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Monday, August 23, 2021

UPPSC : एपीएस-2010 की पूरी चयन प्रक्रिया पर सवाल, चयनितों की नौकरी पर संकट

UPPSC : एपीएस-2010 की पूरी चयन प्रक्रिया पर सवाल, चयनितों की नौकरी पर संकट 

एपीएस-2010 के तहत उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। भर्ती का विज्ञापन 2010 में जारी हुआ था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी की परीक्षाएं 2013, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप की परीक्षाएं 2014 तथा कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में हुई थी।


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की ओर से अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती परीक्षा-2013 निरस्त किए जाने के बाद अब एपीएस-2010 की पूरी चयन प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2001 की नियमावली के अनुसार एपीएस भर्ती-2013 में शॉर्ट हैंड परीक्षा में गलती पर छूट दिए जाने को कोई प्रावधान नहीं था। नियमावली लागू होने के बाद एपीएस भर्ती-2010 भी आयोजित की गई थी और इसमें भी शॉर्ट हैंड में आठ फीसदी तक की गलती पर छूट दी गई थी।

एपीएस-2010 के तहत उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। भर्ती का विज्ञापन 2010 में जारी हुआ था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी की परीक्षाएं 2013, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप की परीक्षाएं 2014 तथा कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में हुई थी। अंतिम चयन परिणाम 2017 में जारी हुआ था। इस परीक्षा में भी अभ्यर्थियों को शॉर्ट हैंड में आठ फीसदी की छूट एवं लिखित परीक्षा में कटऑफ से छेड़छाड़ कर अनुचित लाभ पहुंचाए जाने के आरोप लगे थे। मामले में सीबीआई ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

अब तक तो सीबीआई इसी दिशा में कार्रवाई कर रही थी कि शॉर्ट हैंड में पांच फीसदी तक की गलती अनुमन्य किए जाने पर जब पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी सफल हो गए थे तो तीन फीसदी की अतिरिक्त छूट और कटऑफ से छेड़छाड़ कर अन्य अभ्यर्थियों का चयन किस आधार पर किया गया। लेकिन, अब पूरी चयन प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में है। सेवा नियमावली के हिसाब से एपीएस भर्ती-2010 में शॉर्ट हैंड पर छूट दिए जाने का कोई प्रावधान ही नहीं था। इसी आधार पर आयोग ने एपीएस-2013 का विज्ञापन निरस्त कर दिया है। ऐसे में एपीएस-2010 के सभी चयनितों की नौकरी पर अब संकट मंडरा रहा है।

फिर कटघरे में पूर्व परीक्षा नियंत्रक
जो गड़बडिय़ों एपीएस-2010 में हुईं, वहीं खामियां एपीएस-2013 भर्ती में भी थीं। एपीएस भर्ती का विज्ञापन वर्ष 2013 में जारी हुआ था और उस वक्त भी प्रभुनाथ परीक्षा नियंत्रक थे, जिनके खिलाफ सीबीआई मुकदमा दर्ज कर चुकी है। ऐसे में प्रभुनाथ फिर कटघरे में हैं।

अभ्यर्थियों को लगातार भटकाता रहा आयोग
एपीएस भर्ती-2013 के तहत कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा के लिए चयनित अभ्यर्थियों को आयोग लगातार भटकाता रहा। अभ्यर्थियों ने तीसरे चरण की परीक्षा कराके अंतिम चयन परिणाम जारी करने की मांग को लेकर आयोग में कई बार प्रदर्शन किया, लेकिन आयोग ने स्थिति स्पष्ट नहीं की और अभ्यर्थियों का भटकाता रहा। अभ्यर्थी यह मांग भी करते रहे कि आयोग को तकरीबन ढाई सौ नए पदों का अधिचायन मिल चुका है और अब नई भर्ती परीक्षा भी कराई जाए। इस पर आयोग ने यही जवाब दिया कि पाठ्यक्रम संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, वहां से मंजूरी मिलते ही नई भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाएगा। फिलहाल इस मांग पर भी अब तक कोई निर्णय नहीं हो सका है।

एपीसीएस-2013 की भी सीबीआई जांच की मांग
प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय और मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय ने शासन से मांग की है कि एपीएस भर्ती-2013 की भी सीबीआई जांच कराई जाए। अध्यक्ष और मीडिया प्रभारी का कहना है कि अगर सीबीआई ने एपीएस-2010 के मामले में एफआईआर दर्ज न की होती तो आयोग एपीएस-2013 की परीक्षा भी निरस्त नहीं करता। एपीएस की लगातार दो परीक्षाओं में गड़बडिय़ां सामने आईं हैं। इस बार आयोग ने भी गलती मानी है। ऐसे में एपीएस-2013 की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए।

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