इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग में शायद सब कुछ दुरुस्त नहीं है। इसीलिए नए साल का परीक्षा कैलेंडर आधे साल का ही जारी हो सका है। इसे भी तय करने में आयोग को अन्य वर्षो की अपेक्षा काफी समय लगा है और उसे जारी करने में भी काफी समय लगा है। जारी कार्यक्रम में कई अहम परीक्षाओं का जिक्र न होना भी प्रतियोगियों को चौंका रहा है।
प्रदेश के शीर्ष अफसरों का चयन करने वाले यूपी पीएससी की कार्यशैली फिर सवालों के घेरे में है। आम तौर जो नए साल का परीक्षा नवंबर हर हाल में अक्टूबर या फिर नवंबर माह में जारी होता रहा है, ताकि जनवरी से ही परीक्षाएं शुरू की जा सकें। इस बार परीक्षा कार्यक्रम बनाने में आयोग को लंबा वक्त लगा है, फिर भी पूरे साल की परीक्षाओं का टाइम टेबिल जारी नहीं हुआ है, सिर्फ जून तक की परीक्षाएं घोषित की गई हैं। उसमें भी कुछ परीक्षाएं ऐसी हैं जिनका अधियाचन समय पर आने पर ही इम्तिहान हो सकेगा। वहीं, कुछ परीक्षाएं आयोग पहली बार कराने जा रहा है। मसलन, राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षकों की भर्ती।
प्रतियोगियों का कहना है कि सहायक अभियोजन अधिकारी यानी एपीओ जैसी परीक्षाओं का जिक्र ही नहीं है। यही नहीं पीसीएस 2018 की प्रारंभिक परीक्षा का उल्लेख जरूर है लेकिन, मुख्य परीक्षा का कार्यक्रम नहीं दिया गया है। मौजूदा वर्ष में भी कई परीक्षाओं का कार्यक्रम आयोग को बार-बार बदलना पड़ा था। माना जा रहा है कि आयोग की प्रस्तावित सीबीआइ जांच का असर आयोग के अफसरों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इसी वजह से आगामी रणनीति नहीं बन पा रही है।
कई परीक्षाओं के परिणाम रुके
आयोग सिर्फ परीक्षाओं का कार्यक्रम जारी करने में ही विलंब नहीं कर रहा है, बल्कि तमाम परीक्षाओं के परिणाम रुके हैं। प्रतियोगी हर दिन रिजल्ट जानने के लिए आयोग से संपर्क कर रहे हैं। उन्हें बताई जा रही तारीखें बार-बार बदल रही हैं, जबकि सीधी भर्तियों के परिणाम ताबड़तोड़ किए जा रहे हैं।
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