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Friday, August 27, 2021

UPPSC : सीबीआई ने यूपीपीएससी से फिर मांगी अभियोजन स्वीकृति

UPPSC : सीबीआई ने यूपीपीएससी से फिर मांगी अभियोजन स्वीकृति

सीबीआई को एपीएस भर्ती-2010 में धांधली के ठोस सुबूत मिले हैं। सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में स्पष्ट कहा गया है कि शॉर्ट हैंड में आठ फीसदी तक गलती पर छूट देकर और कटऑफ गिराकर कुछ अभ्यर्थियों को सीधे फायदा पहुंचाय गया।


अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 में हुई धांधली के मामले में सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के कुछ अज्ञात कर्मचारियों/अधिकारियों के खिलाफ नामदज एफआईआर के लिए आयोग ने से दोबारा अभियोजन स्वीकृति मांगी है। इस मामले में सीबीआई विशेष सचिव पीडब्ल्यूडी एवं आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर चुकी है।

सीबीआई को एपीएस भर्ती-2010 में धांधली के ठोस सुबूत मिले हैं। सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में स्पष्ट कहा गया है कि शॉर्ट हैंड में आठ फीसदी तक गलती पर छूट देकर और कटऑफ गिराकर कुछ अभ्यर्थियों को सीधे फायदा पहुंचाय गया। प्रमाणपत्रों में भी हेरफेर हुआ और इसका फायदा कुछ चुनिंदा अभ्यर्थियों को मिला। एफआईआर दर्ज करने से पूर्व सीबीआई ने शासन और यूपीपीएससी से अभियोजन स्वीकृति मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक शासन ने तो अभियोजन स्वीकृति दे दी, लेकिन आयोग ने स्वीकृति नहीं दी। ऐसे में सीबीआई को आयोग के कुछ कर्मचारियों/अफसरों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा दर्ज करना पड़ा, जबकि शासन से अनुमति मिल जाने पर सीबीआई ने लोक निर्माण विभाग के विशेष सचिव प्रभुनाथ के खिलाफ सीधे नामजद एफआईआर की।

सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने आयोग के अज्ञात कुछ कर्मचारियों/अफसरों को नामजद करने के लिए आयोग से दोबारा अभियोजन स्वीकृति मांगी है, क्योंकि एपीएस-2010 में धांधली के लिए सीबीआई ने इन्हें चिह्नित किया है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि सीबीआई को अभियोजन स्वीकृति शीघ्र प्रदान की जाए।

अवनीश का कहना है कि सीबीआई की टीम अप्रैल 2012 से मार्च 2017 के बीच कुल 599 परीक्षाओं की जांच कर रही हैं और इन परीक्षाओं से 40 हजार चयनित जुड़े हुए हैं। सीबीआई को सिर्फ एक परीक्षा एपीएस-2010 के मामले में अभियोजन स्वीकृति लेने में वर्षों लग गए। ऐसे में सीबीआई जांच का क्या औचित्य रह जाएगा। अवनीश ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की प्रतिलिपि मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, आयोग के अध्यक्ष और सचिव को भेजी है। इस बारे में आयोग के सचिव जगदीश से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार  कर दिया।

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