भर्तियों को लेकर अब तक आयोजित बैठकें रहीं बेनतीजा, अधियाचन के प्रस्ताव के प्रारूप पर नहीं बन सकी सहमति
शिक्षा विभाग व शिक्षा सेवा चयन आयोग में समन्वय की कमी
प्रयागराज। बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा में शिक्षक भर्ती शुरू करने के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के प्रतिनिधियों और बेसिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के अफसरों के बीच तकरीबन 10 बार बैठकें हो चुकी हैं। सभी बैठकों का परिणाम अब तक शून्य है, क्योंकि रिक्त पदों के अधियाचन के प्रारूप पर ही अब तक सहमति नहीं बन सकी है।
शिक्षा विभाग और शिक्षा सेवा चयन आयोग के बीच समन्वय की कमी के कारण 50 हजार से अधिक पदों पर भर्तियां अटकी हुई हैं। बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों के कितने पद रिक्त हैं, यह जानकारी संबंधित विभागों के पास ही है। विभागों को ही आरक्षण का निर्धारण करना है। संबंधित कॉलेजों से रिक्त पदों की सूचना भी शिक्षा विभाग को ही इकट्ठा करनी है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग नई भर्ती शुरू करने के लिए आयोग को रिक्त पदों का अधियाचन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।
आयोग के सूत्रों के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने आयोग को पत्र लिखकर पूछा है कि रिक्त पदों का ई-अधियाचन किस प्रारूप में उपलब्ध कराना है। वहीं, आयोग के पास अधियाचन प्राप्त करने के लिए अपना कोई प्रारूप तैयार ही नहीं है।
बेसिक, माध्यमिक व उच्च शिक्षा के अफसरों के साथ अब हुई बैठकों में आयोग के प्रतिनिधियों की ओर से यही कहा गया है कि वे आयोग को ऑनलाइन माध्यम से रिक्त पदों का अधियाचन भेज दें।
आयोग का काम केवल भर्ती परीक्षा कराना और अभ्यर्थियों का चयन करना है। ऐसे में आयोग अपना कोई प्रारूप कैसे निर्धारित कर सकता है। विभाग आरक्षण का निर्धारण करते हुए जितने पदों का अधियाचन भेजेंगे, उतने पदों पर चयन प्रक्रिया आयोग पूरी कराएगा।
फिलहाल, अधियाचन के प्रारूप को लेकर शिक्षा विभाग और उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग के बीच गतिरोध बना हुआ है। यही वजह है कि आयोग व शिक्षा विभाग के अफसरों की कई बैठकें होने और आयोग की ओर से शासन को पत्र लिखकर मामले से अवगत कराए जाने के बावजूद विभाग ने रिक्त पदों का अधियाचन उपलब्ध नहीं कराया है और भर्ती को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।
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