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Friday, August 6, 2021

भर्ती में धांधली के आरोप में यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ मुदकमा

भर्ती में धांधली के आरोप में यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक के खिलाफ मुदकमा

◆ अपर निजी सचिव भर्ती-2010 में हुई गड़बड़ी को लेकर सीबीआई ने दर्ज किया मामला
◆ वर्तमान में पीडब्ल्यूडी में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ

अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 के मामले में सीबीआई ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, आयोग के अज्ञात अफसरों/कर्मचारियों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़ा, कूटरचित दस्तोवेजों के प्रयोग, धोखाधड़ी एवं आपराधिक अतिचार का मुकदमा दर्ज कर लिया है। प्रभुनाथ वर्तमान में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में विशेष सचिव के पद पर तैनात हैं।
 

एपीसी भर्ती-1010 में धांधली की सीबीआई जांच में यूपीपीएससी के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ प्रथम दृष्टया आपराधिक साजिश में शामिल पाए गए हैं। सीबीआई के एसआई रवीश कुमार झा की ओर से दिल्ली स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन-1 ब्रांच में दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि यूपीपीएससी  ने निर्णय किया था कि जो अभ्यर्थी एपीएस भर्ती-2010 के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें सामान्य हिंदी, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप टेस्ट में शामिल होना पड़ेगा। शॉट हैंड टेस्ट कुल 135 अंकों का था और न्यूनतम 125 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराया जाना था। साथ ही शॉर्ट हैंड टेस्ट में पांच फीसदी तक गलती अनुमन्य थी।


आयोग की 15 जून 2015 की परीक्षा समिति की बैठक में तय हुआ कि अगर अभ्यर्थी को 125 अंक मिल रहे हैं और शॉर्ट हैंड टेस्ट में आठ फीसदी तक गलती है तो अभ्यर्थी उपलब्ध न होने की स्थिति में आयोग अपने विशेषाधिकारी का इस्तेमाल करते हुए अतिरिक्त तीन फीसदी गलती को अनुमन्य करते हुए ऐसे अभ्यर्थियों को भी मौका देगा। साथ ही जो अभ्यर्थी न्यूनतम 119 अंक पाते हैं, उन्हें भी आठ फीसदी तक गलती होने पर तीसरे चरण की परीक्षा कंप्यूटर टेस्ट के लिए क्वालीफाई करा दिया जाएगा। इसी विशेषाधिकार की आड़ में भर्ती में धांधली हुई।

जांच में सामने आया है कि आयोग ने 1244 अभ्यर्थियों को तीसरे चरण के लिए क्वालीफाई कराया, जिनमें से 913 अभ्यर्थियों को न्यूनतम 125 अंक मिले थे और शॉर्ट हैंड टेस्ट में पांच फीसदी या इससे कम गलतियां थीं और 331 अभ्यर्थियों को 119 से 125 अंक मिले थे और शॉर्ट हैंड टेस्ट में आठ फीसदी तक गलतियां थीं। सीबीआई ने सवाल उठाए हैं कि जब पूर्व में लिए गए निर्णय के अनुसार न्यूनतम 125 अंक पाने वाले और अधिकतम पांच फीसदी गलती करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या पर्याप्त थी तो बाकी 331 अभ्यर्थियों को क्वालीफाई कराने का कोई औचित्य नहीं था। ऐसे में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने आयोग द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन किया। 

फर्जी कंप्यूटर सर्टिफिकेट देने वालों का हुआ चयन
सीबीआई को जांच में कुछ सर्टिफिकेट फर्जी मिले हैं, इसके बावजूद संबंधित अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया। इसके अलावा एपीएस भर्ती में तमाम अभ्यर्थी विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप कंप्यूटर सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं सके थे। आयोग ने 29 जुलाई 2015 को प्रेस रिलीज जारी करते हुए अभ्यर्थियों को 17 अगस्त 2015 तक सर्टिफिकेट प्रस्तुत करने का मौका दिया, लेकिन तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ ने निर्धारित तिथि के बाद भी अभ्यर्थियों से सर्टिफिकेट स्वीकार किए थे और कुछ अभ्यर्थियों को अपने कंप्यूटर सर्टिफिकेट बदलने की अनुमति भी दी गई थी। 

मूल्यांकन और स्कू्रटनी में नंबरों से हुई छेड़छाड़
सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर में कहा गया है एपीएस भर्ती के तहत शॉर्ट हैंड और टाइप टेस्ट के मूल्यांकन एवं स्कू्रटनी प्रक्रिया में वर्ष 2010 से 2017 के बीच आयोग के तमाम अधिकारी/कर्मचारी शामिल रहे। सीबीआई ने उनकी भूमिका को संदिग्ध मानते हुए कहा है कि मूल्यांकन एवं स्कू्रटनी निर्धारित प्रक्रिया के तहत नहीं कराई गई। नंबरों को अनावश्यक रूप से घटाया और बढ़ाया गया। इसी लापरवाही के करण कई योग्य अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो सका और तमाम आयोग्य अभ्यर्थी चयनित कर लिए गए।

ढाई सौ पदों पर भर्ती के लिए हुई थी परीक्षा
एपीएस-2010 के तहत उत्तर प्रदेश सचिवालय में 250 पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। भर्ती का विज्ञापन 2010 में जारी हुआ था। सामान्य अध्ययन और सामान्य हिंदी की परीक्षाएं 2013, हिंदी शॉर्ट हैंड और हिंदी टाइप की परीक्षाएं 2014 तथा कम्प्यूटर ज्ञान की परीक्षा 2016 में हुई थी। अंतिम चयन परिणाम 2017 में जारी हुआ था।

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