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Friday, December 8, 2017

शिक्षक भर्ती में अनियमितता की जांच करेंगे जस्टिस, आरोपों की जांच को एक सदस्यीय जांच कमेटी का गठन, शिक्षक भर्ती में धांधली की शिकायत राष्ट्रपति से एमएचआरडी तक

 इलाहाबाद : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया व धांधली के कथित आरोपों की जांच के लिए शुक्रवार को एक सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आरआरके त्रिवेदी को इस मामले की जांच सौंपी गई है। जस्टिस त्रिवेदी शिक्षक भर्ती में अभी तक लगे सभी आरापों की जांच करेंगे व रिपोर्ट कुलपति को सौंपेंगे। 



इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में शुरू की गई शिक्षक भर्ती बिना स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी किए एक कॉलेज में साक्षात्कार शुरू करने, स्क्रीनिंग में एपीआइ में प्रकाशन के लिए 25 की जगह 35 अंक देने, स्नातक में अर्हता 50 की जगह 45 फीसद करने जैसे मुद्दों पर अभ्यर्थियों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। इस मामले की शिकायत राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, एमएचआरडी मिनिस्टर, यूजीसी से की गई है। शिक्षक भर्ती को रोकने व निष्पक्ष जांच कराने की भी मांग की गई थी। 



इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शारीरिक शिक्षा विभाग के प्रोफेसर डॉ. डीसी लाल ने भी स्क्रीनिंग व शार्टलिस्टिंग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए थी। इसके अलावा प्रो. शशिकांत राय ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को पत्र लिखकर डीन सीडीसी प्रो. शेखर अधिकारी द्वारा ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज के प्राचीन इतिहास विभाग की स्क्रीनिंग कमेटी में उनका नाम सार्वजनिक करने पर आपत्ति की थी। उन्होंने अपने पत्र में आवेदन पत्रों के बिना स्क्रीनिंग पूरा हुए साक्षात्कार शुरू करने पर आपत्ति उठाई थी। पत्र में कहा गया था कि बिना फार्मो की स्क्रीनिंग पूरी हुए केवल चार्ट आधारित मेरिट सूची से साक्षात्कार कैसे शुरू कर दिया गया। इन्हीं आरोपों के आलोक में जांच कराने का निर्णय लिया गया है। 



■ शिक्षक भर्ती में अनियमितता की शिकायत से बखेड़ा

इलाहाबाद: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संघटक महाविद्यालयों में शिक्षक भर्ती से जुड़े साक्षात्कार पर लगातार गंभीर आरोप लग रहे हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को नया विवाद खड़ा हो गया। इविवि कुलपति प्रो. रतन लाल हांगलू को दिया गया एक विस्तृत शिकायती पत्र ईमेल व प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से मीडिया को भेजा गया, जिसमें कई ऐसी गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे पूरी चयन प्रक्रिया को सवालों के घेरे में खड़ा किया गया है। शिकायती पत्र में शिकायतकर्ता के रूप में प्राचीन इतिहास विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशिकांत राय का नाम और हस्ताक्षर दर्ज है।



पत्र में पूरी चयन प्रक्रिया को यूजीसी रेगुलेशन 2010 और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विपरीत बताया गया है। इसमें आर्डिनेंस का हवाला देते हुए कहा गया है कि गुड एकेडमिक रिकार्ड की पात्रता न पूरी करने वालों का भी चयन कर लिया गया है। पत्र में स्क्रीनिंग और चयन प्रक्रिया में व्याप्त अनियमितताओं की उच्च स्तरीय जांच की भी मांग शामिल है।1हालांकि, इस बावत जब डॉ. शशिकांत राय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई शिकायती पत्र मीडिया को नहीं भेजा है। किसी ने फर्जी ईमेल आईडी बनाकर उनके नाम का इस्तेमाल किया है। मीडिया को जिस ईमेल आईडी से पत्र भेजा गया है। वह (इमेज में देखें) है। शिकायती पत्र में 29 नवंबर 2017 की तिथि दर्ज है।


■ ये हैं शिकायतें 

 विज्ञापन में ऑनलाइन फार्म तो स्क्रीनिंग व शार्टलिस्टिंग की क्राइटेरिया ऑनलाइन क्यों नहीं। 

★  स्क्रीनिंग के बाद योग्य व अयोग्य उम्मीदवारों की सूची ऑनलाइन न करना। 

★ यूजीसी के चौथे अमेंडमेंट को दरकिनार कर चयन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। 

★  एपीआइ स्कोर में प्रकाशन का प्रतिनिधित्व 25 से बढ़ाकर 35 अंक करना। 

★  स्नातक में आवेदन करने के लिए मिनिमम अंक 50 से घटाकर 45 फीसद करना।

★  अयोग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार प्रक्रिया में बुलाया जाना। 

★  बिना स्क्रीनिंग प्रक्रिया पूरी हुए साक्षात्कार शुरू करने। 

★  स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के नाम सार्वजनिक होने। 


■ मैने शिक्षक भर्ती से जुड़ी एक शिकायत 22 तारीख को की थी। 29 नवंबर का पत्र मेरा नहीं है। किसी ने मेरे नाम का फर्जी ईमेल आईडी बनाकर इस्तेमाल किया है। अभी मैं बाहर हूं। इसलिए ज्यादा कुछ नहीं बता सकता। - डॉ. शशिकांत राय, एसोसिएट प्रोफेसर इविवि।


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