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Monday, January 29, 2018

सीबीआइ टीम आयोग नहीं आई, रही हलचल, सोशल मीडिया पर दिनभर चर्चाएं, जलाई गईं कापियों का सच खंगालेगी सीबीआइ

इलाहाबाद : पांच साल में छह सौ से अधिक भर्तियों की जांच के लिए सीबीआइ के उप्र लोकसेवा आयोग आने की चर्चा ने प्रतियोगियों में सोमवार को हलचल मची रही। प्रतियोगी आयोग में अपने संपर्क सूत्रों से सच्चाई जाने का प्रयास करते रहे। प्रतियोगियों का अब यह भी कहना है कि जांच टीम इलाहाबाद में ही कैंप कर सकती है, क्योंकि टीम को तथ्य काफी अधिक जुटाने होंगे। हालांकि आयोग में सोमवार को सीधे प्रवेश पर पाबंदी रही।


सपा शासनकाल के पांच साल यानी एक अप्रैल, 2012 से 31 मार्च, 2017 तक यूपीपीएससी से हुई सभी भर्तियों की जांच सीबीआइ शुरू कर चुकी है। अधिसूचना जारी होने पर पिछले दिनों सीबीआइ ने लखनऊ में पीई दर्ज कराकर प्रारंभिक जांच प्रक्रिया शुरू कर दी है। सोमवार को सोशल मीडिया पर कुछ प्रतियोगियों ने जानकारी एक दूसरे से साझा की कि, दोपहर में सीबीआइ, आयोग पहुंच गई है और कुछ लोगों से गोपनीय पूछताछ शुरू हुई है। इसके बाद से ही हलचल तेज हुई तो आयोग के अधिकारी तक परेशान रहे।



प्रतियोगियों के दर्जनों फोन कॉल ने आयोग के अधिकारियों और अन्य संपर्क सूत्रों से जानकारी चाही, वहीं जांच की उत्सुकता में प्रतियोगियों ने एक दूसरे से जानने की भी कोशिश की। हालांकि शाम छह बजे तक आयोग ने किसी जांच टीम के आने से इन्कार किया है।  सीबीआइ टीम सोमवार को आयोग नहीं पहुंची लेकिन, आयोग के प्रमुख मार्ग गेट संख्या-दो से सोमवार को किसी ऐसे व्यक्ति को प्रवेश मिलने में कठिनाई का सामना करना पड़ा जो आयोग से संबंधित नहीं था।


प्रवेश करने वाले हर शख्स को गेट पर अपनी पहचान बतानी पड़ी और अंदर किससे किस काम से मिलना है इस संबंध में पूछताछ के बाद ही जाने दिया गया। बताते हैं कि गार्डो को विशेष हिदायत दी गई है कि किसी को भी सीधे प्रवेश न दिया जाए।


■ इलाहाबाद में डेरा डाल सकती है सीबीआइ : प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के पदाधिकारियों के अनुसार एक-दो दिनों में जांच टीम आ जाएगी। टीम को यहां इसलिए कैंप करना पड़ेगा क्योंकि पांच साल में हुई छह सौ भर्तियों की जांच होनी है। उसके लिए काफी तथ्य जुटाने होंगे और टीम के यहां बिना रुके यह संभव नहीं होगा। पहले भी प्रतियोगियों ने टीम प्रभारी राजीव रंजन के कार्यालय का पता और ई-मेल आइडी तक उपलब्ध कराते हुए साक्ष्य देने का सभी साथियों से आह्वान किया था।



■ पूछताछ को आयोग ने नकारा : उप्र लोकसेवा आयोग में सोमवार दोपहर बाद अतिथि गृह में दो विभागों के प्रभारियों से पूछताछ की चर्चा जोरों पर रही। हालांकि आयोग ने इसकी पुष्टि नहीं की।

■ अध्यक्ष व सचिव की लंबी वार्ता : आयोग में सीबीआइ टीम भले ही न पहुंची हो लेकिन, सचिव जगदीश और अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव की हुई लंबी वार्ता ने इसकी सुगबुगाहट जरूर दी कि आयोग की अपने स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। सोमवार को अध्यक्ष के कार्यालय में गहन मंथन हुआ। हालांकि इस बातचीत को गोपनीय रखा गया है। कहा गया कि चर्चा रुटीन कार्यो को लेकर हुई।


■ इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से पांच साल में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच में पीसीएस सहित अन्य परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाएं जलाने का सच भी उजागर होगा। आरोप है कि इन कॉपियों को पूर्व अध्यक्ष डा. अनिल यादव के इशारे पर जलाया गया था, ताकि भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार के सबूत नष्ट हो जाएं। आरोप है कि मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को चार साल तक संरक्षित रखने के नियम में बदलाव कर दिया गया, जबकि आयोग ने सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगे गए जवाब में कहा था कि कॉपियों को एक साल तक संरक्षित रखने का नियम है उसके बाद नष्ट कर दिया जाता है।


यह प्रकरण उस समय सतह पर आया जब आयोग की ओर से पीसीएस 2012 भर्ती परीक्षा का परिणाम 2014 में जारी किया गया था। प्रतियोगी छात्र अवनीश पांडेय ने भर्तियों में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगा सूचना अधिकार के तहत उत्तर पुस्तिका देखने की इच्छा जताई थी। पीसीएस 2012 की मुख्य परीक्षा में आयोग ने 4660 कापियां संरक्षित की थीं। आरटीआइ पर आयोग की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया था कि मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं जला दी गई हैं। आयोग ने कहा था कि उत्तर पुस्तिकाओं को एक साल तक संरक्षित रखने का नियम है। इसके बाद नष्ट कर दिया जाता है।


अवनीश पांडेय सहित अन्य ने आरोप लगाया था कि पीसीएस सहित अन्य परीक्षाओं में भ्रष्टाचार हुआ है इसीलिए उत्तर पुस्तिकाओं को सबूत मिटाने के इरादे से जला दिया गया है, आयोग में पुराने नियम के अनुसार मुख्य परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं को कम से कम चार साल तक और किसी मामले में न्यायालय में वाद दायर होने पर उसका अंतिम निर्णय होने तक संरक्षित रखने का नियम था। आयोग का कहना है कि मुख्य परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाएं एक साल तक ही रखने का नियम कई वर्षो से है। सीबीआइ जांच में यह स्थिति भी साफ हो जाएगी कि आयोग ने पीसीएस परीक्षा सहित अन्य की उत्तर पुस्तिकाएं किस नियम और किन परिस्थितियों में जलाकर नष्ट कीं।

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