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Sunday, August 28, 2022

104 राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद खाली, स्थायी प्राचार्य न होने से शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित, 2019 में डीपीसी होने पर भी शासन जारी नहीं की सूची

104 राजकीय महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद खाली


◆ स्थायी प्राचार्य न होने से शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित

◆ 2019 में डीपीसी होने पर भी शासन जारी नहीं की सूची


प्रयागराज : प्रदेश के 104 राजकीय महाविद्यालयों में लंबे समय से प्राचार्य के पद खाली हैं। पदों को भरने के लिए तीन साल पहले विभागीय प्रोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक हुई थी, लेकिन प्रोन्नति पाए प्राचार्यों की सूची अब तक जारी नहीं की गई। ऐसे में कई महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर ही प्राचार्य का काम देख रहे हैं, जिससे राजकीय महाविद्यालयों में शैक्षिक गतिविधियां प्रभावित हैं।

प्रदेश भर में 172 राजकीय महाविद्यालय हैं। इन महाविद्यालयों में विभागीय प्रोन्नति से प्राचार्य की तैनाती होती है। 2019 में प्राचार्य के करीब 80 पद खाली थे। इन पदों को भरने के लिए डीपीसी हुई। उच्च शिक्षा निदेशालय से सूची शासन को भेजी गई, लेकिन शासन में सूची अब तक अटकी है। उसके बाद से डीपीसी नहीं हुई है। इन तीन वर्षों में कई महाविद्यालयों के प्राचार्य रिटायर हो गए। ऐसे में अब 172 में से 104 महाविद्यालय प्राचार्य विहीन हैं। स्थायी प्राचार्य न होने से प्रभारी के नेतृत्व में व्यवस्ता संचालित है। इसके कारण कई महाविद्यालयों में वरिष्ठता को लेकर विवाद है, क्योंकि जूनियर शिक्षक को ही प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया है। स्थायी प्राचार्य के न होने से नीतिगत निर्णय नहीं लिए जा सकते हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

वरिष्ठता को लेकर विवाद

प्राचार्य की तैनाती में सबसे बड़ा रोड़ा वरिष्टता है। वरिष्ठता को लेकर कई साल से विवाद चल रहा है। इसको लेकर कुछ शिक्षक हाई कोर्ट भी गए हैं। इसमें वह भी हैं, जो उत्तरखंड राज्य बनने के बाद उत्तर प्रदेश में आए हैं, उनकी वरिष्ठता भी प्रभावित हो रही है।

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