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Saturday, September 4, 2021

UPSSSC : यूपी में आबकारी सिपाहियों की भर्ती 5 साल में भी नहीं हो सकी पूरी

UPSSSC : यूपी में आबकारी सिपाहियों की भर्ती 5 साल में भी नहीं हो सकी पूरी

UPSSSC Excise constables Recruitment : उत्तर प्रदेश में आबकारी सिपाही के 405 पदों पर वर्ष 2016 से शुरू हुई भर्ती प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो पाई है। अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 2016 में इन पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया था, उसके बाद लिखित परीक्षा के बाद शारीरिक दक्षता के लिए 4902 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। स्क्रीनिंग के बाद कुल 2266 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। अब इन चयनित अभ्यर्थियों के साक्षात्कार होने की बारी है। जानकारी के अनुसार अब पांच अक्तूबर से इन अभ्यर्थियों के साक्षात्कार की प्रक्रिया शुरू होने की तैयारी है। इन 2266 अभ्यर्थियों में 615 अनारक्षित वर्ग से हैं, 215 एससी, 13 एसटी और 1423 ओबीसी वर्ग के हैं।


खाली पद नहीं भरे जा रहे : प्रदेश के आबकारी महकमे में वर्ष 2011 में सिपाहियों के 400 पदों पर भर्ती की गई थी। उसके बाद 2016 में 405 पदों पर पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया, जिसकी प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हो सकी। मानकों के मुताबिक आबकारी विभाग के हर सेक्टर में चार सिपाही और दो हेड कांस्टेबिल होने चाहिए। इस हिसाब से पूरे प्रदेश में 4500 आबकारी सिपाहियों की जरूरत है। मगर इस वक्त सिर्फ 1800 सिपाही ही कार्यरत हैं। हर साल 100 से 150 आबकारी सिपाही रिटायर होते जा रहे हैं। मगर उनके खाली पदों पर समय से भर्ती नहीं की जा रही है।

प्रोन्नति भी नहीं हो पा रही समय से : न की प्रोन्नति भी समय से नहीं हो पाती है। विभाग में कार्यरत कुछ आबकारी सिपाहियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वर्षों से उनकी मांग है कि फील्ड में तैनात सिपाहियों को हेड कांस्टेबिल के बाद सब-इंस्पेक्टर के पद पर भी प्रोन्नति मिलनी चाहिए। मगर उनकी यह मांग आज तक पूरी नहीं हो सकी। सिर्फ चीनी मिलों में तैनात 158 सिपाहियों को ही सब-इंस्पेक्टर  पद पर प्रोन्नति मिली है।

दो-तीन साल तक मामले नहीं निस्तारित होते : फील्ड में तैनाती की वजह से जहरीली शराब कांड होने पर सबसे पहले निलम्बन की गाज आबकारी सिपाही, हेड कांस्टेबिल पर ही गिरती है जबकि ऐसे मामलों में क्षेत्रीय थाने के पुलिस कर्मियों पर अक्सर कोई कार्रवाई नहीं होती। होती भी है तो छह महीने में उनके मामले निस्तारित कर बहाली हो जाती है। मगर आबकारी सिपाही, हेड कांस्टेबिल, निरीक्षक निलम्बित होते हैं तो दो से तीन साल तक उनके मामले निस्तारित नहीं हो पाते।

संजय भूसरेड्डी (अपर मुख्य सचिव आबकारी उ.प्र) ने कहा कि आबकारी सिपाहियों के इन 405 पदों पर चयन की प्रक्रिया जल्द पूरी कर इनकी तैनाती के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द यह भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और अभ्यर्थियों की तैनाती हो जाएगी। 

सिपाहियों में से कुछ ही के पास रायफल
अवैघ शराब बनाने और बेचने वालों से निपटने के लिए इन सिपाहियों में से कुछ ही के पास रायफल हैं, जिन्हें रखने के लिए जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में कोई शस्त्रागार नहीं है। न ही इन सिपाहियों के पास सीयूजी मोबाइल फोन ही हैं। आज भी इन सिपाहियों को फील्ड में गश्त के लिए साइकिल भत्ता मिलता है जबकि जरूरत हर सेक्टर में एक चार पहिया वाहन की है। मगर मौजूदा समय में जिले में एक चार पहिया वाहन जिला आबकारी अधिकारी के पास और एक अनुबंध पर ली गई गाड़ी से काम चलाया जा रहा है।

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