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Saturday, January 15, 2022

Allahabad High Court : एएनएम भर्ती मामले में फैसला सुरक्षित

Allahabad High Court : एएनएम भर्ती मामले में फैसला सुरक्षित

सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि इसी तरह के मामले में लखनऊ खंडपीठ ने सुनवाई कर 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की।


इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएनएम भर्ती मामले में प्रारंभिक अर्हता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता को लेकर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। मामले में अब चार फरवरी को सुनवाई होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की खंडपीठ ने एकता यादव व अन्य सहित आधा दर्जन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है।

सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के अधिवक्ता की ओर से बताया गया कि इसी तरह के मामले में लखनऊ खंडपीठ ने सुनवाई कर 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की। याची के अधिवक्ता पुनीत उपाध्याय ने तर्क दिया कि अधीनस्थ चयन आयोग को जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया था। उधर, आयोग के अधिवक्ता ने जानकारी दी कि उन्होंने अपना जवाब रजिस्ट्री केजरिए 10  जनवरी को दाखिल कर दिया था। लेकिन, सुनवाई के दिन वह कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया जा सका।

कोर्ट ने अगली तिथि तक जवाब को ट्रेस कर प्रस्तुत करने को कहा। प्रतिवादी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एएनएम भर्ती मामले में दाखिल याचिका की तरह ही उसी प्रकृति की याचिका पर लखनऊ खंडपीठ ने विचार कर 11 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। लिहाजा, सुनवाई स्थगित कर दी जाए। इस पर कोर्ट ने चार फरवरी की तिथि निर्धारित करते हुए सभी रिकार्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
यह था मामला
याचिका में कहा गया है कि एएनएम के 9600 पदों पर भर्ती के लिए जो विज्ञापन निकाला गया था, उसमें प्रारंभिक अर्हता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता निर्धारित की गई थी। जो अभ्यर्थी प्रारंभिक अर्हता परीक्षा पास करेंगे, उन्हें ही मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका दिया जाएगा। मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए पांच जनवरी तक आवेदन करने की तिथि निर्धारित की गई।

याची केअधिवक्ता ने तर्क दिया था कि  दो वर्षों से लगातार कोरोना संक्रमण बने रहने से बहुत से अभ्यर्थियों को अस्पतालों से छुट्टी नहीं दी गई। इस वजह से उन्हें अध्ययन का मौका नहीं मिल सका। लिहाजा, मुख्य परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रारंभिक अर्हता परीक्षा पास करने की अनिवार्यता सही नहीं है। आयोग द्वारा निर्धारण मनमाना और भेदभावपूर्ण है। इस परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है। इस पर हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने को कहा था।

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