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Monday, April 5, 2021

UPPSC : RO/ARO का अंतिम चयन परिणाम जारी, 260 पदों पर हुआ चयन, देखें चयनितों की सूची।

UPPSC : RO/ARO का अंतिम चयन परिणाम जारी, 260 पदों पर हुआ चयन, देखें चयनितों की सूची।






सार
कहां कितने पदों पर हुआ चयन

पदनाम - पदों की संख्या - टॉपर का नाम
1. आरओ यूपी सचिवालय - 185 - राघवेंद्र प्रताप सिंह
2. आरओ मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय - 07 - धनंजय त्रिपाठी
3. आरओ यूपीपीएससी - 12 - सुनील कुमार
4. आरओ (लेखा) यूपी सचिवालय - 13 - मोहम्मद जुनैद खान
5. एआरओ (लेखा) यूपी सचिवालय - 26 - राहुल कुमार मिश्र
6. एआरओ राजस्व परिषद - 11 - विकाश कुमार
7. एआरओ मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय - 02 - सचिन बाजपेयी
8. एआरओ यूपीपीएससी - 04 - अनु जैन


विस्तार
समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिकारी (एआरओ) के आठ प्रकार के 260 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने सोमवार को आरओ/एआरओ-2016 का अंतिम चयन परिणाम जारी कर दिया। 303 पदों पर भर्ती के लिए हुई इस परीक्षा में योग्य अभ्यर्थी न मिलने के कारण 43 पद रिक्त रह गए। पेपर लीक विवाद के कारण यह भर्ती पांच साल में पूरी हो सकी। परीक्षा परिणाम आयोग की वेबसाइट और कार्यालय के सूचना बोर्ड पर उपलब्ध है।

आरओ/एआरओ-2016 की प्रारंभिक परीक्षा 20 सितंबर 2020 को आयोजित की गई थी। परीक्षा के लिए तीन लाख 85 हजार 122 अभ्यर्थी पंजीकृत थे और इनमें से एक लाख 40 हजार 353 अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए थे। आयोग ने प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम 28 अक्तूबर 2020 को जारी किया था, जिसमें 5754 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया था। 22 एवं 23 दिसंबर 2020 को हुई मुख्य परीक्षा में 4881 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। एआरओ के पदों के लिए अनिवार्य/अधिमान्य अर्हता के लिए 23, 24 एवं 25 फरवरी 2021 को हिंदी टाइप टेस्ट आयोजित किया गया था।

अंतिम चयन परिणाम में 303 पदों के मुकाबले 260 अभ्यर्थियों को औपबंधिक रूप से सफल घोषित किया गया है। आयोग के सचिव जगदीश के अनुसार सभी चयनित अभ्यर्थियों के मूल प्रमाणपत्र आदि के सत्यापन के बाद नियुक्ति के लिए संस्तुति पत्र प्रेषित किए जाएंगे। सत्यापन की सूचना अलग से दी जाएगी। परीक्षा परिणाम से संबंधित श्रेणीवार कटऑफ एवं प्राप्तांक की सूचनाएं नियुक्ति की संस्तुति प्रेषित करने के बाद आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएंगी। इस संबंध में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत प्रार्थना पत्र स्वीकार नहीं किए जाएंगे और न ही उन पर विचार किया जाएगा।

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