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Tuesday, January 30, 2018

पीसीएस के प्रश्नपत्र में गड़बड़ी बनेगी आयोग के गले की फांस, अब तक हुई परीक्षाओं में प्रश्नों के डिलीट करने व उत्तरों में संशोधन का ब्यौरा गया मांगा

जवाब से उठेंगे विशेषज्ञों पर सवाल : पिछले दिनों प्रतियोगी अविनाश कुमार ने पीसीएस परीक्षा 2012 से लेकर अब तक हुई परीक्षाओं में प्रश्नों के डिलीट करने व उत्तरों में संशोधन का ब्यौरा आरटीआइ के तहत आयोग से मांगा है। इसका जवाब आयोग से मिलने पर उसकी विशेषज्ञता से भी पर्दा उठ जाएगा। वहीं, हाईकोर्ट ने भी विशेषज्ञों पर तल्ख टिप्पणी की थी।

इलाहाबाद :  पीसीएस परीक्षाओं में पहले बनाए और फिर हटाए जा रहे प्रश्न उप्र लोकसेवा आयोग के गले की फांस बनेंगे। प्रश्न ही नहीं, उनके उत्तरों में भी आपत्तियों पर गलतियां मानकर संशोधित करने का सिलसिला आयोग में कई परीक्षाओं से चल रहा है। एक तरफ तो सीबीआइ ने आयोग से हुई भर्तियों की जांच शुरू कर दी है, वहीं एक प्रतियोगी ने भी जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत यह जानकारी मांग ली है कि 2012 से अब तक हुई पीसीएस परीक्षा में कितने प्रश्न डिलीट किए गए और कितने उत्तरों में संशोधन हुआ।


प्रतियोगी अविनाश कुमार सिंह के सवालों का जवाब देने पर आयोग से पीसीएस परीक्षा में विशेषज्ञों के हो रहे चयन की योग्यता की परख भी हो जाएगी। दरअसल उप्र लोकसेवा आयोग सबसे बड़ी परीक्षा पीसीएस यानी सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा का आयोजन कराता है। इसमें शामिल होने के लिए प्रतियोगी कठिन परिश्रम से तैयारी करते हैं। रात दिन एक करके हुई उनकी पढ़ाई तब धरी की धरी रह जाती है जब आयोग के विशेषज्ञ ही अपनी करतूतों से परीक्षा को विवादित बना देते हैं।



गौरतलब है कि पीसीएस 2017 की प्रारंभिक परीक्षा में आयोग ने पांच प्रश्नों को खुद ही गलत मानते हुए डिलीट कर दिया और आपत्तियां मिलने पर दो प्रश्नों के उत्तरों में संशोधन किया। इससे पहले पीसीएस 2016 की प्रारंभिक परीक्षा भी प्रश्न व उत्तरों की गलतियों को लेकर विवादित हो गई थी जिसका मामला अब भी न्यायालय में विचाराधीन है। जबकि, शीर्ष कोर्ट की अनुमति पर आयोग ने इसकी मुख्य परीक्षा भी करा ली है। इसका अंतिम परिणाम कोर्ट के निर्णय के अधीन होगा। पीसीएस 2016 की प्रारंभिक परीक्षा में चार प्रश्नों को आयोग ने डिलीट किया था, दो प्रश्नों के दो-दो उत्तर दिए गए थे और तीन अन्य प्रश्नों को भी हाईकोर्ट ने डिलीट करने का आदेश दिया था जिस पर आयोग ने शीर्ष कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।



तमाम प्रतियोगी बताते हैं कि आयोग ने लगभग हर परीक्षा में ऐसे विशेषज्ञों का चयन किया जिन्होंने गलत प्रश्न बनाकर परीक्षा विवादित कराई। इससे आयोग की पूरी कार्यप्रणाली ही संदिग्ध हो गई है। प्रतियोगियों की मानें तो प्रदेश की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण परीक्षा में गलत प्रश्न आयोग जानबूझकर बनवा रहा है जिससे प्रतीत होता है कि आयोग ऐसा करने के पीछे कोई बड़ा ‘खेल’ रहा है।

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