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Wednesday, September 22, 2021

NTA के माध्यम से रेलवे में नियुक्तियों की तैयारी, देश के सभी RRB और RRC बंद करने का प्रस्ताव


NTA के माध्यम से रेलवे में नियुक्तियों की तैयारी, देश के सभी RRB और RRC बंद करने का प्रस्ताव



प्रयागराज : प्रयागराज समेत देश के सभी रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) और रेल भर्ती प्रकोष्ठ (आरआरसी) बंद होंगे। इन्हें बंद करने की तैयारी शुरू हो गई है। इस तरह का एक प्रस्ताव केंद्रीय वित्त मंत्रालय के प्रिंसिपल इकोनोमिक एडवाइजर संजीव सान्याल ने तैयार किया था। उस प्रस्ताव को मंत्रीमंडल सचिवालय की हरी झंडी मिलने के बाद रेल मंत्रालय को भेजा गया। अब रेलवे ने उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) प्रयागराज जोन समेत सभी जोनल रेलवे को जरूरी कार्रवाई करने के लिए भेजा है।


एनसीआर जोन को भेजे गए इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्तमान समय देश में कुल 21 आरआरबी हैं। में इसके अलावा 16 आरआरसी का भी संचालन हो रहा है। इसके स्थान पर सरकार द्वारा गठित नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से आने वाले समय में केंद्र सरकार के अधीन आने वाले कार्यालयों में नियुक्ति की जाएगी एनटीए द्वारा नियुक्ति प्रक्रिया किए जाने से आरआरबी और आरआरसी की कोई जरूरत नहीं रह जाती है। बता दें कि प्रयागराज में आरआरबी के साथ आरआरसी का भी कार्यालय है। रेलवे ग्रुप सी के पदों पद जैसे गुड्स गार्ड, एएसएम, सहायक स्टेशन मास्टर, रिजर्वेशन क्लर्क, जूनियर इंजीनियर, तकनीशियन आदि पदों की नियुक्ति आरआरबी के माध्यम से ही होती है। इसी तरह ग्रुप डी के तमाम पदों गैंगमैन, खलासी, गेटमैन समेत अन्य पदों पर आरआरसी द्वारा नियुक्ति की जाती है।

1998 से आरआरबी कर रहा है नियुक्तियां

प्रयागराज समेत सभी आरआरबी का गठन 1998 में हुआ था। तब से अब तक प्रयागराज आरआरबी द्वारा रेलवे के हजारों पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया को जा चुकी है। वहीं आरआरसी की बात करें तो प्रयागराज आरआरसी भर्ती प्रक्रिया वर्ष) 2005 से कर रहा है। अभी हाल ही में आरआरसी प्रयागराज द्वारा विभागीय पदोन्नति की भी परीक्षा ली गई।

रेलवे के स्कूल भी बंद करने की तैयारी

प्रयागराज आने वाले समय में देश में चल रहे रेलवे के सभी स्कूल भी बंद हो जाएंगे। केंद्र सरकार ने तय किया है कि रेलवे इन स्कूलों को आगे नहीं चलाएगा। इन स्कूलों को या तो केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) को सौंप दिया जाएगा या फिर राज्य सरकार को यदि यहां बात न बनी तो ये स्कूल निजी हाथों को सौंपे जा सकते हैं। दरअसल आरआरबी एवं आरआरसी की तरह ही यह प्रस्ताव भी प्रिंसिपल इकोनोमिक एडवाइजर संजीव सान्याल द्वारा तैयार करके एनसीआर समेत सभी जोनल रेलवे को भेजा गया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्तमान समय देश में रेलवे के कुल 94 स्कूल चल रहे हैं। इनमें रेल कर्मचारियों के बच्चों की संख्या 15399 है, जबकि बाहरी बच्चों की संख्या 34277 है। इसके अलावा रेलवे 87 केंद्रीय विद्यालयों को भी प्रायोजित करता है। इसमें भी अधिकतर बच्चे बाहर के ही हैं। इन स्कूलों में रेल कर्मचारियों के तो करीब 33212 है लेकिन बाहर के 55386 हैं। यही नहीं, इस समय रेलवे के सभी कर्मचारियों के 4 से 18 साल के बच्चों की संख्या करीब 8 लाख है। इनमें से दो फीसदी से भी कम बच्चे रेलवे के स्कूलों में पड़ते हैं। ऐसे में रेलवे के लिए स्कूल चलाने का कोई औचित्य नहीं बनता।

सरकार निजीकरण की ओर तेजी से चल रही है। आरआरसी, आरआरबी इसलिए खोले गए थे, ताकि रेलवे को भर्तियों में भ्रष्टाचार न हो। अब सरकार इन्हें बंद कर कहीं न कही एक बार फिर से भ्रष्टाचार के रास्ते खोल रही है। नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन इसका हर संभव विरोध करेगी। -आरडी यादव, जोनल महामंत्री मेंस यूनियन

अभी बोर्ड से इस तरह का एक पत्र प्राप्त हुआ है। इस पर अभी अध्ययन चल रहा है। इसके अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता। डा. शिवम शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआर

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