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Wednesday, December 21, 2022

भर्तियों की परीक्षा तिथि नहीं, नए आयोग की सरगर्मी बढ़ी

भर्तियों की परीक्षा तिथि नहीं, नए आयोग की सरगर्मी बढ़ी

● असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 पदों पर आवेदन लेकर भूले

● उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने जारी नहीं की परीक्षा तिथि

● टीजीटी-पीजीटी के 4163 पदों पर महीनों पहले लिए आवेदन

● माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने तय नहीं की तारीख


प्रयागराज : प्रदेश में बेसिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती के लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा आयोग के गठन की सरगर्मी एक बार फिर से बढ़ गई है। इस नए आयोग का मसौदा पहले ही कैबिनेट से पास हो चुका है। अब बस गठन की देरी है। सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के 1017 और एडेड कॉलेजों में शिक्षकों के 4163 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन लेने के महीनों बाद परीक्षा तिथि घोषित न करने का यह एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। परीक्षा तिथि को लेकर आयोग और बोर्ड दफ्तर में संपर्क करने वाले प्रतियोगी छात्रों को यहां के जिम्मेदार ऑफ द रिकॉर्ड यही बता रहे हैं कि ये सभी भर्तियां अब नए आयोग के माध्यम से ही कराई जानी हैं। तीन-चार महीने में आयोग गठन की औपचारिकता पूरी होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए 31 अगस्त तक आवेदन लिए थे। इसके लिए तकरीबन एक लाख अभ्यर्थियों ने फॉर्म भरा है। परीक्षा तिथि घोषित करने की मांग को लेकर अभ्यर्थी कई बार आयोग पर प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन अब तक परीक्षा को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) के 3539 और प्रवक्ता (पीजीटी) के 624 पदों पर भर्ती के लिए 16 जुलाई तक आवेदन मांगे थे। इसकी परीक्षा तिथि भी अब तक घोषित नहीं हो सकी है।

फरवरी-अप्रैल में पूरा होगा दोनों अध्यक्षों का कार्यकाल

उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्षों का कार्यकाल क्रमश फरवरी और अप्रैल में पूरा होगा। प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने फरवरी 2018 में उच्चतर तो वीरेश कुमार ने आठ अप्रैल 2018 को चयन बोर्ड की कमान संभाली थी। इनका कार्यकाल पूरा होने के बाद नए आयोग के माध्यम से चयन प्रक्रिया शुरू होने की बात कही जा रही है। चयन बोर्ड में सदस्यों के सभी दस पद अप्रैल से खाली होने के बावजूद सदस्यों की तैनाती न होने की मुख्य वजह भी यही बताई जा रही है। चर्चा है कि चयन बोर्ड कार्यालय से ही नया आयोग संचालित होगा।

2017 में आयोग गठन की शुरू हुई थी कवायद

2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद शिक्षा सेवा आयोग के गठन की कवायद शुरू हुई थी। उस समय उच्चतर और चयन बोर्ड के अध्यक्षों व सदस्यों से इस्तीफा भी ले लिया गया था। लेकिन बाद में आयोग का गठन नहीं हो सका और फिर से अध्यक्ष व सदस्यों को तैनात करते हुए भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई।

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