राजकीय विद्यालयों की प्रवक्ता भर्ती में एलटी या बीएड अनिवार्य होने से अभ्यर्थियों को नहीं मिलेगा वेटेज का लाभ
प्रयागराज। राजकीय विद्यालयों में प्रवक्ता भर्ती की नई नियमावली लागू होने से अब एलटी डिप्लोमा या बीएड डिग्रीधारकों को वेटेज (अधिमानी अर्हता) का लाभ नहीं मिलेगा। बीएड की उपाधि को अब भर्ती की अनिवार्य अर्हता में शामिल कर लिया गया है। हालांकि नई नियमावली से लाखों अभ्यर्थियों को झटका लगा है, जिनके पास केवल स्नातकोत्तर (पीजी) की डिग्री है। उन्होंने बीएड नहीं किया है।
ऐसे अभ्यर्थी अब प्रवक्ता भर्ती की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। वहीं, कुछ विषयों में प्रवक्ता भर्ती के लिए बीएड को अनिवार्य अर्हता के रूप में शामिल नहीं किया गया है। इनमें गृह विज्ञान, वाणिज्य, सैन्य विज्ञान, कला व सिलाई (महिला शाखा) शामिल हैं। प्रवक्ता भर्ती के लिए पहले केवल स्नातकोत्तर की उपाधि अनिवार्य अर्हता होती थी।
राजकीय या मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण संस्थान से एलटी डिप्लोमा या भारत में विधि की ओर से स्थापित किसी विश्वविद्यालय से शिक्षाशास्त्र में स्नातक (बीएड) की उपाधि अधिमानी अर्हता होती थी।
नई नियमावली में अधिमानी अर्हता की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है और बीएड को अनिवार्य अर्हता में शामिल कर लिया गया है।
प्रवक्ता समाजशास्त्र, भूगोल, अर्थशास्त्र, नागरिकशास्त्र, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, मनोविज्ञान, इतिहास, उर्दू, जीव विज्ञान, संस्कृत व प्रवक्ता कृषि विज्ञान (पुरुष शाखा) में भर्ती के लिए विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि और एनसीटीई से मान्यता प्राप्त किसी कोर्स में बीएड की उपाधि को अनिवार्य अर्हता में शामिल कर लिया गया है।
वहीं, प्रवक्ता हिंदी के लिए हिंदी विषय में स्नातकोत्तर, एक विषय के रूप में संस्कृत के साथ कला में स्नातक व बीएडी की डिग्री अनिवार्य अर्हता होगी। प्रवक्ता फारसी (पुरुष शाखा) के लिए फारसी विषय में स्नातकोत्तर उपाधि या कामिल परीक्षा में उत्तीर्ण होने का प्रमाणपत्र और बीएड की डिग्री अनिवार्य अर्हता होगी। इसी तरह प्रवक्ता शिक्षाशास्त्र में भी पूर्व की अधिमानी अर्हता अब अनिवार्य अर्हता में शामिल कर ली गई है।
प्रवक्ता तर्कशास्त्र (पुरुष शाखा) के लिए दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर व बीएड और प्रवक्ता शारीरिक अनुदेशक (पुरुष/महिला शाखा) के लिए स्नातक की उपाधि व शारीरिक शिक्षा में एमपीएड को अनिवार्य अर्हता में शामिल किया गया है। प्रवक्ता गृहविज्ञान के लिए विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि या गृह विज्ञान में बीएससी, प्रवक्ता कला में रेखांकन व चित्रकला में स्नातकोत्तर की उपाधि अनिवार्य अर्हता होगी।
भूगर्भशास्त्र व अभियंत्रण प्रवक्ता भर्ती से बाहर
प्रवक्ता भर्ती से भूगर्भशास्त्र (पुरुष शाखा) व अभियंत्रण (पुरुष शाखा) विषय को निकाल दिया गया है। पहले भूगर्भशास्त्र विषय में भर्ती के लिए भूगर्भशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की उपाधि अनिवार्य अर्हता थी।
एलटी डिप्लोमा व बीएड अधिमानी अर्हता थी। वहीं, अभियंत्रण विषय में विज्ञान के साथ हाईस्कूल, यांत्रिक या विद्युत अभियांत्रिकी में डिप्लोमा या रीजनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन अजमेर, भुवनेश्वर, भोपाल, मैसूर से बीटेक, किसी कार्यशाला में एक वर्ष का अनुभव, हिंदी का कार्यकारी ज्ञान अनिवार्य अर्हता थी। किसी तकनीकी संस्था के अध्यापन का अनुभव, किसी विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक की उपाधि अधिमानी अर्हता थी। नई व्यवस्था के तहत यह दोनों विषय भर्ती में शामिल नहीं होंगे।
1647 पदों का मिल चुका है अधियाचन
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को प्रवक्ता के 1647 पदों का अधियाचन भेजा जा चुका है। इनमें 817 पद पुरुष वर्ग और 830 पद महिला वर्ग के हैं। इन पदों पर भर्ती के लिए आयोग को ' विज्ञापन जारी करना है।
बीएड अनिवार्य करने पर छात्रों का विरोध
प्रवक्ता भर्ती में बीएड को अनिवार्य अर्हता में शामिल किए जाने पर छात्रों ने विरोध दर्ज कराया है। प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान का कहना है कि इससे लाखों की संख्या में केवल स्नातकोत्तर उपाधि वाले छात्र भर्ती की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। नई नियमावली हाल में जारी हुई है और अभ्यर्थियों को बीएड करने में कम से कम दो साल लगेंगे। इस बीच तमाम भर्तियों से अभ्यर्थी वंचित रह जाएंगे। प्रतियोगी छात्रों ने मांग की है कि केवल स्नातकोत्तर की उपाधि वाले छात्रों को भी भर्ती में शामिल होने की अनुमति दी जाए।
PGT शिक्षक भर्ती: परास्नातक के साथ बीएड की अनिवार्यता से दो साल तक फार्म भरने से होंगे वंचित
शिक्षा सेवा चयन आयोग ने एक नया फरमान जारी किया है जिसक तहत अब पीजीटी अभ्यर्थियों के लिए परास्नातक के साथ बीएड की डिग्री अनिवार्य कर दिया है। इस नए फरमान से केवल परास्नातक अभ्यर्थियों में खलबली मच गई है। बीएड का पाठ्यक्रम दो साल का होने के कारण अब केवल परास्नातक डिग्री धारियों को दो साल तक आवेदन पत्र भरने से वंचित रहना होगा।
राजकीय इंटर कॉलेज में निकले प्रवक्ता पदों के लिए यह अनिवार्यता निर्धारित की गई है। इस नए फरमान से जो अभ्यर्थी परास्नातक की उपाधि हासिल कर टीजीटी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे उनको जोर का झटका लगा है। अब बीएड की डिग्री हासिल करने में दो साल लगेंगे।
इस बारे में पीजीटी की तैयारी कर रहीं कृति ने बताया कि उन्होंने वनस्पति विज्ञान से एमएससी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद पीजीटी की तैयारी शुरू की थी। अब नए आदेश से उन्हें दो साल और इंतजार करना पड़ेगा। भौतिक विज्ञान से एमएससी डिग्रीधारी मृदुल बताते हैं कि उन्होंने टीजीटी परीक्षा के उद्देश्य से उन्होंने बीएड की पढ़ाई पूरी की है। अब पीजीटी में भी इसकी अनिवार्यता हो जाने से वह पीजीटी के लिए भी अर्ह हो गए हैं। इसी प्रकार नितीश कुमार, पूजा मिश्रा तथा प्रतिभा सिंह इस नए आदेश से परेशान हैं। उनका कहना है कि अब उन्हें बीएड की डिग्री हासिल करने तक दो साल इंतजार करना पड़ेगा।
तो क्या ये बीएड का अस्तित्व बचाने की कोशिश है: पिछले दिनों प्राथमिक शिक्षक के लिए बीएड की डिग्री को अनर्ह घोषित करने से बीएड पाठ्यक्रम में प्रवेशार्थियों की संख्या तेजी से घटी थी। इन कॉलेजों में सीटों का भरना मुश्किल हो रहा था। यदि यही स्थिति रहती तो दो से तीन साल में बीएड का अस्तित्व समाप्त हो जाता। इन हालातों में पीजीटी में अनिवार्यता होने से बीएड प्रवेशार्थियों की संख्या बढ़ सकती है।
GIC PGT : जीआईसी में प्रवक्ता भर्ती के लिए बीएड अनिवार्य, पहले बीएड करने वालों को चयन में मिलती थी वरीयता
प्रयागराज। प्रदेश के सभी 534 राजकीय इंटर कॉलेजों और 440 राजकीय बालिका इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता भर्ती के लिए बीएड की डिग्री अनिवार्य कर दी गई है। पिछले महीने 28 मार्च को जारी उत्तर प्रदेश विशेष अधीनस्थ शैक्षणिक (प्रवक्ता संवर्ग) सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली 2024 में यह बदलाव किया गया है। इससे पहले 2020 में आई प्रवक्ता भर्ती में बीएड अधिमानी अर्हता थी और चयन में वरीयता मिलती थी।
राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने 16 दिसंबर 2014 को जारी अधिसचूना में प्रवक्ता भर्ती के लिए न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ बीएडको अनिवार्य कर दिया था। केंद्रीय विद्यालयों की पीजीटी (प्रवक्ता) भर्ती में भी बीएड अनिवार्य अर्हता है।
यूपी के राजकीय इंटर कॉलेजों की प्रवक्ता भर्ती की संशोधित नियमावली में बीएड को अनिवार्य तो किया गया है हालांकि न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक का प्रतिबंध नहीं है। अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी का कहना है कि राजकीय माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती की नियमावली में संशोधन हो चुका है और उसका गजट भी जारी हो गया है। अब संशोधित नियमों के अनुसार ही शिक्षक भर्ती की जाएगी।
माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को प्रवक्ता के 1658 (836 महिला व 822 पुरुष) के रिक्त पदों का अधियाचन भेजा है और अगले महीने भर्ती के लिए आवेदन शुरू होने की उम्मीद है।
दो विषयों में नहीं होगी प्रवक्ता भर्ती
प्रवक्ता के दो विषयों में अब भर्ती नहीं होगी। संशोधित नियम में प्रवक्ता भूगर्भशास्त्र (पुरुष शाखा) और अभियंत्रण (पुरुष शाखा) विषयों को निकाल दिया गया है।
कुछ विषयों में छूट
संशोधित नियमावली में कुछ विषयों में बीएड की अनिवार्यता से छूट दी गई है। गृह विज्ञान (महिला शाखा), सिलाई (महिला शाखा), कला (पुरुषशाखा), वाणिज्य सैन्य विज्ञान (पुरुष शाखा) में आवेदन के लिए बीएड अनिवार्य नहीं है।
समकक्ष शब्द को नियमावली से हटाया
प्रवक्ता और एलटी ग्रेड (सहायक अध्यापक) भर्ती की संशोधित नियमावली की सबसे खास बात यह है कि समकक्षता शब्द को पूरी तरह से हटा दिया गया है। हर बार भर्ती के समय समकक्षता शब्द की आड़ में ही मुकदमेबाजी होती थी और चयन प्रक्रिया पूरी होने में समय लगता था। संशोधित नियमों में हर विषय के लिए मान्य डिग्री का नाम स्पष्ट लिख दिया गया है ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
प्रवक्ता इतिहास की योग्यता का विवाद भी खत्म
प्रवक्ता भर्ती की संशोधित नियमावली में इतिहास विषय को लेकर होने वाले विवाद पर भी विराम लगा दिया है। संशोधित अर्हता में प्रवक्ता इतिहास के लिए प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि को मान्य किया गया है। पहले नियमावली में सिर्फ इतिहास विषय लिखा था। कुछ विश्वविद्यालय ऐसे हैं जिनकी डिग्री पर प्राचीन इतिहास, मध्यकालीन इतिहास या आधुनिक इतिहास लिखा होता है। इन डिग्रीधारियों के आवेदन पर विवाद होता था और अभ्यर्थियों को कोर्ट के चक्कर लगाने होते थे।
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