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Wednesday, May 5, 2021

30 साल से खाली पड़े हैं बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के 7500 पद, हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को दिया है नोटिस

30 साल से खाली पड़े हैं बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के 7500 पद, हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को दिया है नोटिस

संक्रामक रोगों की रोकथाम में सहयोग के लिए सृजित हुए थे 9080 पद

लखनऊ : प्रदेश में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं 7500 पद 30 साल से खाली पड़े हैं। इनमें से तीन बार 540 पदों को भरने के लिए परीक्षाएं हुई, लेकिन अभी तक भर्ती नहीं हो पाई है। इस मामले में स्वास्थ्य कार्यकर्ता हाईकोर्ट की लखनऊ और इलाहाबाद पीठ में कई वाद भी दाखिल कर चुके हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य को नोटिस भी दिया हुआ है।


बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता संघ के संरक्षक विनीत मिश्रा ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य और अपर निदेशक मलेरिया के स्तर से संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रदेश के 40 जिलों में वर्ष 2012-13 में संविदा के आधार पर तीन वर्षों के लिए बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का चयन किया गया था। इस मेमोरेंडम में संविदा कार्मिकों की निरंतरता बनाए रखने के लिए खाली पदों को भरने और नए पदों का सृजन कर आगे भी तैनाती करने का प्रावधान किया गया था। जब इन प्रावधानों का सभी विभागों ने पालन नहीं किया तो बहुउद्देशीय स्वास्थ्यकर्मियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ और इलाहाबाद खंडपीठ में वाद दाखिल कर दिया। अब तक इस मामले में 43 वाद दाखिल किए जा चुके हैं। इसमें 25 मार्च 2014 को अंतरिम आदेश तथा 26 सितंबर 2014 को स्थगन आदेश कोर्ट ने दे दिया। 40 जिलों कार्य में शुरू करने और मानदेय देने के लिए एक अवमानना वाद अब भी हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ में विचाराधीन है।

संगठन के प्रवक्ता सैयद मुर्तजा ने बताया कि इसी मामले में मुख्यमंत्री से मांग की गई है कि वह कोरोना वायरस और अन्य संक्रामक रोगों की रोकथाम में अनुभवी कार्यकर्ताओं से कार्य लेने के लिए अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को आदेश दें। जिससे कोर्ट की अवमानना के मामले से शासन के अधिकारी बरी हो सकें। उन्होंने बताया कि भारत सरकार के मेमोरेंडम के आधार पर पश्चिम बंगाल, असम, उड़ीसा और झारखंड आदि राज्य सरकारों ने विभागीय रिक्त पदों और अतिरिक्त पदों का सृजन करके संविदा कर्मियों नियमित किया है। यही नहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मध्य प्रदेश ने भी जिला कलेक्टर और अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति को तीन माह की अस्थाई नियुक्ति करने के अधिकार दिए हैं।


540 पदों के लिए तीन बार हुई परीक्षा फिर भी नहीं हुई भर्ती

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 9080 पद सृजन किया था। इनमें से 7500 पद बीते 30 वर्षों से रिक्त चल रहे हैं। परिवार कल्याण विभाग ने इन पदों में से 540 पदों को तीन बार भरने का प्रयास किया। जिसमें दो बार परीक्षा करवाने के बात परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। तीसरी बार 540 पदों पर यह परीक्षा 2015 में हुई थी। इसका मामला भी अभी कोर्ट में विचाराधीन है।

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