अग्निपथ स्कीम की ‘अग्निपरीक्षा’ अगले साल से, अग्निवीर के पहले बैच के होंगे चार साल पूरे, जानिए! कौन होंगे परमानेंट? कौन होंगे बाहर?
भारतीय सेना की अग्निपथ योजना के पहले बैच के जवानों का अंतिम मूल्यांकन अगले साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाला है। इनमें से 75% को सेना से बाहर जाना होगा। कुछ राज्यों और पैरा मिलिट्री फोर्सेस ने इनके लिए कोटा तय किया है। परमानेंट स्थान पाने वाले 25% अग्निवीरों का चयन फाइनल मूल्यांकन के बाद होगा।
🔴 अग्निवीरों का चार साल का मूल्यांकन जारी, 75% बाहर होंगे
🔴 परमानेंट होने के लिए 25% अग्निवीरों का चयन होगा
🔴 सरकार ने अग्निपथ स्कीम में बड़े बदलाव की संभावना को नकारा
नई दिल्ली: भारतीय सेना में भर्ती की नई स्कीम अग्निपथ के पहले बैच के अग्निवीरों के चार साल अगले साल अक्टूबर-नवंबर में पूरे हो जाएंगे। जिसके बाद 75% अग्निवीर सेना से बाहर होंगे। पैरा मिलिट्री फोर्स सहित कई राज्य सरकारों ने पुलिस में अग्निवीरों के लिए कुछ कोटा निर्धारित किया है। जब अग्निवीर सेना से बाहर होंगे, तब इसका मूल्यांकन भी हो पाएगा कि बाहर हुए अग्निवीरों को कहां और कैसा रोजगार मिल पा रहा है। अभी सेना में अग्निवीरों का फाइनल मूल्यांकन बाकी है।
कौन होंगे परमानेंट?
कौन से अग्निवीर चार साल बाद परमानेंट होंगे, इसका मूल्याकंन रेजिमेंटल सेंटर से ही शुरू हो गया था। सभी अग्निवीरों का पहला मूल्यांकन रेजिमेंटल सेंटर में हो रहा है। चार साल के दौरान हर साल मूल्यांकन हो रहा है। इसके लिए उन्हें दो बार मौका भी दिया जा रहा है। यानी हर छह महीने में टेस्ट हो रहे हैं। और जिस बार की परफॉर्मेंस अच्छी रही उस बार के मार्क्स उस साल के मूल्यांकन में जुड़ रहे हैं। ये मार्क्स अग्निवीर सेना की इंटरनल वेबसाइट ASAAN में देख भी सकते हैं। सेना के एक अधिकारी के मुताबिक हर स्तर पर अग्निवीरों को काउंसिलिंग भी दी जा रही है। पहले बैच का अभी फाइनल मूल्यांकन होना बाकी है। जिसके बाद सभी को एक साथ कंपाइल किया जाएगा।
हर ट्रेड में से 25 पर्सेंट को परमानेंट होने का विकल्प मिलेगा
जब अग्निवीरों के चार साल पूरे होने वाले होंगे उसके करीब दो महीने पहले उन्हें बता दिया जाएगा कि किन 25 पर्सेंट को सेना में परमानेंट होने का विकल्प दिया जा रहा है। सेना ने पहले ही कहा है कि अगर कोई अग्निवीर बैटल कैजुवल्टी (लाइन ऑफ ड्यूटी में जख्मी होना) है और उसके लिए गैलेंट्री अवॉर्ड भी मिला है तो उनका सेना में परमानेंट होना सुनिश्चित है। अलग अलग सम्मान और अवॉर्ड के अलग अतिरिक्त पॉइंट होंगे। स्पोर्ट्स के भी अलग पॉइंट्स दिए जाएंगे। अनुशासनहीनता पर नेगेटिव मार्क्स मिलेंगे।
तब हो सकती है बदलाव पर बात
जब अग्निवीर का पहला बैच निकलेगा, तब इस पर भी बात होगी कि क्या फीडबैक है और क्या कुछ बदलाव किए जाने चाहिए। सरकार की तरफ से पहले ही इसके साफ संकेत दिए जा चुके हैं कि अग्निपथ स्कीम में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाने वाला है यानी टाइम चार साल से ज्यादा बढ़ेगा इसकी संभावना नहीं लगती। अग्निवीरों को सालाना 30 दिन की छुट्टी मिलती है जबकि रेगुलर सैनिकों को सालाना 90 दिन की। इसमें अग्निवीरों को कुछ राहत दी जा सकती है। अग्निवीर अगर वीरगति को प्राप्त होते हैं या डिसएबल्ड (विकलांग) तो उन्हें और उनके परिवार को रेगुलर सैनिकों की तरह की मदद पर भी सेना सिफारिश कर चुकी है। इसके साथ ही टेक्निकल आर्म में अग्निवीरों की अधिकतम उम्र बढ़ाई जा सकती है।
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