नई दिल्ली’ : नये कानून के तहत अब भारतीय प्रबंध संस्थानों (आइआइएम) को ज्यादा स्वायत्तता हासिल होगी। उनके कामकाज में सरकार का हस्तक्षेप कम से कम होगा। उन्हें अपने स्नातकों को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा की बजाय डिग्रियां प्रदान करने का भी अधिकार होगा।
भारतीय प्रबंध संस्थान विधेयक-2017 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके साथ ही इस विधेयक ने कानून का रूप ले लिया है। लोकसभा ने इसे जुलाई-2017 और राज्यसभा ने 19 दिसंबर को पारित किया था। कानून के तहत सभी आइआइएम को निदेशकों और फैकल्टी सदस्यों की नियुक्ति समेत उनके संचालन की वैधानिक शक्तियां प्रदान की गई हैं।पिछले महीने राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा भी था, ‘विधेयक में इन संस्थानों को ज्यादा स्वायत्तता दी गई है।
इस विधेयक के जरिये आइआइएम के कामकाज में सरकार और नौकरशाही का हस्तक्षेप खत्म हो जाएगा। वे इसका फैसला स्वयं करेंगे कि इन प्रतिष्ठित संस्थानों का प्रबंधन और संचालन कैसे करें।’ अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक, प्रत्येक संस्थान का बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ही उनका मुख्य कार्यकारी निकाय होगा और इसमें 19 सदस्य होंगे। यह बोर्ड उद्योग, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, प्रबंधन या लोक प्रशासन के क्षेत्र की किसी प्रख्यात शख्सियत को अपना चैयरपर्सन नियुक्त करेगा। बोर्ड में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार का भी एक-एक प्रतिनिधि होगा। हर संस्थान का बोर्ड ऑफ गवर्नर्स एक निदेशक की भी नियुक्ति करेगा, जो संस्थान का मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा।
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