मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में नगर विकास विभाग की केंद्रीयत सेवा के कर्मचारियों की भर्ती अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से करवाने का फैसला लिया गया है। हाल ही में एनएचएम में भर्तियों पर सवाल उठे तो महिला एवं बाल विकास मंत्री प्रो़ रीता बहुगुणा जोशी ने सफाई देते हुए कहा था कि हम फिर भर्तियां निकालने जा रहे हैं। इस बार भर्तियां अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से होंगी। हालांकि, इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आयोग भर्तियां करेगा कैसे/ वजह यह है कि आयोग भंग है और अब तक न तो आयोग के सदस्य हैं और न ही अध्यक्ष।
हाल ही में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह साल युवाओं के लिए होगा और इसमें सरकार चार लाख भर्तियां निकालेगी। हालांकि, स्थिति यह है कि सरकार बने हुए नौ महीने से ज्यादा बीत चुके हैं, लेकिन अब तक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग, माध्यमिक सेवा चयन आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। नतीजा यह है कि नौकरियों की तलाश में युवा भटक रहे हैं और आयोग के बिना भर्तियां नहीं हो पा रही हैं। मौजूदा सरकार के आने के बाद मई में तत्कालीन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने इस्तीफा दे दिया था। तब से आयोग भंग है। इस कारण पहले से चल रहीं भर्तियां भी रुकी हैं। सूत्रों के मुताबिक जिस समय आयोग भंग हुआ, उस दौरान अलग-अलग विभागों में तकरीबन 11 हजार पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही थी। आयोग का गठन न हो पाने के कारण अधिकारियों-कर्मचारियों की कमी है और सरकारी काम भी प्रभावित हो रहा है।
सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड का गठन अब तक सरकार नहीं कर पाई है। शिक्षा को लेकर सरकार के तमाम दावे हैं, लेकिन जब शिक्षकों के पद ही खाली होंगे तो शिक्षा का हाल आसानी से समझा जा सकता है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशीय मंत्री डॉ़ आरपी मिश्र के मुताबिक तकरीबन 40 हजार पद शिक्षकों के खाली हैं। हालांकि सरकार रिक्तियों की संख्या 26 हजार के करीब मान रही है। एलटी ग्रेड मोर्चा ने 17 जनवरी तक बोर्ड गठित न होने पर आमरण अनशन की चेतावनी दी है। यही हाल उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का भी है। यहां भी प्रभात मित्तल के इस्तीफा देने के बाद से आयोग भंग है।
कैसे मिले नौकरी जब भर्ती आयोग ही भंग
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