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Monday, March 4, 2024

आरओ/एआरओ पेपर लीक प्रकरण में एफआईआर दर्ज, 128 प्रश्नों के लीक होने के आयोग को मिले हैं संकेत

आरओ/एआरओ पेपर लीक प्रकरण में एफआईआर दर्ज, 128 प्रश्नों के लीक होने के आयोग को मिले हैं संकेत 

UPPSC  के सचिव ने सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराया मुकदमा


आरओ-एआरओ परीक्षा के पेपर लीक मामले में आयोग की ओर से सिविल लाइंस थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया है। आयोग के मुताबिक परीक्षा शुरू होने से पहले ही कई प्रश्न लीक हो गए थे। 


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी (आरओ-एआरओ) परीक्षा में पेपर लीक के प्रकरण में सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। आयोग के सचिव अशोक कुमार की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया है।


प्रथम प्रश्न पत्र सामान्य अध्ययन के 103 और द्वितीय प्रश्न पत्र सामान्य हिंदी के 25 प्रश्नों के परीक्षा शुरू होने से पहले ही लीक होने के प्रणाम मिले हैं। अभ्यर्थियों के प्रत्यावेदन में इसके प्रमाण भी मिले हैं। प्रारंभिक जांच के बाद आयोग की ओर से रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। 


UPPSC के परीक्षा नियंत्रक हटाए गए, आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में गड़बड़ियां सामने आने पर कार्रवाई, पांच साल में तीसरे परीक्षा नियंत्रक पर गिरी गाज


लखनऊ। प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश लेक सेवा आयोग (यूचजेपीएससी) के परोश नियंत्रक अजय कुमार तिवारी को हटाकर राजस्व परिषद भेज दिया है। आरओ-एआरओ प्रारंभिक परीक्षा में गड़बड़ियां परीक्षा नियंत्रक अजय सामने आने पर उन्हें कुमार तिवारी राजस्व हटाया गया है। 11 फरवरी को आयेजित इस परीक्षा में कुछ प्रश्नों के सोशल मीडिया पर वायरल होने की शिकायते प्राप्त हुई थीं, जिसके संबंध में शासन ने आम लोगों से साक्ष्य मांगे थे, जिसमें गड़बड़ी मिली। परीक्षा की शुचिता के लिए मुख्यमंत्री ने दोनों सत्रों में आयोजित परीक्षाओं को रद्द करने के निर्देश दिए साथ ही प्रकरण की जांच एसटीएफ को सौंप दी गई।


शासन ने अभी यूर्वपीएससी में किसी नए परीक्षा नियंत्रक की तैनाती नहीं की है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, एक-दो दिन में यह तैनाती कर दी जाएगी। यह पता लगाया जाएगा कि गड्बड़ी किस स्तर से हुई? जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
 

प्रयागराज। भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के कारण पांच वर्षों के दौरान उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के तीसरे परीक्षा नियंत्रक पर गाज गिरी है। इससे पूर्व एपीएस भर्ती परीक्षा-2010 में हुई धांधली पर सीबीआई ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था और एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती-2018 में पेपर लीक मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक को एसटीएफ ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।


एपीस भर्ती में गड़बड़ी का मामला बाकी दोनों परीक्षाओं से अलग था। इस बार आरओ/एआरओ प्रारंभिक परीक्षा-2023 में पेपर लीक विवाद में परीक्षा नियंत्रक अजय कुमार तिवारी पर गाज गिरी है। अजय कुमार तिवारी को जून-2022 में आयोग के परीक्षा नियंत्रक के पद पर शासन ने नियुक्त किया था। यहां आने से पहले वह मुजफ्फरनगर में अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व के पद पर तैनात थे।


 इससे पूर्व एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 में हिंदी और सामाजिक विज्ञान के प्रश्न पत्र प्रिंटिंग प्रेस से लीक होने के आरोप लगे थे। मामले में एसटीएफ ने तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अंजू कटियार को मई-2019 में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अंजू कटियार को आयोग परिसर से गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें न्यायालय से जमानत मिल गई थी। इसके साथ ही प्रिंटिंग प्रेस संचालक को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था।


वहीं, अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती परीक्षा-2010 में कुछ अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों से छेड़छाड़ के आरोप में सीचीआई ने अगस्त-2021 में पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। सीबीआई को परीक्षा में हुई इस धांधली के सुबूत मिले थे। इसी कार्रवाई के आधार पर आयोग ने एपीएस भर्ती परीक्षा-2023 को बीच में ही निरस्त कर दिया था और कुछ दिनों पहले यह परीक्षा दोबारा कराई गई।


सिर्फ परीक्षा नियंत्रक को पता होता है, कहां छप रहा पेपर

प्रयागराज । यूपीपीएससी की कोई भी परीक्षा हो, यह बात केवल परीक्षा नियंत्रक को मालूम होती है कि प्रश्न पत्र देश की किस प्रिंटिंग प्रेस में छप रहा है। आयोग के अध्यक्ष को भी यह जानकारी नहीं होती है कि पेपर छपने के लिए किस प्रिंटिंग प्रेस में भेजा गया है। प्रश्नपत्रों के कई सेट तैयार किए जाते हैं और अलग- अलग बंद लिफाफों में परीक्षा नियंत्रक के पास भेज दिए जाते हैं। परीक्षा नियंत्रक उनमें से किसी एक सेट को छपने के लिए प्रिंटिंग प्रेस को भेजता है। हालांकि, परीक्षा नियंत्रक को भी यह जानकारी नहीं होती है कि बंद लिफाफे में कौन सा सेट है। इतनी गोपनीयता के बावजूद पेपर लीक होने और परीक्षा नियंत्रक को अचानक हटा दिए जाने से परीक्षा केंद्रों के साथ अब आयोग और प्रिंटिंग प्रेस की भूमिका भी अब संदेह के घेरे में है। 

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