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Saturday, July 29, 2023

नए आयोग का अब तक अस्तित्व नहीं, प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में सैकड़ों पद खाली, पुरानी भर्ती का अता-पता नहीं

नए  आयोग का अब तक अस्तित्व नहीं, प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में सैकड़ों पद खाली,  पुरानी भर्ती का अता-पता नहीं


प्रयागराज । प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में 30 जून के बाद बड़ी संख्या में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद खाली हो गए हैं, लेकिन अभ्यर्थियों को इन पदों पर भर्ती के लिए इंतजार करना होगा। अभी तो यह भी तय नहीं है कि पुरानी भर्ती कब पूरी होगी।


अशासकीय महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग (यूपीएचईएससी) के पास है, लेकिन भविष्य में नया शिक्षा सेवा चयन आयोग ही यह भर्ती कराएगा, पर नया आयोग अब तक अस्तित्व में नहीं आ सका है। आयोग हर साल उच्च शिक्षा निदेशालय से असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों का अधियाचन मांगता है और निदेशालय क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से रिक्त पदों का विवरण लेकर आयोग को अधियाचन भेजता है।


उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और उच्च शिक्षा निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि यूपीएचईएससी के अध्यक्ष का पद फरवरी 2023 से खाली पड़ा है। वहीं, सदस्यों के भी छह में से चार पद खाली हैं। कोरम पूरा न होने के यूपीएचईएससी ने अब तक रिक्त पदों का अधियाचन नहीं मांगा है और इसी वजह से निदेशालय ने भी क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों से असिस्टेंट प्रोफेसर के रिक्त पदों का ब्योरा नहीं मांगा, जबकि जून 2023 में शिक्षकों की सेवानिवृत्ति के बाद सैकड़ों पद खाली हुए हैं।


वहीं, विज्ञापन संख्या-51 के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती का भी कोई अतापता नहीं है। इन पदों पर भर्ती के लिए आवेदन की प्रक्रिया अगस्त 2022 में पूरी हो चुकी है, लेकिन यूपीएचईएससी में कोरम पूरा न होने के कारण भर्ती के लिए परीक्षा की तिथि घोषित नहीं की जा सकी है। आवेदन प्रक्रिया को साल भर पूरे होने वाले हैं और अभ्यर्थी अभी भी नौकरी के लिए भटक रहे हैं।


असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर भर्ती के लिए तकरीबन 1.14 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। अभ्यर्थियों को अब नए शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन का इंतजार है, ताकि भर्ती प्रक्रिया कारण आगे बढ़ सके। अभ्यर्थियों का कहना है कि जून के बाद कॉलेजों में शिक्षकों के सैकड़ों पद खाली हो चुके हैं और पहले से रिक्त पदों पर भी भर्ती प्रक्रिया अधूरी पड़ी है।


प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि पीएचडी और नेट- जेआरएफ करने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही है, लेकिन इसके अनुपात में भर्ती की गति बहुत धीमी है। ऐसे में आने वाले दिनों में स्पर्धा के साथ बेरोजगार अभ्यर्थियों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी। समिति के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि नए शिक्षा सेवा आयोग का गठन शीघ्र किया जाए, ताकि उप पड़ी भर्तियां शुरू हो सकें।



यूपी के डिग्री कॉलेजों में छह हजार से अधिक पद खाली, अब तक नहीं बन पाया शिक्षक भर्ती आयोग


उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए योगी सरकार तमाम दावे कर रही है. यूपी में शिक्षक भर्ती आयोग के गठन को लेकर काफी चर्चा रही. इसके बावजूद मंशा परवान नहीं चढ़ पा रही है. शिक्षक नेताओं के अनुसार वर्तमान में डिग्री काॅलेजों और राज्य विश्वविद्यालयों में करीब 22 हजार पद शिक्षकों के लिए खाली हैं.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार की ओर से भरसक प्रयास किए जा रहे हैं. सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षा को बेहतर करने के लिए भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल रखने की कोशिश कर रहे हैं. सरकार के दावों को विभाग उच्चतर शिक्षा आयोग की कार्यप्रणाली ही कठघरे में खड़ी कर रही है. 


जानकारों की मानें तो प्रदेश में मौजूदा समय में सभी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों को मिलाकर 6000 से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं. इनमें से कुछ पदों को भरने के लिए बीते वर्ष तक विज्ञापन निकाले गए, पर प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो पाई है. आलम यह है कि उच्चतर शिक्षा शिवा आयोग का कार्यकाल जुलाई के अंतिम सप्ताह में समाप्त होने जा रहा है और सरकार की ओर से नए आयोग के गठन के लिए जो दावे किए गए थे वह अब तक नहीं हो पाया है. ऐसे में उच्च शिक्षा विभाग में भर्ती के लिए जो प्रक्रिया चल रही थी वह पूरी तरह से ठप हो जाएगा. ऐसे में जो भी विज्ञापन निकाले गए हैं उन पर खतरा मंडरा रहा है कि कहीं वह नए आयोग के गठन होने के बाद रद्द न कर दिए जाएं.


लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन आने वाले सभी विश्वविद्यालयों, राजकीय डिग्री कॉलेज व एडेड डिग्री कॉलेजों की बात की जाए तो डिग्री कॉलेजों में कुल 19 हजार 600 पद खाली हैं. राज्य विश्वविद्यालयों में करीब ढाई हजार से अधिक पद खाली हैं. दोनों को मिला दिया जाए तो कुल 22 हजार से अधिक पद मौजूदा समय में खाली हैं. इन्हें भरने के लिए समय-समय पर उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से भर्ती प्रक्रिया निकाली जाती है. मौजूदा समय में आयोग 50 व विज्ञापन के तहत पूरे प्रदेश में 917 पदों की भर्ती प्रक्रिया निकाली हुई है. जिसमें से शिक्षा महाविद्यालय में 756 पद और महिला विद्यालयों में 161 पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है.



डॉ. मनोज पांडे ने बताया कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में आयोग के गठन होने तक उच्च शिक्षा विभाग में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी. कुछ समय पहले राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक नई घोषणा की थी. जिसके तहत अब एक ही आयोग से उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, मदरसा शिक्षा सहित शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का आयोजन किया जाना है. पिछली कैबिनेट में इस आयोग के गठन के प्रस्ताव को मुहर लगने की उम्मीद थी, पर सरकार ने इसे कैबिनेट में रखा ही नहीं.


अब इसे अगले कैबिनेट में रखा जा सकता है. कैबिनेट से पास होने के बाद में आयोग के गठन होने की प्रक्रिया पूरी करने में ही सरकार को दिसंबर 2023 तक का समय लग सकता है. 2024 के शुरुआती महीनों में लोकसभा चुनाव होना है. इसके बाद आयोग द्वारा नई भर्ती प्रक्रिया के लिए सभी शिक्षा परिषद से जानकारी मंगाने और उसके स्कूटनी करने के बाद विज्ञापन निकालने की प्रक्रिया में ही 6 महीने समय लग सकता है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में साल 2025 से पहले शिक्षा विभाग में भर्ती होने की गुंजाइश कम ही लग रही है. जबकि प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा, मदरसा शिक्षा में नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने का आदेश दिया है. प्रशिक्षकों की कमी होने के कारण नई शिक्षा नीति को सही से लागू कर पाना भी एक चुनौतीपूर्ण कार बन जाएगा.

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