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Wednesday, January 17, 2018

लोक सेवा आयोग करे गलतियां, दोष कंप्यूटर व कोडिंग को, पीसीएस 1985 और 2015 में महिला अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ी

हर गलती का ठीकरा छोटे कर्मचारी पर फोड़ा गया

पीसीएस 1985 और 2015 में महिला अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ी

2015 पीसीएस में कोडिंग की गड़बड़ी
आयोग की पीसीएस 2015 की मुख्य परीक्षा के परिणाम में सुहासिनी बाजपेई को असफल घोषित किया गया। उसके एक प्रश्नपत्र में अच्छे अंक थे, वहीं दूसरे में बहुत कम अंक मिले तो उसने जनसूचना अधिकार के तहत कॉपियां देखना चाहा। आयोग ने माना कि कोडिंग की गड़बड़ी से उसकी उत्तरपुस्तिका दूसरे अभ्यर्थी रवींद्र तिवारी से बदल गई। सही अंक मिलने पर सुहासिनी का साक्षात्कार भी कराया गया, लेकिन उसमें कम अंक मिले और असफल करार दे दिया गया। यह प्रकरण विधानसभा चुनाव के दौरान ‘दैनिक जागरण’ में प्रमुखता से प्रकाशित होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की रैली में उठा दिया। साथ ही वादा किया कि सरकार बनने पर भर्तियों की जांच होगी। योगी सरकार ने सत्ता में आने के चौथे माह में ही सपा शासनकाल की पांच साल की भर्तियों की सीबीआइ जांच का एलान किया। अभी जांच शुरू होनी है।



इलाहाबाद :  उप्र लोकसेवा आयोग की अहम प्रतियोगी परीक्षाओं में गड़बड़ियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन सांविधानिक संस्था के अध्यक्ष व सदस्यों के अलावा बड़े अफसरों ने खुद गलतियां स्वीकार नहीं की। खामियों का ठीकरा आयोग के छोटे कर्मचारियों पर ही हर फोड़ा गया। साथ ही उन्हें गलत चयन करने का मामूली दंड भी मिला। यही वजह है कि आयोग की परीक्षाओं में गड़बड़ियों की फेहरिश्त लंबी होती गई और योगी सरकार को उसकी जांच सीबीआइ जैसी संस्था को सौंपना पड़ा है।



वैसे तो आयोग की कई परीक्षाओं में गलत चयन को लेकर रह-रहकर सवाल उठते रहे हैं और कई प्रकरण अब तक जांच न होने से फाइलों में कैद हैं, लेकिन दो पीसीएस परीक्षाओं के मामले विधानसभा से लेकर संसद तक गूंजे हैं। खास बात यह है कि दोनों में महिला अभ्यर्थियों को न्याय नहीं मिला है। पहले मामले में अच्छे अंक पाने वाली अभ्यर्थियों को साक्षात्कार का मौका नहीं मिला, जबकि दूसरे प्रकरण में साक्षात्कार में अभ्यर्थी को कम अंक देकर किनारे कर दिया गया।



1985 पीसीएस में कंप्यूटर रहा दोषी : आयोग ने 1985 पीसीएस में उप्र शैक्षिक सेवा कनिष्ठ वेतनमान महिला शाखा के तहत अपर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के 32 पदों के लिए चयन हुआ। ओबीसी वर्ग में सर्वाधिक अंक पाने वाली ऊषा सिंह व जबीन आयशा का चयन न करके कम अंक पाने वालों की नियुक्ति की गई। आयोग ने सफाई दी कि त्रुटिपूर्ण परीक्षाफल कंप्यूटर की वजह से जारी हो गया।


मामला उजागर होने के बाद भी आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों ने अधिक अंक पाने वाली अभ्यर्थियों को बुलाकर परिणाम दुरुस्त नहीं किया। इसमें छोटे कर्मचारी को मामूली दंड दिया गया। इस मामले की 2005 से सीबीआइ जांच लंबित है।

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