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Friday, May 13, 2022

रेलवे में 72 हजार से ज्यादा पद खत्म, डेढ़ लाख से अधिक पदों पर कभी नहीं होगी भर्ती

रेलवे में 72 हजार से ज्यादा पद खत्म, डेढ़ लाख से अधिक पदों पर कभी नहीं होगी भर्ती

आधुनिकता की पटरी पर दौड़ रही रेलवे में अब हजारों पद खत्म कर दिए गए हैं। डेढ़ लाख से अधिक पदों पर भविष्य में कभी भर्ती नहीं की जाएगी। डेढ़ लाख से ज्यादा पदों पर भविष्य में कभी भर्ती नहीं होगी।


भारतीय रेल में बीते छह साल में तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के 72 हजार से अधिक पद समाप्त यानी सरेंडर किए जा चुके हैं। जबकि इस अवधि में रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को 81 हजार पद और समाप्त करने का प्रस्ताव भेजा है। यानी रेलवे के डेढ़ लाख से अधिक पदों पर भविष्य में कभी भर्ती नहीं की जाएगी। सरकार का मानना है कि ये गैरजरूरी पद हैं। आधुनिकता की पटरी पर दौड़ रही रेलवे में उक्त पदों की दरकार समाप्त हो गई है। यह दीगर बात है कि तृतीय-चतुर्थ श्रेणी में मैनपावर कम होने से सुरक्षित ट्रेन परिचालन पर इसका प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका बनी रहेगी।

रेलवे बोर्ड के दस्तावेजों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2020-21 के बीच रेलवे के सभी 16 जोन में 56,888 पद को समाप्त किया गया। इसके अलावा रेलवे बोर्ड ने इसी अवधि में 15,495 और पदों को समाप्त करने की मंजूरी दी। सूत्रों ने बताया कि रेलवे बोर्ड ने उक्त अवधि के दौरान 81,303 पद और समाप्त करने का प्रस्ताव भेजा है। जिस पर अंतिम फैसला लिया जाना बाकी है। जोनल रेलवे वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए कर्मचारी-अधिकारियों के कार्यों के अध्ययन करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके बाद रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिलने पर और पदों को समाप्त किया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक, इनकी संख्या नौ से दस हजार तक हो सकती है।

आउटसोर्सिंग भी पदों की संख्या कम होने का कारण
रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पदों को समाप्त करने की प्रक्रिया अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्य अध्ययन प्रदर्शन के आधार पर की जा रही है। इसके अलावा रेलवे में नई तकनीक आने के बाद तमाम पद गैरजरूरी हो गए हैं। आउटसोर्सिंग के चलते भी रेलवे में स्वीकृत पदों की संख्या कम हो रही है। जैसे राजधानी, शताब्दी, मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरेटर में इलेक्ट्रिकल-मैकेनिकल तकनीशियन, कोच सहायक, ऑनबोर्ड सफाई आदि के काम ठेके पर दे दिए गए हैं।

जानकार रेलवे के इस कदम को सही नहीं मान रहे
जानकार रेलवे के इस कदम को सही नहीं मानते हैं। उनका तर्क है कि दक्ष कर्मियों को कम करने से रेलवे की क्षमता कम होगी। जिससे उत्पादकता घटेगी। ठेका पद्धति सुरक्षित ट्रेन चलाने के लिए हमेशा खतरा बना रहेगा। इससे रेल यात्रियों की जान दांव पर रहेगी। जानकारों का कहना है कि भारतीय रेल में 15 लाख स्वीकृत पद हैं, जिसकी संख्या घटकर 12 लाख 75 हजार हो गई। इसमें डेढ़ लाख पद और समाप्त होने की कगार पर हैं। रेलवे में पद समाप्त कर लगभग 4.5 लाख ठेके पर कर्मचारियों से काम लिया जा रहा है।

कहां कितना खर्च करता है रेलवे
रेलवे को अपनी कुल आमदनी का एक तिहाई हिस्सा रेल कर्मियों के वेतन व पेंशन पर खर्च करना पड़ रहा है। रेलवे कमाए हुए एक रुपये में से 37 पैसे कर्मियों के वेतन जबकि 16 पैसे पेंशन पर खर्च कर रहा। इसके अलावा ट्रेन परिचालन में ईंधन मद में 17 पैसे खर्च करता है। इसके अलावा जरूरतों पर नौ पैसे खर्च कर रहा है।

सौ रुपये कमाने के लिए 110 रुपये खर्च
रेलवे की कमाई का मुख्य स्रोत माल ढुलाई है। इसी से 65 फीसदी आमदनी होती है। जबकि सभी यात्री ट्रेनों में किराये में कमाई से रेलवे को सब्सिडी देना पड़ता है। यही कारण है कि रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 110 फीसदी है। यानी 100 रुपये कमाने के लिए रेलवे 110 रुपये खर्च कर रहा है।

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