Searching...
Thursday, June 2, 2022

न्यायालय विषय विशेषज्ञ की राय पर आमतौर पर नहीं कर सकता हस्ताक्षेप, कोर्ट को रिसर्च करने का अधिकार नहीं

न्यायालय विषय विशेषज्ञ की राय पर आमतौर पर नहीं कर सकता हस्ताक्षेप, कोर्ट को रिसर्च करने का अधिकार नहीं

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायालय विषय विशेषज्ञ की राय पर आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं कर सकता। कोर्ट को रिसर्च करने का अधिकार नहीं है, न अभ्यर्थी विशेषज्ञ हो सकता । यह आदेश न्यायमूर्ति मंजूरानी चौहान ने अनूप कुमार सिंह व अन्य की याचिका पर दिया है। साथ ही उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की तरफ से आयोजित सहायक प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में भूगोल विषय की उत्तर कुंजी को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है। याची का कहना था कि छह सवालों के जवाब सही नहीं हैं। उसकी उत्तर पुस्तिका का पुनर्मूल्यांकन किया जाए । आयोग का कहना था कि विशेषज्ञ परीक्षक ने आपत्तियों की जांच के बाद उत्तरकुंजी अपलोड की है। विकल्प उत्तर गलत नहीं है।


कोर्ट ने कहा परीक्षक विषय विशेषज्ञ एक स्वतंत्र निकाय है। न्यायालय को उनकी राय पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। यदि गलती हुई हो तो विशेषज्ञ की राय लेकर उसका लाभ सबको मिलना चाहिए । यदि उत्तर कुंजी से स्पष्ट रूप से गलती दिख रही हो तो उसी स्थिति में हस्तक्षेप किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि परीक्षा उत्तर कुंजी विषय विशेषज्ञ, परीक्षक द्वारा तैयार की जाती है। उत्तरकुंजी को गलत साबित करने का भार | अभ्यर्थी पर है। उसकी आशंका पर पुनर्मूल्यांकन का आदेश जारी कर कोर्ट अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण नहीं कर सकती।

0 comments:

Post a Comment