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Tuesday, December 27, 2022

चिकित्सा महाविद्यालयों में होगी 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति, हर साल होगी दो हजार भर्तियां

चिकित्सा महाविद्यालयों में होगी 1790 स्टाफ नर्सों की नियुक्ति, हर साल होगी दो हजार भर्तियां


उत्तर प्रदेश : उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में योजना भवन में हुई शासी निकाय की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। तय किया गया कि 1790 स्टाफ  नर्सों की नियुक्ति केलिए एसजीपीजीआई परीक्षा कराएगा। फिर काउंसिलिंग के जरिए चिकित्सा महाविद्यालय में तैनाती की जाएगी।



राज्य चिकित्सा महाविद्यालय सोसाइटी की मंगलवार को हुई शासी निकाय की बैठक में नर्सिंग सेवा परिनियमावली को स्वीकृति दी गई। पहले चरण में स्वशासी चिकित्सा महाविद्यालयों में 1790 स्टाफ नर्स की भर्ती की जाएगी। यह प्रक्रिया तीन माह में पूरी कर ली जाएगी। इसके बाद हर साल करीब दो हजार कर्मियों की भर्ती होगी।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक की अध्यक्षता में योजना भवन में हुई शासी निकाय की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। तय किया गया कि 1790 स्टाफ  नर्सों की नियुक्ति केलिए एसजीपीजीआई परीक्षा कराएगा। फिर काउंसिलिंग के जरिए चिकित्सा महाविद्यालय में तैनाती की जाएगी। परीक्षा से लेकर नियुक्ति की प्रक्रिया तीन माह में पूरी कर ली जाएगी। इस दौरान महाविद्यालयों में अलग- अलग फंड बनाने पर भी सहमति बनी। बैठक में तय किया गया कि प्रधानाचार्य स्थानीय स्तर पर सोसाइटी बनाएंगे। इसमें विभिन्न संगठनों एवं व्यक्ति से आर्थिक  सहयोग ले सकेंगे। सोसायटी में जिलाधिकारी बतौर सदस्य शामिल होंगे।

विभिन्न स्त्रोतों से इकट्ठा होने वाली सहयोग राशि का उपयोग मरीजों के हित में किया जाएगा। महाविद्यालयों के बैंक खातों को संचालित करने के लिए भी प्रधानाचार्यों को अधिकार दे दिए गए हैं। इन बैंक खातों में जमा धन का उपयोग मरीजों व छात्रों के हित में किया जाएगा। संबंधित महाविद्यालयों में दवा व उपकरण खरीदने के लिए एसजीपीजीआई की तर्ज पर हॉस्पीटल रिवॉल्विंग फंड (एचआरएफ) की व्यवस्था की जाएगी। इसी तरह पैथोलॉजी, रेडियोलॉजी एवं मरीजों को अन्य जांचें उपलब्ध कराने के लिए इंवेस्टिगेशन रेंडरिंग फंड (आईआरएफ ) की व्यवस्था को भी हरी झंडी दी गई। इस फंड के जरिए स्थानीय स्तर पर ही मरीजों को सभी सुविधाएं मिल जाएंगी।

उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया कि मरीजों की देखरेख में किसी तरह की कोताही न बरती जाए। स्थानीय स्तर पर ही मरीज को इलाज मिल जाए। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को नियुक्ति, अवकाश स्वीकृति, क्रय, अनुरक्षण व अन्य प्रशासनिक व वित्तीय अधिकारों का अनुमोदन किया गया है। इससे स्थानीय स्तर पर ही निर्णय लेने में आसानी रहेगी एवं योजनाओं के क्त्रिस्यांवयन में भी विलंब नहीं होगा। बैठक में विभागीय अधिकारियों के साथ चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य मौजूद रहे।

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