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Monday, March 8, 2021

सीबीआइ की आपराधिक केस दर्ज करने की तैयारी, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की 2012 से 2017 तक का भर्ती प्रकरण, एपीएस भर्ती की तरह राज्य सरकार से अनुमति में देरी

सीबीआइ की आपराधिक केस दर्ज करने की तैयारी, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की 2012 से 2017 तक का भर्ती प्रकरण, एपीएस भर्ती की तरह राज्य सरकार से अनुमति में देरी।


प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्तियों में भ्रष्टाचार खंगाल रही सीबीआई बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। अज्ञात के खिलाफ पहले ही एफमाइबार है, अब आपराधिक केस दर्ज होंगे। इसके लिए सरकार से अनुमति मिलने की राह देखी जा रही है। वजह, संदिग्ध अफसर नियुक्ति पा चुके हैं। जिस तरह अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती को जांच की अनुमति में समय लगा या वैसे ही इस बार भी अनुमति का पेच फंसा है।


 असल में 20 जुलाई, 2012 को मुख्यमंत्री ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की सीबीआइ जांच कराने की घोषणा की। 31 जुलाई को 2012 से 2017 तक की भर्तियों की जांच की केंद्र सरकार को सिफारिश की गई। 21 नवंबर, 2017 को केंद्र सरकार के कार्मिक व पेंशन मंत्रालय की ओर से यूपीपीएससी की सीबीआइ जांच को अधिसूचना जारी को गई थी। एसपी सीची आइ भ्रष्टाचार निरोधक प्रकोष्ठ शास प्रथम राजीव रंजन ने तेजी से जांच प्रक्रिया आगे चदाई थी। लेकिन, उनके हटाए जाने के बाद से जांच की रफ्तार धीमी हुई। हालांकि कुछ अंतराल के बाद जांच टीम आयोग व कैप कार्यालय आकर प्रतियोगियों व संदिग्ध चयनित केबयान दर्ज करती रही।

इधर, सीबीआइने राज्य सरकार से वर्ष 2012 से वर्ष 2017 तक ही भर्ती जांच को अभियोजन स्वीकृति दानी आपराधिक केस दर्ज करने के लिए स्वीकृति मांगी है। वजह, लगभग सभी संदिग्ध राज्य सरकार की सेवा में हैं। सीबीआइ मुख्यालय से पत्र दिसंबर 2020 में भेजा गया, किंतु राज्य सरकार के बड़े नौकरशाह इसे दबाए हैं, सूत्रों के अनुसार फिलहाल वह पत्र न्याय विभाग के पास पहुंचा है। वहाँ से स्वीकृति मिलते ही प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है। ज्ञात हो कि अपर निजी सचिव भर्ती की फाइल भी उत्तर प्रदेश सरकार के कुछ अफसरी ने लंबे समय तक रोकी बी, प्रकरण उजागर होने पर स्वीकृति सीबीआइ मुख्यालय को मिली थी।

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