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Monday, February 14, 2022

UPPSC : प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद भी आरोपियों पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई

UPPSC : प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद भी आरोपियों पर नहीं हुई ठोस कार्रवाई

भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई की ओर से चार वर्षों में सिर्फ दो प्रमुख परीक्षाओं पीसीएस-2015 और अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 में हुई धांधली के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है।


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई ने कई परीक्षाओं में गड़बड़ी के साक्ष्य मिलने के बाद प्राथमिक जांच (पीई) तो दर्ज करा ली, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। भर्तियों में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्रतियोगी छात्र सवाल उठा रहे हैं कि तमाम भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के साक्ष्य मिलने के बावजूद दोषियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।

भर्ती परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई की ओर से चार वर्षों में सिर्फ दो प्रमुख परीक्षाओं पीसीएस-2015 और अपर निजी सचिव (एपीएस)-2010 में हुई धांधली के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं, अभ्यर्थियों की शिकायतों और साक्ष्यों के आधार पर समीक्षा अधिकारी (आरओ)/सहायक समीक्षा अधिक (एआरओ)-2013, मेडिकल अफसर-2014 की सीधी भर्ती, लोअर सबऑर्डिनेट-2013 सहित कुछ अन्य भर्तियों के मामले में प्राथमिक जांच दर्ज की जा चुकी है। अभ्यर्थियों को उम्मीद थी कि प्राथमिक जांच दर्ज होने के बाद एफआईआर होगी और इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी, पर अब तक कुछ नहीं हुआ।

रिटायर्ड महिला प्रोफेसर ने सौंपे थे साक्ष्य

मेडिकल अफसर की सीधी भर्ती के मामले में होम्योपैथिक कॉलेज से एक रिटायर्ड महिला प्रोफेसर ने सीबीआई का साक्ष्य सौंपे थे और अपना बयान भी दर्ज कराया था। महिला प्रोफेसर ने होम्योपैथिक कॉलेजों में प्रवक्ता, प्राचार्य, रीडर, प्रोफेसर के पदों पर सीधी भर्ती के लिए कई अभ्यर्थियों के शिक्षण कार्य से संबंधित अनुभव प्रमाणपत्र सीबीआई को साक्ष्य के रूप में सौंपे थे।

ये प्रमाणपत्र पूरी तरह से फर्जी थे। मेडिकल अफसर की सीधी भर्ती में धांधली के ठोस सुराग मिलने के बाद प्राथमिक जांच तो दर्ज करा ली गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। महिला प्रोफेसर का कहना है कि उन्होंने जोखिम लेकर अपना बयान दर्ज कराया, साक्ष्य भी सौंपे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई न होने से हताश हैं।

वहीं, पीसीएस-2015 के मामले में एक महिला अभ्यर्थी ने भी अपनी शिकायत दर्ज कराई थी, जिनकी मुख्य परीक्षा में कॉपी बदल दी गई थी। अभ्यर्थी ने जब अपनी कॉपी देखी तो गड़बड़ी का पता चला। आपत्ति करने पर महिला अभ्यर्थी को इंटरव्यू के लिए क्वालीफाई करा दिया गया था।

महिला अभ्यर्थी ने गड़बड़ी से संबंधित साक्ष्य भी सीबीआई को सौंपे थे। इसके अलावा भी सीबीआई को पीसीएस-2015 के मामले में गड़बड़ी की व्यापक शिकायतें मिलीं और सीबीआई ने एफआईआर भी दर्ज की, लेकिन अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

ओएमआर बदले जाने के भी मिल चुके हैं सुराग
सीबीआई को आरओ/एआरओ भर्ती-2013 में ओएमआर शीट बदले जाने के भी सुराग मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि तमाम अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी से संबंधित साक्ष्य सीबीआई को सौंपे हैं। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर प्रतियोगी छात्रों का अभियान चल रहा है। कई भर्तियों में धांधली के साक्ष्य मिलने के बावजूद कार्रवाई न होने से प्रतियोगी छात्र हताश हैं।

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