UPPSC : पारदर्शिता के लिए बदलेगी स्केलिंग, माडरेशन प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग प्रक्रिया की करा रहा है समीक्षा
प्रयागराज : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग भर्तियों में निष्पक्षता के लिए लगातार बदलाव कर रहा है। पेपर बनाने की प्रक्रिया सख्त की गई। विषय विशेषज्ञों की मनमानी रोकने के लिए उनके काम पर नजर रखी जा रही है। जल्द स्केलिंग व माडरेशन प्रक्रिया में भी बदलाव हो सकता है। दोनों प्रक्रिया में मनमाना नंबर बढ़ाने व घटाने का आरोप लगता रहा है।
सीबीआइ भी माडरेशन व स्केलिंग की आड़ में नंबरों में किए गए हेर-फेर को पकड़ चुकी है। यही कारण है कि प्रतियोगी छात्र आयोग अध्यक्ष से कई बार दोनों प्रक्रिया में बदलाव की मांग कर चुके हैं। अब आयोग उसमें बदलाव की दिशा में काम कर रहा है। प्रतियोगी परीक्षाओं की कापियां जांचने के लिए माडरेशन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें विशेषज्ञ एक कापी को नमूना के रूप में जांचते हैं। वह जो नंबर देते हैं उसी के अनुरूप कापियों का मूल्यांकन होता है, लेकिन 2012 से 2016 तक हुई अधिकतर परीक्षाओं में कापियों के मूल्यांकन में उक्त नियम का पालन नहीं हुआ। चहेतों को पास करने को नंबर देने का आरोप लगा है। वहीं, स्केलिंग प्रक्रिया से अभ्यर्थियों को अलग-अलग विषयों में मिलने वाले नंबरों में साम्यता लायी जाती है। इसका प्रयोग पीसीएस की मुख्य परीक्षा में किया जाता है। पिछली परीक्षाओं में स्केलिंग के नाम पर नंबर बढ़ाए व घटाए गए हैं। पीसीएस 2011 व 2015 में माडरेशन में हुई गड़बड़ी पर सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, स्केलिंग प्रक्रिया में एपीएस 2010, अवर अधीनस्थ 2013, समीक्षा अधिकारी 2014 में सीबीआइ को काफी गड़बड़ी मिली है। इसको देखते हुए आयोग स्केलिंग व माडरेशन प्रक्रिया को ठीक करने में जुटा है।
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