष्य जुटाना मुश्किल

जानकारों का कहना है कि आयोग की भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े से संबंधित ज्यादातर मामले हाईप्रोफाइल होते हैं। इनमें धोखाधड़ी से लेकर दस्तावेजों की कूटरचना व उनके इस्तेमाल के भी मामले होते हैं। पहले तो विवेचक के लिए संपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्यों का संकलन करना ही बड़ी चुनौती होती है। इसके बाद आरोपियों की गिरफ्तारी भी मुश्किल होती है क्योंकि अक्सर वह गैरजनपदों के रहने वाले होते हैं । ऐसे में विवेचक भी निस्तारण से ज्यादा वक्त काटने में लगा रहता है।

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