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Thursday, January 11, 2018

यूपी पीसीएस जे परीक्षा पर असमंजस, 13 मई को प्रस्तावित परीक्षा पर ग्रहण के आसार

हाईकोर्ट के आदेश देने के बावजूद दो सत्र हो चुके हैं शून्य
■ शासन से अधियाचन नहीं आया, 13 मई को प्रस्तावित परीक्षा पर ग्रहण के आसार
■ प्रतियोगी छात्रों में बढ़ने लगी परीक्षा की तस्वीर साफ नहीं होने से बेचैनी



इलाहाबाद : उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा सिविल जज (जूनियर डिवीजन) परीक्षा को लेकर 2018 में असमंजस है। उप्र लोकसेवा आयोग ने परीक्षा 13 मई को प्रस्तावित की है, लेकिन यह तभी संभव है जब 15 जनवरी तक आयोग में अधियाचन प्राप्त होगा। शासन से आयोग को अभी अधियाचन नहीं मिल सका है। वहीं, प्रतियोगी छात्रों में परीक्षा की तस्वीर साफ न होने से बेचैनी भी बढ़ने लगी है।



गौरतलब है कि पीसीएस जे की परीक्षा उप्र में 2000 से लेकर अब तक नियमित रूप से नहीं हो सकी है। 2012 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक रिट याचिका पर पीसीएस जे परीक्षा को सभी रिक्तियां भरने तक नियमित रूप से कराने का आदेश दिया था। प्रतियोगी छात्रों की मानें तो यूपी पीसीएस जे परीक्षा 2000, 2003, 2006 में हुई। हाईकोर्ट से 2012 में हुए आदेश के बाद 2012, 2013, 2015 और 2016 में परीक्षा हुई। 2014 और 2017 का सत्र शून्य चला गया।



आयोग ने 2018 के कैलेंडर में परीक्षा 13 मई घोषित को है, जबकि जिक्र किया है कि 15 जनवरी तक अधियाचन मिलने पर ही परीक्षा हो सकेगी। हालांकि प्रस्तावित तारीख बदलने की संभावना भी आयोग ने जताई है। ऐसे में 11 जनवरी तक अधियाचन न मिलने की स्थिति में परीक्षा पर संशय उत्पन्न हो गया है। आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि अधियाचन अभी नहीं मिल सका है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शेष चार दिनों में अधियाचन आ भी सकता है।


पीसीएस जे के प्रतियोगी छात्र इस उम्मीद मे हैं कि 2017 का सत्र शून्य जाने के बाद अब परीक्षा समय पर कराई जाएगी। प्रदेश में सिविल जज (जू.डि.) के पद भी रिक्त हैं, जबकि कितने पदों के लिए परीक्षा करानी है यह शासन को तय करना है। छात्र रामकरन निर्मल, आशीष पटेल, गजेंद्र सिंह, रजनी मद्देशिया आदि का कहना है कि शासन की बेरुखी से शिक्षित बेरोजगार युवा दिशाहीन हो रहे हैं। यूपी में पद बहुत रिक्त हैं जबकि उन पर भर्ती के लिए कदम उठाने में शासन उदासीन है।

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