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Saturday, April 1, 2023

UPPSC : अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 के चयनितों का रास्ता साफ

UPPSC : अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 के चयनितों का रास्ता साफ

प्रयागराज सचिवालय की अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 में नियुक्ति के लिए तीन प्रतिशत गलती को लेकर छूट देने संबंधी उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के विवेकाधीन फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने आयोग के विवेकाधिकार को सही माना था। इस फैसले से चयनित अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिली है। उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी तथा न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ ने यह फैसला 29 मार्च को सुनाया।


अचयनित अभ्यर्थियों का कहना था कि आशुलिपि परीक्षा में तीन प्रतिशत की गलती की छूट का विवेकाधिकार का प्रयोग उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने जिस नियमावली के तहत किया है उसे 2001 में ही समाप्त कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में आयोग के अधिवक्ता के इन तर्कों से सहमत हुआ कि आशुलिपि परीक्षा में तीन प्रतिशत की अतिरिक्त छूट, जिसका उल्लेख विज्ञापन में भी था, के विवेकाधिकार का लाभ चयनित या अचयनित अभ्यर्थी को समान रूप से प्राप्त हुआ है। अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 के विज्ञापन की शर्तों को तीन अक्टूबर 2017 को परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने के पश्चात अचयनित अभ्यर्थियों ने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय से पक्ष में निर्णय नहीं हुआ तो विशेष अपील भी योजित की गई। इस विशेष अपील (65/2018) को भी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था। इस निर्णय के विरुद्ध 2018 में आलोक कुमार पांडेय एवं अन्य ने उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (56 26/2018) दायर की थी। याची के तर्कों को सुनने के बाद याचिका का निस्तारण किया गया। नियमानुसार पांच प्रतिशत से अधिक गलती करने वाले को नियुक्ति के लिए लापरवाह माना गया है किंतु आयोग को तीन प्रतिशत गलती उपेक्षित कर छूट देने का विवेकाधिकार है। नियमावली समाप्त हो चुकी थी, इसलिए छूट को चुनौती दी गई।

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