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Wednesday, December 13, 2017

करोड़ों की संपत्ति वाले सामान्य कर्मियों का भी फंसना तय, UPPSC की सीबीआइ जांच, भर्तियों में धांधली के हिस्सेदारों की संपत्ति की भी हो सकती है जांच

■ उप्र लोकसेवा आयोग में मची हलचल, विरोधी खेमा हुआ सक्रिय


इलाहाबाद : पीसीएस परीक्षा सहित अन्य भर्तियों में धांधली को लेकर शुरू होने वाली सीबीआइ जांच में फंसने के डर से वे भी सहमे हुए हैं जिन्होंने उप्र लोकसेवा आयोग में सामान्य पदों पर रहते हुए भी करोड़ों की संपत्ति अर्जित की। पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कारनामों में दर्जनों सामान्य कर्मचारियों की भी हिस्सेदारी की शिकायत पूर्व में केंद्र सरकार तक के पास भेजी गई थी। तमाम ऐसे कर्मचारियों की बेनामी संपत्ति इलाहाबाद में भी है जिनके बारे में प्रतियोगी छात्र अधिक से अधिक साक्ष्य जुटाने में लगे हैं।



आयोग में सपा शासन में हुई सभी भर्तियों की सीबीआइ जांच वैसे तो सरकारी सेवा में अनुचित तरीके से नियुक्त किए गए उम्मीदवारों को लेकर होने वाली है लेकिन, इनको भर्ती करने के पीछे किन-किन का हाथ रहा, रिश्वतखोरी हुई है तो उसके हिस्सेदार कौन-कौन रहे, यह भी जांच का अहम हिस्सा बनेगा।



अनुचित तरीके से भर्ती होने की शिकायत से लेकर जबर्दस्त आंदोलन तक करने वाले प्रतियोगी छात्रों के अनुसार आयोग में दर्जनों सामान्य कर्मचारियों ने पूर्व अध्यक्ष डॉ. अनिल यादव के कार्यकाल में ही करोड़ों रुपये की संपत्ति अर्जित की। इलाहाबाद में कई पॉश इलाकों में प्लाट खरीदे, महंगी गाड़ियां और अन्य बेनामी संपत्ति खरीदी। जिन्हें पूर्व अध्यक्ष सहित तत्कालीन समिति के सदस्यों ने भी अनदेखा किया। 



पीसीएस के करीब 600 पदों समेत सीधी भर्ती से हुए हजारों चयन को लेकर उठे सवालों के बीच प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति ने आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार के पास शिकायती पत्र भेजकर तीन दर्जन से अधिक सामान्य कर्मचारियों की करोड़ों की संपत्ति पर भी अंगुली उठाई थी। जो उत्तर प्रदेश में सपा का शासन रहते फाइलों में ही दबकर रह गई। माना जा रहा है कि उस शिकायती पत्र को भी सीबीआइ संज्ञान ले सकती है। आयोग में कार्यरत कर्मचारियों के बीच सुगबुगाहट तेज हो गई है और करोड़ों की संपत्ति अर्जित करने वाले कर्मचारियों का विरोधी खेमा भी सक्रिय हो गया है। यानी जांच होने पर पूर्व अध्यक्ष और कई सफेदपोश ही नहीं, निचले स्तर के कर्मचारियों पर भी गाज गिरनी तय मानी जा रही है।


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