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Sunday, January 7, 2018

उप्र न्यायिक सेवा यानी पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा में हिंदी में प्रश्न पत्र शासन और हाईकोर्ट के निर्णय पर निर्भर, छात्रों का प्रत्यावेदन शासन में भेज चुका है उप्र लोक सेवा आयोग

इलाहाबाद : उप्र न्यायिक सेवा यानी पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा में हिंदी भाषा के प्रश्न पत्र बनेंगे या नहीं इसका निर्णय शासन और हाईकोर्ट को मिलकर करना है। उप्र लोक सेवा आयोग की तरफ से हिंदी भाषी छात्रों की मांग पर प्रत्यावेदन शासन को भेजा जा चुका है। वहीं 12 जनवरी को छात्र छात्रओं की एकजुटता फिर इसी मुद्दे को गरमाने के लिए होने जा रही है। प्रदेश के अधिकांश लॉ कालेजों से समर्थन बटोरकर न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा अगली परीक्षा से पहले ही आंदोलन को धार देने की राह पर चल निकला है। 



यूपी पीसीएस जे की मुख्य परीक्षा में भाषा के प्रश्न पत्र में अंग्रेजी के साथ हिंदी को भी शामिल करने और दोनों के अंक समान रखने समेत परीक्षा में सिर्फ चार अवसर दिए जाने की बाध्यता खत्म करने की मांग पिछले साल उठी है। न्यायिक सेवा की परीक्षा प्रत्येक वर्ष नियमित रूप से कराने की मांग भी शामिल है। दिसंबर 2017 में छात्र छात्रओं ने उप्र लोक सेवा आयोग पर धरना देकर अपनी यह मांग सचिव के समक्ष रखी थी। उसके कुछ दिनों बाद आयोग के अध्यक्ष प्रो. अनिरुद्ध सिंह यादव से भी एक प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। आयोग ने इसके बाद ही छात्र छात्रओं के प्रत्यावेदन को विचार के लिए शासन में भेज दिया। आयोग का तर्क है कि इस बारे में निर्णय शासन और हाईकोर्ट को मिलकर लेना है। प्रत्यावेदन अभी विचाराधीन ही है। 




वहीं न्यायिक सेवा समानता संघर्ष मोर्चा को प्रदेश के तमाम लॉ कालेजों से समर्थन मिला है। 12 जनवरी को इलाहाबाद के शहीद चंद्रशेखर आजाद स्मारक पार्क में छात्र छात्रओं की एकजुटता होने जा रही है। इस मीटिंग के संयोजक विधि शोध छात्र रामकरन निर्मल का कहना है कि पीसीएस जे की प्रतियोगी परीक्षा में करीब 40 हजार लोग शामिल होते हैं। इनमें हिंदी भाषी छात्रों पर अंग्रेजी का प्रश्न पत्र थोपा जाता है। उसी के खिलाफ आंदोलन होने जा रहा है जिसमें प्रदेश के कई जिलों से प्रतियोगियों की सहभागिता होगी।


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